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लोकसभा चुनाव: सात चरणों में वोटिंग, 4 जून को नतीजे

१६ मार्च २०२४

भारत में आम चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है. 46 दिनों में सात चरणों के भीतर लोकसभा चुनाव होंगे और चार जून को नतीजे आएंगे. 16 मार्च से देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है.

भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनावों की तारीखों का एलान किया
भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को लोकसभा चुनावों की तारीखों का एलान कियातस्वीर: Sajjad HUSSAIN/AFP

देश में चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब सर्वोच्च अदालत ने विवादित चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया है. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल राजनीतिक दलों की फंडिंग को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.

सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होंगे

शनिवार को भारत के निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा कर दी. लोकसभा की 543 सीटों के लिए सात चरण में मतदान होंगे. पहले चरण की 102 सीटों के लिए मतदान 19 अप्रैल को होगा, दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को 89 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे, तीसरे चरण के लिए 7 मई को 94 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. 13 मई को 96 सीट के लिए मतदान होगा. 20 मई को 49 सीट, छठे चरण में 57 सीटों के लिए 25 मई को मतदान होगा और सातवें चरण में 57 सीटों के लिए 1 जून को वोट डाले जाएंगे और नतीजों का एलान 4 जून को होगा.

इस बार लोकसभा चुनाव में करीब 96.8 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसमे पुरुष वोटरों की संख्या 49.72 करोड़ है जबकि महिला वोटरों की संख्या 47.15 करोड़, पहली बार वोट देने वाले यानी 18-19 साल के मतदाताओं की संख्या 1.82 करोड़ है. 20 से 29 साल के युवा वोटरों की संख्या 19.74 करोड़ है. 82 लाख से ऊपर ऐसे लोग हैं जो 85 वर्ष की आयु से अधिक है. वहीं एक सौ साल से अधिक वोटरों की संख्या करीब 2.18 लाख है.

विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान

लोकसभा चुनावों के साथ चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे. अरुणाचल प्रदेश में 19 अप्रैल को विधानसभा चुनावों के लिए वोट डाले जाएंगे जबकि सिक्किम में 19 अप्रैल को चुनाव होंगे. ओडिशा में विधानसभा के चुनाव चार चरणों में होंगे.

आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा में विधानसभाओं का कार्यकाल भी जून में अलग-अलग तारीखों पर खत्म हो रहा है.

इन चुनावों के अलावा तीन चरणों में 26 विधानसभा की सीटों के लिए उपचुनाव होंगे. विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे भी 4 जून को आएंगे.

"चुनाव का पर्व, देश का गर्व"

भारत के चुनाव आयोग ने इस बार के आम चुनाव के लिए "चुनाव का पर्व, देश का गर्व" थीम दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि भारत के चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है. उन्होंने कहा सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव कराना चुनौती है. कुमार ने बताया कि इस बार लोकसभा चुनाव में 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा. चुनाव आयोग का कहना है कि वह पिछले दो साल से इन चुनावों की तैयारी कर रहा था.

चुनाव आयोग ने बताया कि देश में पहली बार 85 साल से ऊपर के मतदाता को घर से मतदान करने की सुविधा दी जाएगी. यह सुविधा उन लोगों को भी दी जाएगी जो विकलांग हैं.

चुनाव आयोग ने कहा है कि वह पर्यावरण के अनूकुल चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उसने बताया कि वह कम से कम कागज के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहा है और मतदान के दौरान कम से कम कार्बन फुटप्रिंट्स पर जोर है. इसके लिए आयोग ने इको फ्रेंडली वाहनों के इस्तेमाल की योजना बनाई है. साथ ही पूरी तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई है और संचार के लिए इलेक्ट्रॉनिक मोड का इस्तेमाल किया जाएगा.

