यूपी समेत पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा और 15 जनवरी तक रैलियों पर रोक के बाद राजनीतिक दल वर्चुअल रैलियों में जोर आजमाइश कर रहे हैं लेकिन बीजेपी के अलावा अन्य सभी पार्टियां इसके लिए खुद को सहज नहीं पा रही हैं.
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ये चुनाव ऐसे माहौल में हो रहे हैं जब भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर की भयावहता दस्तक दे रही है और भारत में भी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.
भारत में हर दिन एक लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि शायद चुनाव आयोग चुनाव की तिथियों को कुछ समय तक के लिए टाल दे लेकिन आयोग ने एहतियाती कदमों के साथ चुनाव कराने का फैसला लिया और राजनीतिक दलों पर भी कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं. इन पाबंदियों में चुनावी रैलियों को 15 जनवरी तक स्थगित करने जैसे कई बड़ी पाबंदियां लागू की गई हैं. चुनाव आयोग ने तब तक के लिए राजनीतिक दलों को सिर्फ वर्चुअल रैलियों की इजाजत दी है.
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए कब डाले जाएंगे वोट
भारतीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनावों की तिथि का ऐलान कर दिया है. जानिए कैसे होंगे उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव. पांचों राज्यों के नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
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उत्तर प्रदेश
403 विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मतदान होगा. बीजेपी की सरकार वाले यूपी में 10, 14, 20, 23, 27 फरवरी और 3 व 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे. राज्य में मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है.
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सीएपीएफ की 150 कंपनियां
चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश को पहले चरण के चुनावों के लिए केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बल (CAPF) की 150 कंपनियां दी जाएंगी. 10 जनवरी को 11,000 जवान मार्च करेंगे.
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पंजाब
117 सीटों वाली पंजाब विधासभा के लिए 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के दिन वोट डाले जाएंगे. फिलहाल पंजाब में कांग्रेस की सरकार है. नई सरकार बनाने के लिए अकाली दल, कांग्रेस, बीजेपी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस जोर लगाएंगे.
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उत्तराखंड
70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में एक ही दिन में मतदान पूरा हो जाएगा. बीजेपी शासित राज्य में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. राज्य में 5.37 लाख नए मतदाता हैं.
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गोवा
40 सीटों वाली गोवा विधानसभा के लिए भी मतदान 14 फरवरी को ही होगा. गोवा में अभी बीजेपी की सरकार है. गोवा में मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच है.
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मणिपुर
पूर्वोत्तर भारत के राज्य मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में वोट डाले जाएंगे. मतदान की तिथि 27 फरवरी और तीन मार्च होगी. मणिपुर में फिलहाल बीजेपी, नेशनल पीपल्स पार्टी, एलजेपी और नागा पीपल्स फ्रंट की गठबंधन सरकार है.
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आदर्श आचार संहिता लागू
चुनावों के ऐलान के साथ ही पांच राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. अब नेता चुनाव प्रचार के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. किसी भी राज्य में सरकारी घोषणाएं या उद्धाटन नहीं होंगे. साथ ही रैली करने से पहले स्थानीय प्रशासन की इजाजत लेनी होगी.
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चुनाव क्यों जरूरी
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के मुताबिक भारतीय संविधान का अनुच्छेद 172 (1) किसी की प्रांतीय विधानसभा को अधिकतम पांच साल का समय देता है. चुनाव आयोग के मुताबिक इसी अनुच्छेद के चलते समय पर चुनाव कराने जरूरी हैं.
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चुनाव ड्यूटी के लिए वैक्सीनेशन
चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर माना जाएगा और एहतियात के तौर पर उन्हें वैक्सीन की एक और डोज दी जाएगी.
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समाजवादी पार्टी ने डिजिटल रैलियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बीजेपी के लोग सारे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कब्जा जमाए हुए हैं और अन्य पार्टियों के लिए इतने खर्चीले माध्यम से प्रचार करना संभव नहीं है. अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को डिजिटल प्रचार के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की भी मांग की है.
बीजेपी पहले से तैयार
बीजेपी का कहना है कि वो इसके लिए पूरी तरह से तैयार है. अभी पिछले दिनों यूपी की यात्रा पर आए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि बीजेपी वर्चुअल रैली के लिए पूरी तरह से तैयार है. वैसे भी बीजेपी के लिए यह पहला अनुभव नहीं है बल्कि पश्चिम बंगाल चुनाव में वर्चुअल रैली के जरिए वो प्रचार कर चुकी है.
