शिमला में एक मंदिर गिरने की वजह से कम से कम नौ लोगों की मौत की खबर है. हिमाचल प्रदेश में अब तक हुई भयंकर बारिश के चलते जान-माल का भारी नुकसान हुआ है.
विज्ञापन
हिमाचल प्रदेश में बारिश से आई बाढ़ और जमीन खिसकने की घटनाओं में कम से कम 16 जानें गई हैं. एक टीवी चैनल की खबर के मुताबिक सोलन जिले में बादल फटने से चार बच्चों समेत सात लोगों की मौत हुई. शिमला के समर हिल में इतनी ज्यादा बारिश हुई कि खिसकती हुई जमीन ने एक मंदिर को अपनी चपेट में लिया, जिसके ढहने से नौ लोग मारे गए. कई जिलों में लगातार 55 घंटों तक बारिश होने की खबर है. भारतीय मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के कईं इलाके ऐसे हैं जहां पिछले 24 घंटों के दौरान 273 मिलीमीटर यानी 10.75 इंच बारिश हुई है.
असामान्य बारिश और पिघलते ग्लेशियर बढ़ी वजह हैं जिनके चलते अचानक बाढ़ आने की घटनाएं भारत, पाकिस्तान और नेपाल को परेशान किए हुए हैं. पिछले दो सालों के भीतर यह बहुत ज्यादा हुआ है और सरकार जलवायु परिवर्तन पर दोष मढ़ती है.
राहत कार्य
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने शिमला में भू-स्खलन प्रभावित इलाके का दौरा किया. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे घरों के अंदर ही रहें और खतरे वाले इलाकों में ना जाएं. सोशल साइट एक्स पर ट्वीट किए गए एक वीडियो में उन्होंने मरने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि स्थानीय प्रशासन राहत कर्मियों के साथ मिलकर मलबे को हटा रहा है ताकि नीचे दबे लोगों को बचाया जा सके.
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने कहा है कि बाढ़ और भूस्खलन से हुई टूट-फूट के बाद फैले मलबे में कम से कम 15 से 20 लोगों के दबे होने की आशंका है. सोलन जिले में तीन लोग लापता हैं जबकि छह अन्य को बचा लिए जाने की रिपोर्ट है. प्रशासन ने स्कूल और कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया है. इलाके में 700 से ज्यादा सड़कें बंद कर दी गई हैं.
होती रहेगी बारिश
हिमाचल प्रदेश में फिलहाल बारिश जारी रहने का अनुमान है. रविवार को भारतीय मौसम विभाग ने प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भयंकर बारिश की भविष्यवाणी करते हुए रेड अलर्ट जारी किया. यह अनुमान उत्तराखंड के लिए भी है. विभाग का कहना है कि इस तरह की बेहिसाब बारिश के लिए पश्चिमी विक्षोभ जिम्मेदार है. अनुमान है हिमाचल प्रदेश के चंबा, कांगड़ा, हमीरपुर, मंडी, बिलासपुर, सोलन, शिमला, कुल्लू और सिरमौर में बहुत ज्यादा बारिश होगी.
हालांकि हिमाचल के लिए इस तरह का भयंकर मॉनसून नया नहीं है लेकिन अकेले इसी साल, 257 मौतें हो चुकी हैं और करोड़ों रुपए की संपत्ति बर्बाद हुई है. जानकार कहते हैं कि ये तबाही, हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का असर भी दिखाता है. बढ़ते पारे से ग्लेशियर पिघल रहे हैं मौसम का मिजाज बिगड़ा है.
दिल्ली में बाढ़ के अभूतपूर्व हालात
यमुना नदी में पानी का स्तर ज्यादा बढ़ जाने के बाद दिल्ली के कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है. माना जा रहा है कि दिल्ली में इससे पहले कभी भी यमुना में पानी का स्तर इतना ऊपर नहीं गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यमुना का स्तर
13 जुलाई, 2023 को यमुना में पानी का स्तर 208 मीटर पार कर गया, जबकि खतरे का निशान 205 मीटर पर है. इसके बाद नदी के पास बसे उत्तरी, पूर्वोत्तर दिल्ली के कई इलाकों और केंद्रीय और दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह एक नया रिकॉर्ड है. इससे पहले 1978 में पानी 207.49 मीटर तक पहुंचा था.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लोग हुए बेघर
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसे कई लोगों के मकान और दुकानें डूब चुकी हैं. हजारों लोगों को डूबे हुए इलाकों से निकाला गया है और अस्थायी आश्रय गृहों में रखा गया है. दिल्ली सरकार के मुताबिक पूरी राजधानी में करीब 2,500 राहत शिविर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/IMAGO
दूसरे राज्यों का योगदान
नदी में बाढ़ के लिए दिल्ली के साथ साथ दूसरे राज्यों में हुई बारिश को जिम्मेदार माना जा रहा है. दिल्ली सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार ने हथिनी कुंड बैराज में पानी छोड़ा और उसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ आ गई. हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल प्रदेश से पानी छोड़ने की वजह से वहां पानी ज्यादा हो गया था.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
स्कूल, कॉलेज बंद
बाढ़ के मद्देनजर दिल्ली में सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. निजी दफ्तरों को भी अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहने की सलाह दी गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम लोगों को से जब तक जरूरी ना हो तब तक घर से ना निकलने की अपील की है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
पीने के पानी की व्यवस्था को खतरा
बाढ़ की वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट संयंत्रों को बंद कर दिया गया, जिससे 2-3 दिनों के लिए पीने के पानी की सप्लाई बाधित होने की आशंका है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित
सिंघु बॉर्डर, बदरपुर बॉर्डर, लोनी बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर से दिल्ली में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित घोषित कर दिया गया है. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड से आने वाली बसों को भी सिंघु बॉर्डर पर ही खाली कर देने के आदेश दिए गए हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यातायात प्रभावित
बाढ़ग्रस्त इलाकों में सड़क यातायात के साथ साथ मेट्रो सेवायें भी प्रभावित हुई हैं. मेट्रो के चार पुल नदी के ऊपर बने हुए हैं और उन चारों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार को कम कर दिया गया. कुछ मेट्रो स्टेशनों तक पहुंचने के रास्ते में पानी भरा गया जिसकी वजह से स्टेशनों तक पहुंचना मुश्किल हो गया.
ये महिलाएं बाढ़ के पानी में ही अपने एक मृत रिश्तेदार का अंतिम संस्कार कर रही हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लाखों क्यूसेक पानी
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल भर हथिनी कुंड बैराज से करीब 352 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जाता है, लेकिन मंगलवार 11 जुलाई को अचानक 3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
22 किलोमीटर बहती है नदी
दिल्ली में यमुना वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर की यात्रा तय करती है. यह यमुना की कुल लम्बाई का सिर्फ दो प्रतिशत हिस्सा है लेकिन दिल्ली में यह बेहद प्रदूषित हो जाती है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
पहले भी आई बाढ़
दिल्ली में इससे पहले 2018 और 2013 में भी बाढ़ आई थी, जिनमें नदी के किनारे बसे कई इलाके डूब गए थे और लोगों को अस्थायी शिविरों में जाना पड़ा था. (रऊफ फिदा)