कोरोना वायरस लॉकडाउन के बावजूद देश में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के बावजूद हिंसा कम नहीं हुई है. महिलाओं के लिए खास व्हॉट्सऐप नंबर भी जारी किया गया है. इसके जरिए वे अपनी शिकायत कर रही हैं.
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भारत में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण लागू है. लेकिन इस बीच महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं. घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने शिकायत के लिए विशेष व्हॉट्सऐप नंबर 7217735372 दस अप्रैल को लॉन्च किया था. यह नंबर लॉन्च करने का मकसद ऐसी महिलाओं की मदद करना था जो ऑनलाइन पोर्टल तक पहुंच नहीं पा रही थी. व्हॉट्सऐप नंबर की मदद से घरेलू हिंसा की पीड़ित महिला शिकायत कर सकती है.
24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए तालाबंदी का ऐलान किया था. 25 मार्च से देश में तालाबंदी लागू है और ऐसे में अधिकतर कंपनियां, फैक्ट्रियां या दफ्तर बंद हैं. कुछ लोग घर से भी काम कर रहे हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 27 फरवरी से लेकर 22 मार्च तक घरेलू हिंसा की 123 शिकायतें मिली थीं जबकि 23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच ऐसी 239 शिकायतें मिली हैं. आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच आयोग को महिला अपराधों से जुड़ी 587 शिकायतें मिलीं जिनमें घरेलू हिंसा से जुड़ी 239 शिकायतें शामिल हैं.
बॉलीवुड और क्रिकेट जगत की हस्तियों ने भी पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी कर लोगों से घरेलू हिंसा को रिपोर्ट करने की अपील की थी. इस वीडियो में विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, माधुरी दीक्षित और विद्या बालन जैसे बड़े बड़े सितारे लोगों को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश देते नजर आ रहे हैं.
जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन महामारी से निपटने के लिए लागू किया गया है, लेकिन महिलाएं अपने घरों में ही सुरक्षित नहीं हैं और उनके साथ घर में हिंसा हो रही है.
बाल दिवस यानि 14 नवंबर 2012 को भारत में लागू हुए पॉक्सो (POCSO) कानून में बच्चों से यौन अपराधों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान है. बच्चों को पहले से सिखाएं कुछ ऐसी बातें जिनसे वे खुद समझ पाएं कि उनके साथ कुछ गलत हुआ.
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सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
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बच्चों को समझाएं
बच्चों को समझाना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है. कोई भी उन्हें या उनके किसी प्राइवेट हिस्से को बिना उनकी मर्जी के नहीं छू सकता. उन्हें बताएं कि अगर किसी पारिवारिक दोस्त या रिश्तेदार का चूमना या छूना उन्हें अजीब लगे तो वे फौरन ना बोलें.
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बच्चों से बात करें
बच्चों को नहलाते समय या कपड़े पहनाते समय अगर वे उत्सुकतावश बड़ों से शरीर के अंगों और जननांगों के बारे में सवाल करें तो उन्हें सीधे सीधे बताएं. अंगों के सही नाम बताएं और ये भी कि वे उनके प्राइवेट पार्ट हैं.
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क्या सही, क्या गलत
ना तो बच्चों को और लोगों के सामने नंगा करें और ना ही खुद उनके सामने निर्वस्त्र हों. बच्चों को नहलाते या शौच करवाते समय हल्की फुल्की बातचीत के दौरान ही ऐसी कई बातें सिखाई जा सकती हैं जो उन्हें जानना जरूरी है.
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बात करें
बच्चों के साथ बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रखें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे आपसे कुछ भी कह सकते हैं और उनकी कही बातों को आप गंभीरता से ही लेंगे. मां बाप से संकोच हो तो बच्चे अपनी उलझन किसी से नहीं कह पाएंगे.
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चुप्पी में छिपा है राज
बच्चों का काफी समय परिवार से दूर स्कूलों में बीतता है. बच्चों से स्कूल की सारी बातें सुनें. अगर बच्चा बेवजह गुमसुम रहने लगा हो, या पढ़ाई से अचानक मन उचट गया हो, तो एक बार इस संभावना की ओर भी ध्यान दें कि कहीं उसे ऐसी कोई बात अंदर ही अंदर सता तो नहीं रही है.
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सही गलत की सीख दें
बच्चों को बताएं कि ना तो उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट्स किसी को दिखाने चाहिए और ना ही किसी और को उनके साथ ऐसा करने का हक है. अगर कोई बड़ा उनके सामने नग्नता या किसी और तरह की अश्लीलता करता है तो बच्चे माता पिता को बताएं.