भारत में कोरोना वायरस के मामले एक करोड़ 80 लाख को पार कर गए हैं और मरने वालों की संख्या इस कदर बढ़ रही है कि कब्र खोदने वाले दिन-रात काम कर रहे हैं.
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गुरुवार को भारत में कोरोनो वायरस के तीन लाख 79 हजार 257 नए मामले आए जबकि 3,645 लोगों की मौत हुई. एक दिन में मौतों की यह सबसे बड़ी संख्या है. दुनिया का दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला देश भारी संकट से गुजर रहा है और अस्पताल और श्मशान-कब्रिस्तान दोनों जगह लाइनें लगी हैं.
24 घंटेकामकररहेहैंकब्रिस्तान
मुंबई में कब्र खोदने का काम करने वाले 52 साल के सैयद मुनीर कमरूद्दीन और उनके साथी लगातार काम कर रहे हैं. वह बताते हैं, "मुझे कोविड से डर नहीं लगता. मैंने पूरे हौसले के साथ काम किया है. यह डर नहीं हौसले का वक्त है. मेरा यही काम है. लाश को ऐम्ब्युलेंस से उतारना और दफ्न करना."
भारत में रोजाना हजारों लोग अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन की तलाश में पहुंच रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे से मदद मांग रहे हैं. जैसे ही किसी अस्पताल में, खासकर आईसीयू में कुछ बिस्तर खाली होते हैं, उन्हें भरने में कुछ मिनट ही लगते हैं.
लहरनेहैरानकिया
भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहाकार के विजयराघवन ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया, "दूसरी लहर की तीव्रता ने हम सबको हैरान किया है. हालांकि हमने अन्य देशों में दूसरी लहर देखी थी लेकिन हमारे पास तो वैक्सीन थी. और किसी अभ्यास में ऐसे संकेत नहीं मिले कि दूसरी लहर में मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ जाएगी."
भारत की सेना ने भी ऑक्सीजन जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई की जिम्मेदारी संभाल ली है. सेना के अस्पताल आम नागरिकों के लिए भी खोले जा रहे हैं. इस बीच एक बड़े उद्योगपति ने समाचार एजेंस रॉयटर्स को कहा है कि मई महीने के मध्य तक ऑक्सीजन की कमी का संकट खत्म हो जाएगा क्योंकि उत्पादन में करीब एक चौथाई की बढ़त होगी और परिवहन व्यवस्था भी कमी को पूरा करने के लिए तैयार होगी.
भारत के सबसे बड़े ऑक्सीजन निर्माता लिंडे प्लेस के मलय बनर्जी ने कहा, "मेरा अनुमान है कि मई के मध्य तक हम परिवहन व्यवस्था को चाक-चौबंद कर लेंगे. इससे हमें देश के अन्य हिस्सों तक सप्लाई पहुंचाने में मदद मिलेगी."
टीकाकरणसेउम्मीद
इस संकट से निपटने में भारत की सबसे बड़ी उम्मीद टीकाकरण की सफलता पर टिकी है. बुधवार से देश के 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीकाकरण का रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया गया है. शनिवार से यह टीकाकरण शुरू हो जाएगा. लेकिन भारत के पास पर्याप्त टीके भी नहीं हैं. इसलिए रजिस्ट्रेशन की कोशिश में बहुत से लोग नाकाम रहे और सोशल मीडिया पर शिकायतें करते नजर आए. रजिस्ट्रेशन के लिए दी गई वेबसाइट भी बार-बार क्रैश होती रही.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
वायरस के आगे हारती जिंदगी
भारत में कोरोना वायरस के संकट का सबसे अधिक प्रभाव देश के कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों में महसूस किया जा रहा है. लाशों का अंतिम संस्कार भी लोग सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं. कब्रिस्तान और श्मशान में जगह कम पड़ रही है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/dpa/picture alliance
अंतिम संस्कार
देश के कई बड़ों शहरों के श्मशान घाटों में लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. लोग शव को अस्पताल से सीधे श्मशान घाट लाते हैं और फिर वहीं उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. बस कुछ ही लोग अंतिम दर्शन कर पाते हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
यह कैसी मौत
कोरोना से जिन लोगों की मौत हो जाती है, अस्पताल प्रशासन शव को परिजन को सौंप देता है. उसके बाद परिजन सीधे उसे कब्रिस्तान या श्मशान घाट ले जाते हैं. प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का पालन करना होता है.
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance
अभूतपू्र्व संकट
भारत इस वक्त अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. देश ने कभी सोचा नहीं था कि उसके कांधे पर इतना बड़ा दुखों का पहाड़ आ जाएगा. बच्चे, बुजुर्ग और जवान कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं.
दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान के कर्मचारी मोहम्मद शमीम कहते हैं कि महामारी के बाद से 1,000 लोगों को यहां दफनाया गया है. वे कहते हैं, "पिछले साल की तुलना में कई और शवों को दफनाने के लिए लाया जा रहा है. जल्द ही यह जगह कम हो जाएगी."
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
लाचार अस्पताल
अस्पतालों में हालात जस के तस हैं. डॉक्टर मरीजों को देख-देख थक चुके हैं. संक्रमण की इस लहर में अस्पतालों में नए मरीजों का आना जारी है. कई बार रोगियों के रिश्तेदारों को चिकित्सा उपकरण और दवाएं खरीदने में बहुत कठिनाई होती है. इन उपकरणों और दवाओं को बाजार में बहुत अधिक कीमत पर अवैध रूप से बेचा जा रहा है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
ऑक्सीजन के लिए भटकते परिजन
अस्पतालों में जिन मरीजों को ऑक्सीजन के सहारे रखा गया है, कई बार उनके रिश्तेदारों को ही अस्पताल की तरफ से ऑक्सीजन का इंतजाम करने को कहा जाता है. परिवार के सदस्य और दोस्त सुबह से लेकर शाम तक कतार में खड़े रहते हैं ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर भरा जा सके. कई बार वे मायूस होकर लौटते हैं और अस्पताल में प्रियजन ऑक्सीजन की कमी से दुनिया को अलविदा कह देता है.
भारत से जैसी तस्वीरें पिछले कुछ दिनों में आई हैं वैसी शायद कभी नहीं आई होंगी. देर रात तक श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार हो रहा है और कब्रिस्तानों में भी सुबह से लेकर रात तक कब्र खोदी जा रही हैं और शवों को दफनाया जा रहा है. कई परिवारों में कोरोना के कारण एक से ज्यादा मौतें हुई हैं.