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमारतस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance

धनबल के इस्तेमाल पर कड़ी नजर

चुनाव आयोग ने चेताया है कि धनबल का इस्तेमाल करने वालों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और एजेंसियों के पास ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूर्ण अधिकार होगा. फेक न्यूज को रोकने के लिए आयोग ने कहा है कि लोग किसी मैसेज को आगे बढ़ाने से पहले उसे वेरिफाई कर लें साथ ही आयोग फेक न्यूज के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करेगा. चुनाव आयोग ने कहा है कि वह फर्जी खबरों के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएगा. प्रचार के लिए बच्चों का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा.

मोदी के खिलाफ विपक्ष के क्या मुद्दे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद लगाए हैं और विपक्ष उनकी जीत को रोकने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटा है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया और चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी. इसके बाद चुनावी बॉन्ड से जुड़े जो आंकड़े सामने आए, उनको लेकर तमाम विपक्षी दल फंडिंग को लेकर सवाल उठा रहे हैं. इसके अलावा विपक्ष दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा.

महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी विपक्ष उठा रहा है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यह चुनाव सिर्फ और सिर्फ मोदी के ईद-गिर्द होगा. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष डीडब्ल्यू से कहते हैं कि इस चुनाव में सिर्फ और सिर्फ एक मुद्दा है वह है नरेंद्र मोदी , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दूसरा कोई मुद्दा शक्तिशाली नहीं है. वह मानते हैं कि इस पूरे चुनाव में या तो नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट पड़ेगा या नरेंद्र मोदी के खिलाफ.

अन्य मुद्दों पर आशुतोष कहते हैं, "जहां तक दूसरे मुद्दे की बात है महंगाई है, बेरोजगारी और इलेक्टोरल बॉन्ड हैं, मुझे नहीं लगता कि इनका बहुत असर पड़ेगा. महंगाई और बेरोजगारी बीते चार-पांच सालों से लगातार एक बड़े मुद्दे के तौर पर उभर कर सामने आए हैं. लेकिन विपक्ष इन दोनों को मुद्दों को इतना बड़ा मुद्दा नहीं बना पाया कि वह केंद्र की सरकार को कठघरे में खड़ा कर सके या लोगों को यह यकीन दिला सकें कि ये मुद्दे उनकी जिंदगी को किस हद तक प्रभावित करते हैं."

प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी तस्वीर: Mahesh Kumar A./ASSOCIATED PRESS/picture alliance

प्रधानमंत्री मोदी चुनाव की तारीखों के एलान से बहुत पहले ही देश भर में घूम घूम कर प्रचार कर रहे हैं और जनता को "मोदी की गारंटी" दे रहे हैं तो वहीं कांग्रेस अपने प्रचार में "न्याय की गारंटी" दे रही है. मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस की पूर्व सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा.

वरिष्ठ पत्रकार युसूफ अंसारी भी आशुतोष की बात से सहमत नजर आते हैं. वह कहते हैं, "भारतीय राजनीति में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद कोई दूसरा नेता नहीं है. लेकिन उनके जिस जलवे या जादू की बात की जा रही है वह बनावटी है." अंसारी डीडब्ल्यू से कहते हैं, "भारत का मीडिया जनता से जुड़े मुद्दे जैसे महंगाई और बेरोजगारी पर बात नहीं करता है और मोदी की छवि को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने में लगा रहता हैं."

वह कहते हैं, "मीडिया और प्रचार माध्यमों के जरिए उनकी एक लार्जर दैन पार्टी,  लार्जर दैन कंट्री इमेज गढ़ी गई है. देश में बुनियादी मुद्दों पर एक नई समझ पैदा हो रही है. आम लोगों में बेचैनी है. नौजवानों में रोजगार को लेकर चिंता है. आम आदमी महंगाई से परेशान है. कारोबारी अपने बिजनेस को लेकर परेशान हैं. इन सब मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं. अगर विपक्ष जनता को यह समझने में कामयाब हो जाता है कि मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं तो चुनाव में पासा पलट भी सकता है."

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