खेतों पर होने वाले टिड्डियों के हमले से किसान ही नहीं बल्कि सरकार और वैज्ञानिक भी परेशान हैं. भारत के साथ पाकिस्तान के किसान भी टिड्डी दल के हमले को लेकर चिंतित हैं.भारत अब इससे निपटने के लिए ड्रोन खरीदने जा रहा है.
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टिड्डियों के हमले से होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए भारत ड्रोन और खास तरह के दूसरे उपकरण खरीदने जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि इन उपकरणों का इस्तेमाल टिड्डियों पर नजर रखने के लिए किया जाएगा. साथ ही कीटनाशकों का छिड़काव कर फसलों को बचाने की कोशिश की जाएगी. साल की शुरुआत में अधिकारी रेगिस्तानी टिड्डियों के प्रकोप को नियंत्रित करने में सफल रहे थे लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में टिड्डियों के हमले ने भारत में गेहूं और तिलहन जैसी फसलों की सुरक्षा को लेकर उनकी की चिंता बढ़ा दी है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को एक सूत्र ने जानकारी दी, "भारी मात्रा में कीटनाशक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा हम ड्रोन और स्प्रेयर खरीद रहे हैं ताकि हमले से निपटने में तत्परता बरती जा सके." टिड्डी एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती है और एक व्यस्क टिड्डी अपने वजन के बराबर का खाना खा सकती है. एक अनुमान के मुताबिक, एक बहुत छोटा झुंड एक दिन में करीब 35,000 लोगों का खाना खा जाता है.
टिड्डी दल के हमले के कारण फसलों और चारागाहों को व्यापक नुकसान पहुंचा है. कई देशों में खाद्य सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो गया है. भारतीय महासागर, पूर्वी अफ्रीका जिनमें सोमालिया, इथियोपिया, केन्या इरिट्रिया और जिबूती में टिड्डियों के हमले का सामना करना पड़ा है. यही नहीं टिड्डी दल तंजानिया, युगांडा और अब दक्षिण सूडान तक पहुंच चुके हैं. हाल ही में पाकिस्तान ने टिड्डियों के झुंड के हमले के मद्देनजर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी. पिछले दो दशक में पाकिस्तान टिड्डियों के हमले के सबसे खराब दौर का सामना कर रहा है.
भारत में एक अधिकारी ने बताया कि सरकार पश्चिमी और उत्तरी राज्यों के संवेदनशील इलाकों में अधिकारियों को भेज कर यह आकलन करने की कोशिश कर रही है कि स्थानीय अधिकारी टिड्डियों के किसी भी संभावित हमले से निपटने के लिए किस तरह से तैयारी कर रहे हैं. सूत्र ने बताया कि, "हम पाकिस्तान की स्थिति पर भी नजर बनाए हुए हैं." सूत्र का कहना है कि भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारी पूरी स्थिति की समीक्षा के लिए कई बार मिल भी चुके हैं. जब सरकारी अधिकारी से यह पूछा गया कि क्या भारत टिड्डियों से निपटने के लिए पाकिस्तान को कीटनाशक की सप्लाई करेगा तो उस अधिकारी ने कहा, "अब तक सरकार को पाकिस्तान से ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला है."
भारत पहले से ही कई देशों को कीटनाशक बेच रहा है. नाम नहीं बताने की शर्त पर कीटनाशक कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, "अगर पाकिस्तान को जरूरत है और हमारी सरकार इसकी इजाजत देती है तो हम सप्लाई के लिए तैयार हैं. कई देशों में हमारे उत्पादन इकाइयां हैं. मांग को देखते हुए हम विशेष कीटनाशक के उत्पादन को बढ़ा भी सकते हैं." राजस्थान और गुजरात के कई गांव जो कि पाकिस्तान की सीमा से सटे हैं, वह टिड्डियों के हमले को लेकर खासतौर पर ज्यादा संवेदनशील माने जाते हैं.
इसके पहले सबसे खतरनाक हमला 1993 में हुआ था. उस वक्त भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भारी बारिश के कारण टिड्डियों के लिए प्रजनन कीअनुकूल स्थिति बन गई थी.
कैसे टिड्डियां मिनटों में कर देती हैं करोड़ों की खेती चौपट?