कोविड संक्रमण के दौरान जब दूसरी राजनीतिक पार्टियां निष्क्रिय थीं, उस दौरान भी बीजेपी के कार्यकर्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रचार अभियान में लगे थे. यूपी में हुए पंचायत चुनाव में भी बीजेपी प्रचार कार्य में सब पर हावी रही. जहां तक यूपी और अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की बात है तो डिजिटल स्तर पर प्रचार कार्य में बीजेपी अन्य पार्टियों की तुलना में कहीं आगे दिख रही है. वर्चुअल रैलियों के लिए भी सबसे ज्यादा संसाधन उसी के पास हैं.
फिलहाल बीजेपी वर्चुअल रैलियों के लिए 3 डी तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है, वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी आम लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. जहां तक बीजेपी का सवाल है तो वो चुनाव घोषणा से पहले ही कई बड़ी रैलियां कर चुकी है.
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उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 दौरे कर चुके हैं और इस दौरान उन्होंने राज्य के हर हिस्से में कई बड़ी रैलियों को संबोधित किया. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भी लगभग हर जिले का दौरा कर चुके हैं और प्रधानमंत्री के साथ भी उन्होंने रैलियों को संबोधित किया है. इनके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे नेताओं के भी कई दौरे हो चुके हैं.
बाकी पार्टियों का संघर्ष
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने भी इस दौरान कई रोड शो और सभाएं की हैं. अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी की सभाओं में काफी भीड़ भी देखी गई. वर्चुअल रैली के जरिए ये दोनों पार्टियां इतनी बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच पाएंगी, ऐसी उम्मीद कम ही है.
बीजेपी आईटी सेल से जुड़े एक नेता बताते हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चुनावी युद्ध जीतने के लिए बीजेपी कमर कस चुकी है और उसकी तैयारी काफी मजबूत है. उनके मुताबिक, "3 डी स्टूडियो के जरिए दो अलग-अलग जगहों पर बैठे नेताओं को पोडियम पर दिखाया जा सकता है. इसके अलावा पार्टी की योजनाओं से जुड़े संदेश लाखों वाट्सऐप ग्रुप्स में प्रसारित किए जा रहे हैं. हजारों ट्विटर हैंडल बने हुए हैं और फेसबुक पेज भी. इन सबका उपयोग वर्चुअल रैलियों की सूचना के लिए भी किया जा सकता है.”
स्वास्थ्य सेवाएं देने में कौन सा राज्य अव्वल
नीति आयोग ने राज्य स्वास्थ्य सेवा सूचकांक 2021 जारी किया है. इस सूचकांक में दक्षिण के राज्यों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. जानिए, किस राज्य का रहा बेहतर प्रदर्शन.
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केरल
स्वास्थ्य सेवाएं देने के मामले में केरल एक नंबर स्थान पर है.
रिपोर्ट को तीन भागों में बांटा गया था. बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश. छोटे राज्यों में मिजोरम सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला राज्य था और नागालैंड सबसे नीचे था. बड़े राज्य में तेलंगाना तीसरे नंबर पर रहा.
नीति आयोग ने विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की मदद से रिपोर्ट तैयार की है. आंध्र प्रदेश 70 अंकों के साथ चौथे पायदान पर है.
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र 69.14 अंकों के साथ पांचवें स्थान पर है.
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उत्तरी राज्य पिछड़े
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं देने के मामले में उत्तर प्रदेश 19वें स्थान पर हैं.
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बिहार-मध्य प्रदेश की हालत भी खराब
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार और मध्य प्रदेश की स्थिति भी खराब है.
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दिल्ली का हाल
केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में दिल्ली के बाद जम्मू और कश्मीर ने सबसे अच्छा क्रमिक प्रदर्शन किया है.
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चौथी बार जारी हुआ सूचकांक
नीति आयोग ने चौथी बार ये स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया है. नीति आयोग के मुताबिक हेल्थ इंडेक्स के लिए चार दौर का सर्वे किया गया है और इस आधार पर अंक दिए गए हैं. चारों दौर में केरल शीर्ष पर रहा है.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
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हालांकि ये तकनीक अन्य पार्टियां भी इस्तेमाल कर रही हैं और सोशल मीडिया ग्रुप्स कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के भी बने हुए हैं लेकिन सबसे मजबूत सोशल मीडिया तंत्र बीजेपी का ही है, इसमें संदेह नहीं.
