असम में बाढ़ के कारण छह गैंडों की मौत
१० जुलाई २०२४भारत के असम राज्य में बाढ़ न केवल हजारों गांवों के लिए विनाशकारी साबित हुई, बल्कि बाढ़ ने एक राष्ट्रीय उद्यान को भी अपनी चपेट में ले लिया. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में एक बयान में कहा कि बाढ़ का प्रभाव अब कुछ हद तक कम होने लगा है. उन्होंने कहा, "ब्रह्मपुत्र और उससे जुड़ी नदियों में जल स्तर बहुत खतरनाक स्तर से नीचे आ गया है."
दक्षिण एशियाई क्षेत्र में जून से सितंबर तक होने वाली मॉनसूनी बारिश गर्मी की तीव्रता को कम करने और पानी की उपलब्धता में सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन दूसरी ओर माॉनसून बड़े पैमाने पर लोगों को नुकसान पहुंचाने का कारण भी बनता है. हर साल बाढ़ के कारण लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ता है.
हर साल बाढ़ का कहर
हाल के सालों में बारिश और बाढ़ की तीव्रता में वृद्धि हुई है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि गंभीर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन ऐसी समस्याओं को बढ़ा रहे हैं. जैसे-जैसे पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ का जल स्तर कम हो रहा है, क्षेत्र के वन्य जीवन पर आपदा के विनाशकारी प्रभाव साफ होने लगे हैं. असम का काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान विशेष रूप से प्रभावित हुआ है.
असम के मुख्यमंत्री के मुताबिक, "बाढ़ ने इंसान और जानवर दोनों को समान रूप से प्रभावित किया है." सरमा ने सोशल मीडिया पर बाढ़ के पानी में फंसे एक गैंडे के बच्चे का वीडियो भी पोस्ट किया, जिसकी ठुड्डी पानी में डूबी हुई थी. सरमा ने लिखा कि उन्होंने अधिकारियों को उसे रेस्क्यू करने के निर्देश दिए थे.
बाढ़ के कारण जंगली जानवरों की मौत
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष ने बताया कि अब तक काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ के पानी में डूबने से छह गैंडे, 100 हॉग डियर और दो सांभर की मौत हो गई जबकि 17 हॉग डियर, एक-एक स्वॉम्प डियर, रीसस मैकाक और ऊदबिलाव की देखभाल के दौरान मौत हो गई.
उद्यान प्राधिकरण और वन विभाग ने बाढ़ के दौरान 97 जंगली जानवरों को बचाने में भी कामयाबी हासिल की है. राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है लेकिन 233 में से 69 वन शिविर अभी भी पानी में डूबे हुए हैं.
विश्व के एक सींग वाले गैंडों की कुल संख्या का दो-तिहाई हिस्सा भारत के काजीरंगा पार्क में पाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संगठन के अनुसार, एक सींग वाले गैंडे की प्रजाति अपने अस्तित्व के लिए इतने गंभीर खतरे का सामना कर रही है कि विश्व संगठन ने इस प्रजाति का नाम अपनी लाल सूची में शामिल कर लिया है.
2018 की गणना के अनुसार काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 2,413 गैंडे हैं. यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा में लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिससे जल आपूर्ति को फिर से भरने और पार्क के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है.
एए/वीके(एएफपी)