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जयशंकर: भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं

२५ मार्च २०२२

चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हैं और जब तक सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक रिश्ते सामान्य हो भी नहीं सकते हैं.

एस जयशंकर, वांग यी
फाइल तस्वीरतस्वीर: Bai Xueqi/Xinhua/imago images

जयशंकर ने पत्रकारों को बताया कि औचक दौरे पर भारत आए यी से उनकी बातचीत तीन घंटे चली और इस दौरान उन्होंने यी से ईमानदारी से बात की. उन्होंने बताया कि बातचीत दोनों देशों के आपसी रिश्तों पर ही केंद्रित रही. उन्होंने कहा, "अप्रैल 2020 से चीनी तैनातियों की वजह से उत्पन्न हुए टकराव और तनाव की वजह से संबंध सामान्य हो नहीं सकते. बातचीत में शांति की पुनर्स्थापना की मजबूती से अभिव्यक्ति होनी चाहिए."

जयशंकर ने बताया कि लद्दाख में कुछ इलाकों में बातचीत आगे बढ़ी है और कुछ जगहों पर टकराव बना हुआ है. उन्होंने कहा कि बातचीत में इसी बात पर चर्चा हुई कि "इस स्थिति को आगे कैसे ले जाया जाए...जब तक सीमावर्ती इलाकों में सेना की बड़ी तैनाती है, स्पष्ट है कि स्थिति सामान्य नहीं है."

जयशंकर ने यह भी कहा, "यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिशें नहीं होनी चाहिए." उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पाकिस्तान में यी द्वारा कश्मीर पर दिए गए बयान पर भी आपत्ति व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उन्होंने यी से कहा कि भारत को उम्मीद है कि चीन भारत को लेकर एक स्वतंत्र नीति अपनाएगा और अपनी नीतियों को दूसरे देशों और दूसरे संबंधों से प्रभावित होने की इजाजत नहीं देगा.

यी और जयशंकर के बीच नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में बातचीत हुई. जयशंकर से मिलने से पहले यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले. वो 24 मार्च देर शाम नई दिल्ली पहुंचे थे लेकिन चीनी सरकार ने उनकी यात्रा से संबंधित कोई घोषणा की थी और और न भारत सरकार ने.

भारत में कई पत्रकारों ने ट्विट्टर पर लिखा कि वो वांग यी के विमान को ट्रैक कर उनके भारत पहुंचने की पुष्टि कर पाए. नई दिल्ली पहुंचने के पहले उन्होंने एक दिन काबुल में बिताया और उससे एक दिन पहले वो इस्लामाबाद में थे. इसलिए उनकी यात्रा के उद्देश्य को लेकर रहस्य बना हुआ है. कुछ जानकारों का मानना है कि यात्रा की असली वजह कुछ और थी.

वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर मानते हैं कि यी की यात्रा का असली उद्देश्य यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा करना था. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि भारत और चीन दोनों ने ही पश्चिम देशों की तरह रूस की आलोचना नहीं की है और इस लिहाज से दोनों के रुख में समानताएं हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि रूस और चीन ने भारत से यह भी कहा कि अगर वो क्वॉड समूह से निकल जाए तो ये दोनों देश आरएसी समूह को मजबूत कर सकते हैं और एक पाइपलाइन के जरिए भारत की ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं.

कपूर ने बताया कि भारत जानता है कि रूस और चीन उसे अपनी तरफ करने के लिए बेचैन हैं और इसलिए उसने उनके प्रस्तावों ओर विचार करने के लिए सीमा पर पूर्ण रूप से शांति की स्थापना को शर्त बनाया है. दो सालों से चल रहे भारत-चीन सीमा गतिरोध के बीच यह पहली बार है जब दोनों देशों का कोई उच्च अधिकारी दूसरे देश की यात्रा पर गया है.

मई और जून 2020 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर कई इलाकों पर झड़प हुई थी. 15 जून को लद्दाख की गल्वान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई जिसमें भारतीय सेना के कम से 20 सिपाही मारे गए. इस घटना के बाद जल्द ही दोनों देशों ने सीमा के कई बिंदुओं पर भारी संख्या में सेना तैनात कर दी और दोनों देश लगभग युद्ध के मुहाने तक पहुंच गए.

सीमा पर गतिरोध अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और कम से कम दो बिंदुओं पर अभी भी सेनाएं आमने सामने डटी हुई हैं.

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