सिक्किम से सटी सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई. उत्तरी सिक्किम स्थित नाकु ला सेक्टर में यह टकराव हुआ है और इस दौरान सैनिकों के बीच भिड़ंत में कुछ सैनिक घायल भी हुए हैं.
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भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सिक्किम में सीमा पर तीखी झड़प हुई है और इस झड़प में दोनों ओर से कई सैनिक घायल हुए हैं. दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाथापई और पत्थर फेंकने की घटना सामने आई है. भारतीय सेना के मुताबिक यह झड़प रणनीतिक रूप से अहम पर्वत मार्ग के पास हुई है.
भारत और चीन के बीच सीमा पर लंबे समय से तनाव सामने आता रहा है. दोनों देश परमाणु हथियार से लैस हैं. 1962 में चीन और भारत के बीच युद्ध भी हो चुका है. भारतीय सेना के पूर्वी कमान के प्रवक्ता मनदीप हुडा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "दोनों तरफ से आक्रामक बर्ताव के परिणामस्वरूप सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं. पत्थर फेंकने और बहस के बाद हाथापाई हुई."
सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में शनिवार 9 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की घटना सामने आई. नाकु ला सेक्टर पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह भूटान, नेपाल और चीन की सीमा से लगा हुआ इलाका है. हुडा के मुताबिक स्थानीय स्तर पर बातचीत के बाद स्थिति सामान्य हो गई. साथ ही उन्होंने कहा, "सीमा की निगरानी करने वाले सैनिकों के बीच अस्थायी और कम समय के लिए टकराव होता रहता है क्योंकि सीमा समस्या का हल नहीं हुआ है." एक रिपोर्ट के मुताबिक डेढ़ सौ सैनिक झड़प में शामिल थे.
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प और टकराव के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. लद्दाख में 2017 में दोनों सैनिकों के बीच झड़प का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें दोनों सेना के जवान मुक्के मार रहे थे और पत्थर फेंक रहे थे. 2017 में दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद बहुत बड़ा हो गया था.
डोकलाम में दो महीनों से अधिक समय के लिए भारत-चीन के बीच गतिरोध बरकरार था. यह तनाव उस वक्त सामने आया था जब भारत ने चीन द्वारा सड़क निर्माण को रोकने के लिए सेना भेज दी थी. 2018 में चीन के वुहान में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद हालात बदले थे. दोनों नेताओं ने 2019 में चेन्नई में भी मुलाकात की थी. चीन अब भी 90,000 स्क्वॉयर किलोमीटर की भूमि पर अपने स्वामित्व का दावा करता है, जो कि भारत के नियंत्रण में आती है.
साल 2019 में दुनिया भर का सैन्य खर्च 1,900 अरब डॉलर रहा. कुल मिला कर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी.
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सालाना खर्च
स्वीडन की संस्था सिपरी की सालाना रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 में दुनिया भर का सैन्य खर्च 1,900 अरब डॉलर रहा. पिछले साल के मुकाबले यह खर्च 3.6 प्रतिशत तक बढ़ा है. कुल मिला कर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी. सीपरी के रिसर्चर नान तिआन ने बताया, "शीत युद्ध के खत्म होने के बाद सैन्य खर्च का यह चरम है."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Lo Scalzo
अमेरिका
सभी देशों में पहला स्थान अमेरिका का है, जिसने अनुमानित 732 अरब डॉलर खर्च किए. यह 2018 में किए गए खर्च से 5.3 प्रतिशत ज्यादा है और पूरी दुनिया में हुए खर्च के 38 प्रतिशत के बराबर है. 2019 अमेरिका के सैन्य खर्च में वृद्धि का लगातार दूसरा साल रहा. इसके पहले, सात साल तक अमेरिका के सैन्य खर्च में गिरावट देखी गई थी.
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चीन
दूसरे स्थान पर है चीन जिसने अनुमानित 261 अरब डॉलर खर्च किए. यह 2018 में किए गए खर्च से 5.1 प्रतिशत ज्यादा था. पिछले 25 सालों में चीन का खर्च उसकी अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ ही बढ़ा है. उसका निवेश उसकी एक "विश्व स्तर की सेना" की महत्वाकांक्षा दर्शाता है. तिआन का कहना है, "चीन ने खुल कर कहा है कि वो दरअसल एक सैन्य महाशक्ति के रूप में अमेरिका के साथ प्रतियोगिता करना चाहता है."
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भारत
तीसरे स्थान पर भारत है. अनुमान है कि 2019 में भारत का सैन्य खर्च लगभग 71 अरब डॉलर रहा, जो 2018 में किए गए खर्च से 6.8 प्रतिशत ज्यादा था. विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है जब रिपोर्ट में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले तीन देशों में दो देश एशिया के ही हैं.
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रूस
2019 में रूस ने अपना सैन्य खर्च 4.5 प्रतिशत बढ़ा कर 65 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया. ये रूस की जीडीपी का 3.9 प्रतिशत है और सिपरी के रिसर्चर अलेक्सांद्रा कुईमोवा के अनुसार ये यूरोप के सबसे ऊंचे स्तरों में से है.
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सऊदी अरब
सऊदी अरब ने 61.9 अरब डॉलर खर्च किया. इन पांचों देशों का सैन्य खर्च पूरे विश्व में होने वाले खर्च के 60 प्रतिशत के बराबर है.
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जर्मनी
सिपरी के अनुसार, ध्यान देने लायक अन्य देशों में जर्मनी भी शामिल है, जिसने 2019 में अपना सैन्य खर्च 10 प्रतिशत बढ़ा कर 49.3 अरब डॉलर कर लिया. सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 15 देशों में प्रतिशत के हिसाब से यह सबसे बड़ी वृद्धि है. रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, जर्मनी के सैन्य खर्च में वृद्धि की आंशिक वजह रूस से खतरे की अनुभूति हो सकती है.
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अब हो सकती है कटौती
सिपरी के रिसर्चर नान तिआन के अनुसार, "कोरोना वायरस महामारी और उसके आर्थिक असर की वजह से यह तस्वीर पलट भी सकती है. दुनिया एक वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रही है और तिआन का कहना है कि सरकारों को सैन्य खर्च को स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च की जरूरतों के सामने रख कर देखना होगा. तिआन कहते हैं, "हो सकता है एक साल से ले कर तीन साल तक खर्चों में कटौती हो, लेकिन उसके बाद के सालों में फिर से वृद्धि होगी."