पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारत अगले महीने तक पाक और चीन के किसी भी खतरे का सामना करने के लिए रूसी निर्मित एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात कर देगा. भारत अपनी सुरक्षा के आधुनिकीकरण पर ध्यान दे रहा है.
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अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल स्कॉट बैरियर ने अमेरिकी सीनेट की रक्षा सेवा समिति की सुनवाई के दौरान कहा कि भारत अगले महीने तक एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को तैनात करने का इरादा रखता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी रक्षा करते हुए पाकिस्तानी और चीनी खतरों का मुकाबला करने के लिए हवाई, जमीन, नौसैनिक और रणनीतिक परमाणु बलों समेत अपनी सेना के सभी क्षेत्रों के आधुनिकीकरण का प्रयास कर रहा है.
जनरल बैरियर ने अमेरिकी सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि "भारत को दिसंबर में रूसी निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की पहली खेप प्राप्त हुई और जून 2022 तक पाकिस्तानी और चीनी खतरों से बचाव के लिए इस प्रणाली को तैनात करेगा."
उन्होंने कहा, "भारत अपनी हाइपरसोनिक, बैलिस्टिक, क्रूज और वायु रक्षा मिसाइल क्षमताओं को विकसित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है और 2021 में कई परीक्षण किए हैं. अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों की संख्या लगातार बढ़ रही है और संभावित रूप से वह आक्रामक अंतरिक्ष क्षमताओं का विस्तार कर रहा है."
भारत और चीन की सैन्यशक्ति की तुलना
पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी भारत और चीन की सैन्य ताकत को आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है. यूं तो भारत चीन से सिर्फ एक कदम पीछे, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन शक्ति में अंतर बड़ा है.
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भारत और चीन की तुलना
थिंकटैंक ग्लोबल फायर पावर ने चीन को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति माना है और भारत को चौथी. यह तुलना 46 मानकों पर परखने के बाद की गई है, जिनमें से 38 में चीन भारत से आगे है.
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सैनिकों की संख्या
चीन के पास 20 लाख से ज्यादा बड़ी सेना है जबकि भारत की सेना में 14 लाख 50 हजार जवान हैं. यानी चीन की सेना साढ़े पांच लाख ज्यादा जवानों के साथ मजबूत है.
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अर्धसैनिक बल
भारत में 25 लाख 27 हजार अर्धसैनिक बल हैं जबकि चीन में मात्र छह लाख 24 हजार. यानी भारत 19 लाख तीन हजार अर्धसैनिक बलों के साथ हावी है.
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रक्षा बजट
भारत रक्षा मद में 70 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये खर्चता है. इसके मुकाबले चीन का बजट तीन गुना से भी ज्यादा यानी लगभग 230 अरब डॉलर है.
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लड़ाकू विमान
चीन के पास 1,200 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास 564. चीन के पास कुल विमान भी ज्यादा हैं. भारत के पास कुल 2,182 विमान हैं जबकि चीन के पास 3,285.
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टैंक
भारत के पास 4,614 टैंक हैं जो चीन के 5,250 टैंकों से कम हैं. बख्तरबादं गाड़ियां भी चीन के पास ज्यादा हैं. उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि भारत के पास 12,000.
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विमानवाहक युद्धक पोत
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत है जबकि चीन के पास दो. भारत के पास 10 डिस्ट्रॉयर जहाज हैं और चीन के पास 41.
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पनडुब्बियां
भारत के पास 17 पनडुब्बियां हैं और चीन के पास 79.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में भारत के घरेलू रक्षा उद्योग का विस्तार करके देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का आह्वान किया था. इस संबंध में भारत ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से रक्षा खरीद को कम करने के लिए एक निगेटिव आयात सूची भी तैयार की है.
लेफ्टिनेंट जनरल बैरियर ने कहा कि भारत एक व्यापक सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम का अनुसरण कर रहा है और अपने घरेलू रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि भारत एक अग्रणी भूमिका निभाने वाले और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करने वाले देश के रूप में अपनी विदेश नीति को लगातार आगे बढ़ा रहा है. जनरल बैरियर ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समृद्धि को बढ़ावा देने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आपसी और बहुपक्षीय तंत्रों के माध्यम से अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी स्थापित कर रहा है.
उन्होंने कहा कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. हालांकि पिछले साल से दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य और कूटनीतिक वार्ता चल रही है, दोनों के बीच गतिरोध बना हुआ है और दोनों ने अपनी सीमाओं पर लगभग 50,000 सैनिकों को तैनात किया है.
रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
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S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
तस्वीर: AP
MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
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NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Vadim Ghirda/AP Photo
हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Supinsky
FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
तस्वीर: picture alliance/newscom/D. Perez
बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
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नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
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नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
तस्वीर: Philipp Schulze/dpa/picture alliance
इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.