दलित डिलीवरी बॉय से खाना लेने से इनकार
२० जून २०२२लखनऊ के फूड डिलीवरी बॉय विनीत कुमार रावत ने आरोप लगाया है कि जब वह शनिवार की रात खाना डिलीवर करने पहुंचा तो परिवार ने खाना लेने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि वह दलित है. रावत ने आरोप लगाया कि उसके साथ पिटाई की गई और मुंह पर पान मसाला थूका गया. यह पूरी घटना लखनऊ के आशियाना इलाके की है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पुलिस ने डिलीवरी बॉय के आरोपों को गलत बताया है और कहा है कि झगड़ा गाली को लेकर हुआ था.
पुलिस ने रावत की तहरीर पर दो नामजद और 12 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. लखनऊ पुलिस का कहना है कि रावत खाना पहुंचाने अजय सिंह नाम के ग्राहक के घर पहुंचा तो वह अपने रिश्तेदार को घर छोड़ने जा रहे थे. वो जैसे ही घर से निकले तो डिलीवरी बॉय भी पहुंच गया. रावत ने उनसे घर का पता पूछा.
रावत का आरोप है कि अजय सिंह ने उस पर पान मसाला थूक दिया. लेकिन पुलिस का कहना है अजय ने घर का पता बताने के लिए जैसे ही पान मसाला को थूका तो उसकी कुछ छींटे रावत पर पड़ गईं. इसी को लेकर दोनों के बीच झगड़ा हो गया.
पुलिस का कहना है कि रावत ने उसके बाद 112 पर फोन कर पुलिस को इसकी सूचना दी और मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्ष को थाने जाने को कहा लेकिन रावत पुलिस के साथ नहीं गया और रविवार को उसने एससी-एसटी कानून के तहत अजय सिंह और अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया.
पुलिस का कहना है कि वह रावत के आरोपों की जांच करेगी और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे से मारपीट के आरोपों की भी जांच की जाएगी.
भारत में जातिगत भेदभाव के कई मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. कई बार दलितों को ऊंची जाति वाले इलाके से बारात निकालने से मना कर दिया जाता है तो कई बार उनके साथ जाति के आधार पर हिंसा की भी शिकायतें दर्ज होती हैं.
मई के महीने में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल थाना क्षेत्र के पावती खुर्द गांव के पूर्व मुखिया राजबीर त्यागी ने गांव में रहने वाले दलितों के घर के आगे मुनादी करवाई थी और मुनादी में कहा गया कि दलितों का उनके खेत में और उनके ट्यूबवेल पर प्रवेश वर्जित है. इसके बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी थी.
भारत में आज भी दलित विरोधी मुनादी करवाई जाती है
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में ही दर्ज होते हैं. 2018 से 2020 के बीच, पूरे देश में दलितों पर अत्याचार के 1.3 लाख से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 36,467 मामले उत्तर प्रदेश के थे.
भेदभाव बड़ी समस्या
भेदभाव का मामला सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है. पिछले दिनों गूगल में जातिगत भेदभाव की खबरें आने के बाद दुनियाभर की कई कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने अमेरिकी टेक कंपनी के सीईओ भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को एक खुला पत्र लिखा था. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने एक खबर छापी थी, जिसमें बताया गया था कि दलित कार्यकर्ता और इक्विटी लैब्स नामक संगठन की संस्थापक थेनमोजी सुंदरराजन का गूगल में होने वाला कार्यक्रम इसलिए रद्द कर दिया गया, क्योंकि कंपनी के कर्मचारियों ने उनके खिलाफ अभियान छेड़ दिया था.
थेनमोजी सुंदरराजन दलित अधिकारों के लिए काम करने वाली एक जानीमानी कार्यकर्ता हैं जो अमेरिका में रहती हैं और लंबे समय से जातिगत भेदभाव के खिलाफ काम कर रही हैं. अप्रैल में ‘दलित हिस्ट्री मंथ' के दौरान सुंदरराजन को गूगल न्यूज के कर्मचारियों को दलित अधिकारों और उनके साथ होनेवाले शोषण के बारे में जागरूक करने के लिए बुलाया गया था.