हालांकि बीजेपी सिर्फ इसी पर निर्भर नहीं है बल्कि उसके कार्यकर्ता 4-5 लोगों के समूह में घर-घर जाने और पार्टी की नीतियों का प्रसार करने के अभियान में लग गए हैं. बीजेपी के पास स्थानीय स्तर पर प्रचार के लिए वॉर रूम भी हैं जहां बैठी टीमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की मदद से जनता का समर्थन जुटा रही हैं.
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इंटरनेट ना होने की चुनौती
समाजवादी पार्टी भी अपने कार्यकर्ताओं को डिजिटल रूप से प्रशिक्षण दे रही और साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी का सोशल मीडिया वॉर रूम सक्रिय था. रैलियों के लिए कार्यकर्ताओं के पास यूट्यूब के लिंक भेजने का प्रयोग सपा और कांग्रेस भी करती हैं. बीएसपी और आम आदमी पार्टी भी अपने नेताओं के कार्यक्रमों से कार्यकर्ताओं को डिजिटली जोड़ने का हरसंभव प्रयत्न करते हैं.
लेकिन गांवों में इंटरनेट की सीमित मौजूदगी और गुणवत्ता राजनीतिक दलों के डिजिटल प्रचार कार्यक्रमों में आड़े आ रही है. यही नहीं, यूपी के कुल मतदाताओं में 45 फीसदी हिस्सेदारी महिला मतदाताओं की है जिनमें बहुत सी महिलाएं उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से ही आती हैं. यहां महिलाएं फोन का सीमित उपयोग करती हैं और उतनी शिक्षित भी नहीं हैं.
क्या है आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरूआत की. इसकी मदद से मरीज और डॉक्टर अपने रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं.
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हेल्थ आईडी
पूरे देश में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत हर नागरिक की हेल्थ आईडी तैयार की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन को लॉन्च करते हुए कहा, "आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा."
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स्वास्थ्य सेवा को डिजिटल बनाना
सरकार का कहना है कि इस मिशन का सबसे बड़ा लाभ देश के गरीबों और मध्यम वर्ग को होगा. मरीज को देश में कहीं पर भी ऐसा डॉक्टर ढूंढने में आसानी होगी, जो उसकी भाषा भी जानता और समझता है और उसकी बीमारी का बेहतर इलाज का अनुभव रखता है.
तस्वीर: DW/P. Samanta
मरीज और डॉक्टर का संपर्क
मोदी ने मिशन के लॉन्च के दौरान कहा कि इससे मरीजों को देश के किसी कोने में भी मौजूद स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करने की सहूलियत बढ़ेगी. सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, बल्कि बेहतर टेस्ट के लिए लैब्स और दवा दुकानों की भी पहचान आसानी से संभव हो पाएगी.
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फाइल से छुटकारा
यूनिक हेल्थ कार्ड के बनने पर मरीजों को डॉक्टर के पास फाइल नहीं ले जानी होगी. उनके सारे रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध होंगे.
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पायलट प्रोजेक्ट
फिलहाल यह मिशन अपने शुरुआती चरण में छह केंद्र शासित अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, लद्दाख, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, दादरा नगर हवेली और दमन दीव में चलाया जा रहा है. इसे अब पूरे देश में शुरू किया गया है.
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दो करोड़ लोग ले चुके हैं लाभ
सरकार का कहना है कि अभी तक 2 करोड़ से अधिक देशवासियों ने इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठाया है और खास बात यह है कि इसमें आधी लाभार्थी महिलाएं हैं.
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जहां तक डिजिटल प्रचार के जरिए राजनीतिक लाभ और नुकसान की बात है तो जानकारों का कहना है कि इसका मतदाताओं के वोटिंग पैटर्न पर कोई खास असर नहीं होने वाला है. वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, "वर्चुअल रैलियों का भी वही महत्व है जो वास्तविक रैलियों का है. रैली में जितने लोग आते हैं वो सभी उसी पार्टी को वोट तो देते नहीं हैं. इसलिए ऐसा नहीं है कि जो पार्टी मतदाताओं तक सबसे ज्यादा पहुंचेगी, उसे ही सबसे ज्यादा वोट मिलेगा. हां, यह बात जरूर है कि वो ज्यादा मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचा सकेगी. लेकिन मतदाताओं का रुख वोटिंग के लिए पहले से ही तय होता है. जो पार्टियां यदि अपने मतदाताओं के अलावा दूसरी पार्टियों के मतदाताओं को अपनी ओर करने में सफल हुईं, डिजिटल प्रचार माध्यम का असली लाभ वही उठा पाएंगी.”