पिछले सप्ताह सऊदी अरब ने एक बैंक नोट जारी किया था जिसमें भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया गया था. भारत सरकार ने सऊदी अरब से इस गलती को सुधारने को कहा है. यह नोट जी-20 की बैठक को लेकर जारी किए गए हैं.
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भारत सरकार ने गुरुवार, 29 अक्टूबर को सऊदी अरब से गलती को सुधारने के लिए कहा जिसमें खाड़ी देश ने जी-20 बैंक नोट में भारत की सीमाओं का गलत चित्रण किया था. भारत सरकार ने सऊदी से नक्शे को ठीक करने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की है. दरअसल नए 20 रियाल के नोट पर प्रिंट किए गए वैश्विक मानचित्र में जम्मू-कश्मीर और लेह को भारत के हिस्से के रूप में नहीं दिखाया गया है और इसी पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है.
सऊदी अरब की अगुवाई में हाल ही में जी-20 की बैठक होने वाली है और उसी मौके पर सऊदी ने 20 रियाल का नया नोट जारी किया है. इस नए नोट में किंग सलमान की तस्वीर, जी-20 सऊदी समिट का लोगो और जी-20 देशों का नक्शा दिखाया गया है. सऊदी अरब मौद्रिक प्राधिकरण ने इस नोट को 24 अक्टूबर को छापा था. जी-20 की वर्चुअल बैठक 21-22 नवंबर को होने वाली है और नक्शे को लेकर बैठक से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा, "हमने सऊदी अरब को नई दिल्ली में उनके राजदूत के माध्यम से और रियाद में भी अपनी गंभीर चिंता से अवगत करा दिया है और सऊदी अरब से कहा है कि इस बारे में जल्द सही कदम उठाएं." साथ ही उन्होंने कहा, "मैं फिर एक बार कहना चाहूंगा कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण हिस्सा भारत का अभिन्न हिस्सा है."
गौरतलब है कि इसी नक्शे में जम्मू और कश्मीर, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भी शामिल है उसे एक अलग हिस्सा दिखाया गया है. यानी उसे ना भारत और ना ही पाकिस्तान का हिस्सा दर्शाया गया है. हालांकि पाकिस्तान सऊदी अरब का करीबी माना जाता है लेकिन भारत के रिश्ते हर लिहाज से सऊदी के साथ हाल के समय में मजबूत हुए हैं.
एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन - दशकों से भारत सीमा विवाद में उलझा हुआ है. भारत की ही तरह दुनिया में और भी कई देश सीमा विवाद का सामना कर रहे हैं.
अर्मेनिया और अजरबाइजान
इन दोनों देशों के बीच नागोर्नो काराबाख नाम के इलाके को ले कर विवाद है. यह इलाका यूं तो अजरबाइजान की सीमा में आता है और अंतरराष्ट्रीय तौर पर इसे अजरबाइजान का हिस्सा माना जाता है. लेकिन अर्मेनियाई बहुमत वाले इस इलाके में 1988 से स्वतंत्र शासन है लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है.
तुर्की और ग्रीस
इन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह जमीन नहीं, बल्कि पानी है. ग्रीस और तुर्की के बीच भूमध्यसागर है. माना जाता है कि इस सागर के पूर्वी हिस्से में दो अरब बैरल तेल और चार हजार अरब क्यूबिक मीटर गैस के भंडार हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार चाहते हैं.
इस्राएल और सीरिया
1948 में इस्राएल के गठन के बाद से ही इन दोनों देशों में तनाव बना हुआ है. सीमा विवाद के चलते ये दोनों देश तीन बार एक दूसरे के साथ युद्ध लड़ चुके हैं. सीरिया ने आज तक इस्राएल को देश के रूप में स्वीकारा ही नहीं है.
चीन और जापान
इन दोनों देशों के बीच भी सागर है जहां कुछ ऐसे द्वीप हैं जिन पर कोई आबादी नहीं रहती है. पूर्वी चीन सागर में मौजूद सेनकाकू द्वीप समूह, दियाऊ द्वीप समूह और तियायुताई द्वीप समूह दोनों देशों के बीच विवाद की वजह हैं. दोनों देश इन पर अपना अधिकार जताते हैं.
तस्वीर: DW
रूस और यूक्रेन
वैसे तो इन दोनों देशों का विवाद सौ साल से भी पुराना है लेकिन 2014 से यह सीमा विवाद काफी बढ़ गया है. यूक्रेन सीमा पर दीवार बना रहा है ताकि रूस के साथ आवाजाही पूरी तरह नियंत्रित की जा सके. इस दीवार के 2025 में पूरा होने की उम्मीद है.
चीन और भूटान
भूटान की सीमा तिब्बत से लगती थी लेकिन 1950 के दशक के अंत में जब चीन ने इसे अपना हिस्सा घोषित कर लिया, तब से चीन भूटान का पड़ोसी देश बन गया. चीन भूटान के 764 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है.
चीन और भारत
भारत और चीन के बीच 3,440 किलोमीटर लंबी सीमा है जिस पर कई झीलें और पहाड़ हैं. इस वजह से नियंत्रण रेखा को ठीक से परिभाषित करना भी मुश्किल है. हाल में गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच जो झड़प हुई वह पिछले कई दशकों में इस सीमा विवाद का सबसे बुरा रूप रहा.
पाकिस्तान और भारत
1947 में आजादी के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद की वजह बना हुआ है. इतने साल बीत जाते के बाद भी दोनों देश इस मसले को सुलझा नहीं पाए हैं. भारत इसे द्विपक्षीय मामला बताता है और वह किसी भी तरह का अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप नहीं चाहता है.