कैसे टिड्डियां मिनटों में कर देती हैं करोड़ों की खेती चौपट?
टिड्डियों के हमले की वजह से अफ्रीका और दक्षिण एशिया बुरी तरह परेशान हैं. पाकिस्तान ने टिड्डी हमले के चलते आपातकाल लगा दिया है. वहीं राजस्थान में कई मंत्रियों और सांसदों ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Curtis
क्या होती है टिड्डी?
टिड्डी एक 6-8 सेंटीमीटर आकार का एक कीड़ा होता है जो हमेशा समूह में चलता है. ये समूह फसलों को चट करता चलता है. टिड्डी हर दिन अपने वजन के बराबर खाना खा सकता है. इसलिए जब हजारों टिड्डियों का एक दल आगे बढ़ता है तो वह फसल के लिए बड़ा खतरा बन जाता है.
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कितने टिड्डी?
संयुक्त राष्ट्र के संगठन फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर इलाके में 8 करोड़ टिड्डी हो सकते हैं. एक साथ चलने वाला टिड्डियों का एक झुंड एक वर्ग किलोमीटर से लेकर कई हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला हो सकता है. एक टिड्डी पांच महीने तक जी सकता है. इनके अंडों से दो सप्ताह में बच्चे निकल सकते हैं. दो से चार महीनों का समय इनकी जवानी का समय होता है.
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कितने बुरे हैं टिड्डी?
टिड्डी चुनकर खाना नहीं खाते. वे अपने रास्ते में आने वाली हर खाने वाली चीज को खा सकते हैं. टिड्डों का एक औसत झुंड एक दिन में 19.2 करोड़ किलोग्राम पौधों और फसलों को चट कर सकता है. टिड्डी दल एक दिन में 5 से 130 किलोमीटर का इलाका कवर कर सकते हैं. केन्या, इथियोपिया और सोमालिया में तो टिड्डी दल इतने घने हैं कि उनके पार कुछ नहीं दिख रहा.
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कौन-कौन प्रभावित?
टिड्डी दल का प्रभाव एक महाद्वीप से निकल दूसरे महाद्वीप तक पहुंचने लगा है. अफ्रीका के इथियोपिया, युगांडा, केन्या, दक्षिणी सूडान से आगे निकलकर ये टिड्डी यमन और ओमान होते हुए पाकिस्तान और भारत तक पहुंच गए हैं. पाकिस्तान में टिड्डियों के चलते आपातकाल लगाया गया है. भारत में राजस्थान और गुजरात के किसानों के हालात टिड्डी के चलते बुरे हुए हैं.
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कैसे आए इतने टिड्डी?
इस इलाके में सालों तक पड़े सूखे और उसके बाद आई भारी बारिश और बढ़ते तापमान ने टिड्डियों के जनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा की. अच्छी बारिश की वजह से इन इलाकों में हरियाली भी बढ़ी है. हरियाली बढ़ना भी टिड्डियों के प्रजनन में बढ़ोत्तरी में एक बड़ी वजह है. इन देशों में टिड्डियों को रोकने के सही इंतजाम भी नहीं हैं. इसके चलते इनमें तेज बढ़ोत्तरी हुई है.
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रोकने के लिए क्या हो रहा है?
टिड्डियों को रोकने के लिए एक आम तरीका तेज आवाज का इस्तेमाल है. लेकिन जरूरी नहीं कि इससे टिड्डी आगे ना बढ़ें . कई बार तेज आवाज से टिड्डी तेजी से आगे बढ़ते हैं. दूसरा तरीका इन्हें खाने का है. दुनिया के कई इलाकों में इन्हें खाया भी जाता है. लेकिन उससे इनकी संख्या पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. यूएन ने टिड्डी मारक कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 10 मिलियन डॉलर दिए हैं. लेकिन अभी भी 70 मिलियन डॉलर की जरूरत है.
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आतंकवाद भी एक मुश्किल
केन्या में पांच हवाई जहाजों को कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए लगाया गया है. ये कीटनाशक इंसानों के लिए खतरा नहीं हैं. इथियोपिया में चार विमान कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं. सोमालिया में भी इस तरह के कदम उठाए गए हैं. लेकिन कई जगह अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जैसे अल शबाब राहत पहुंचाने के काम में अड़ंगा डाल रहे हैं.