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जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत का प्रदर्शन बेहतर

२२ नवम्बर २०२४

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई 2025) रिपोर्ट में भारत दसवें स्थान के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है. हालांकि शीर्ष तीन स्थान पर कोई देश नहीं है.

बाकू में दिखाई देता कॉप-29 सम्मेलन का लोगो
सीसीपीआई रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग में पिछले साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई हैतस्वीर: Sergei Grits/AP Photo/picture alliance

जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे 60 से ज्यादा देशों की सूची में भारत दसवें स्थान पर है. हालांकि भारत पिछले साल की तुलना में इस साल दो पायदान नीचे खिसक गया है.

बाकू में वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन कॉप-29 में यह रिपोर्ट जारी की गई है. जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई 2025) की रिपोर्ट में पहले तीन पायदान खाली हैं. सीसीपीआई दुनिया भर में उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु नीति के मामले में देशों की प्रगति पर नजर रखता है.

जलवायु सम्मेलन से नदारद हैं सबसे बड़े प्रदूषक

सीसीपीआई ने यूरोपीय संघ और 63 देशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जो दुनिया में होने वाले 90 फीसदी उत्सर्जन के जिम्मेदार हैं.

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई 2025) की रिपोर्ट में पहले तीन पायदान खाली हैंतस्वीर: Peter Dejong/AP Photo/picture alliance

भारत का प्रदर्शन बेहतर

भारत इस साल दसवें पायदान पर है और बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है. भारत की जलवायु नीति में बदलाव की कम संभावना को देखते हुए सीसीपीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊर्जा की बढ़ती मांग और बढ़ती आबादी की वजह से भारत में जलवायु परिवर्तन से लड़ने की कोशिशों में तेजी आने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा का कम उपयोग किया जाता है. इसके अलावा भारत ने ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल में तेजी दिखाई है.

भारत समेत दुनियाभर में उत्सर्जन का नया रिकॉर्ड

भारत में एक व्यक्ति औसतन 2.9 टन कॉर्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर (tCO2e) उत्सर्जन करता है जो वैश्विक औसत (6.6 tCO2e) से काफी कम है. भारत के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि देश ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन और 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है.

भारत ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया हैतस्वीर: Peter Dejong/AP/picture alliance

कोयले का इस्तेमाल चिंता का विषय

भारत ने पिछले कुछ सालों में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं और रूफटॉप सोलर योजना के साथ अक्षय ऊर्जा की दिशा में काफी प्रगति की है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों खासकर दोपहिया के इस्तेमाल में तेजी से आगे बढ़ रहा है. हालांकि भारत पर कोयले की निर्भरता चिंता का विषय है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडार वाले दस देशों में से एक है. भारत कोयले का उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है.

जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहा स्विट्जरलैंड

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पहले तीन पायदान खाली

रिपोर्ट में शीर्ष तीन जगहों पर कोई देश नहीं पहुंच पाया. किसी भी देश ने सभी श्रेणियों में इतना बेहतर प्रदर्शन नहीं किया कि उसे बहुत अच्छी रेटिंग हासिल हो सके. जी20 देशों की बात करें तो केवल भारत और ब्रिटेन ही बढ़िया प्रदर्शन करने वाले दो देश हैं.

भारत के अक्षय ऊर्जा उद्योग में कुशल कामगारों की कमी

इस साल सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में अर्जेंटीना रहा, जिसे 59वां स्थान हासिल हुआ. अर्जेंटीना ने बाकू में आयोजित कॉप29 में शामिल होने से भी इनकार कर दिया था.

कौन रहे शीर्ष पर

चौथे स्थान के साथ डेनमार्क टॉप पर रहा, उसके बाद क्रमशः नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम पांचवें और छठे स्थान पर रहे. पिछले साल की तुलना में यूके का प्रदर्शन इस बार सबसे बेहतर रहा.

दुनिया के सबसे बड़े उत्सर्जक चीन को 55वीं रैंक हासिल हुई, जबकि दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक अमेरिका 57वें नंबर पर रहा.

दुनिया में सबसे ज्यादा तेल उत्पादन करने वाले देश रिपोर्ट में सबसे नीचे रहे. रूस (64वें), संयुक्त अरब अमीरात (65वें), सऊदी अरब (66वें) और ईरान (67वें) सबसे नीचे रहा.

रिपोर्ट: आयुष यादव

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