सुप्रीम कोर्ट: पैतृक संपत्ति पर बेटे की तरह बेटी का बराबर हक
११ अगस्त २०२०
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लागू होने से पहले हिस्सेदार की मौत होने पर भी बेटी का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा. कोर्ट ने कहा बेटियां हमेशा बेटियां रहती हैं.
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एक ऐतिहासिक फैसले में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेटियों को भी बेटों की तरह पैतृक संपत्ति में समान हिस्सेदार माना जाएगा. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के लागू होने से पहले ही पिता की मृत्यु हो गई हो, तो भी उनकी बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा. इस महत्वपूर्ण फैसले को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सुनाया है. इस बेंच की अध्यक्षता जस्टिस अरुण मिश्रा कर रहे थे.
जस्टिस मिश्रा ने अपनी टिप्पणी में कहा, "बेटियां हमेशा प्यारी बेटियां होती हैं." दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया जिनमें पूछा गया था कि अगर हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के लागू होने के पहले पिता का देहांत हो गया है तो वह कानून परिवार पर लागू होगा कि नहीं. जस्टिस मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि यह कानून हर परिस्थिति में लागू होगा. हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 बेटियों को पैतृक संपत्ति पर बराबरी का अधिकार देता है.
"बेटियां जीवनभर प्यारी बेटियां रहती हैं."
जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर कानून संशोधन से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी उसकी बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा. जस्टिस मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा, "बेटों की तरह बेटियों को भी बराबर के अधिकार दिए जाने चाहिए. बेटियां जीवनभर प्यारी बेटियां रहती हैं. बेटी अपने पिता की संपत्ति में बराबर हकदार बनी रहती है, भले ही उसके पिता जीवित हों या नहीं."
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि भले ही बेटी की मृत्यु संशोधन से पहले हो गई हो, उसका पिता की संपत्ति पर हक बना रहता है. इसका मतलब ये है कि अगर बेटी के बच्चे चाहें तो वे अपनी मां के पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा कर सकते हैं.
2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 में संशोधन किया गया था और इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने की बात कही गई थी. 5 सितंबर 2005 को संसद ने अविभाजित हिंदू परिवार के उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया था, और यह संशोधित अधिनियम 9 सितंबर 2005 को लागू हो गया था. अब कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि 9 सितंबर 2005 के पहले भी अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो और संपत्ति का बंटवारा बाद में हो रहा हो तब भी बेटी को हिस्सा देना पड़ेगा.
कोस्टा रिका में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाने के बाद, अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
कोस्टा रिका के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वहां 26 मई को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई. इसी के साथ कोस्टा रिका समलैंगिक विवाहों को कानूनी रूप से वैध मानने वाला दक्षिण अमेरिका का आठवां देश बन गया. अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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अमेरिका
अमेरिका में 2004 तक सिर्फ एक राज्य में समलैंगिक विवाह मान्य था, लेकिन 2015 तक सभी 50 राज्यों में कानूनी वैधता मिल चुकी थी. सभी राज्यों में अलग अलग कानून हैं.
यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों में समलैंगिक विवाह मान्य हैं. इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में मान्यता 2014 में मिली थी और नॉर्दर्न आयरलैंड में जनवरी 2020 में. इसके अलावा 14 ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज में से नौ में समलैंगिक विवाह मान्य हैं.
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फ्रांस
फ्रांस में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से मान्य हैं. ये वैधता मेट्रोपोलिटन फ्रांस और फ्रेंच ओवरसीज टेरिटरीज में भी लागू है. फ्रांस में एक सिविल यूनियन योजना नवंबर 1999 से लागू है, जिसके तहत समलैंगिक जोड़े रिश्ता कायम कर सकते हैं.
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जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाहों को अक्टूबर 2017 में मान्यता मिली थी. वैसे देश में समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार सीमित रूप से 2001 से ही प्राप्त थे.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक विवाह दिसंबर 2017 से वैध हैं. कानून पारित होने से पहले पूरे देश में डाक से एक सर्वेक्षण भी कराया गया था, जिसमें 61.6 प्रतिशत लोगों ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का समर्थन किया था.
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ब्राजील
ब्राजील में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से वैध हैं. समलैंगिक रिश्तों को मान्यता 2004 में ही मिल गई थी और विवाह के सीमित अधिकार 2011 में मिल गए थे.
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कनाडा
कनाडा के कुछ प्रांतों में समलैंगिक विवाहों को मान्यता 2003 से ही मिलनी शुरू हो गई थी और जुलाई 2005 में ये वैधता पूरे देश में लागू हो गई.
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नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 को नीदरलैंड्स समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का सबसे पहला देश बन गया था. वहां समलैंगिक जोड़ों के लिए रजिस्टरड पार्टनरशिप जनवरी 1998 से ही उपलब्ध थी.
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दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका का एकमात्र देश है जहां समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्य हैं. यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता नवंबर 2006 में ही मिल गई थी.
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ताइवान
ताइवान में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता मई 2019 में मिली थी. ताइवान यह मान्यता देने वाला एशिया का एकलौता देश है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने जैसे कुछ अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं.
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20 और देश
इसके अलावा समलैंगिक विवाहों को अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और उरुग्वे में भी कानूनी मान्यता प्राप्त है. इनके आलावा मेक्सिको और इस्राएल में सीमित रूप से इन्हें मान्यता दी जाती है.