लखनऊ में हाल ही में खुला लुलु मॉल एक के बाद एक कई विवादों में घिरता चला गया. राजनीतिक कारणों से कुछ लोग विवादों को हवा दे रहे थे. अब जा कर राज्य सरकार ने शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 जुलाई को लुलु मॉल का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. यह मॉल संयुक्त अरब अमीरात स्थित लुलु ग्रुप का है, जिसका कारोबार 20 देशों में फैला है और सालाना टर्नओवर 8 अरब डॉलर के करीब है.
लखनऊ में मॉल के उद्घाटन के चार दिन बाद कथित तौर पर परिसर में नमाज पढ़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करते हुए हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया. शनिवार 16 जुलाई को मॉल में हनुमान चालीसा पढ़ने की मांग को लेकर कई हिंदूवादी संगठनों के सदस्य पहुंचे तो उनकी पुलिस के साथ कहासुनी हो गई. पुलिस ने करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया था.
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एक के बाद एक विवाद
मॉल परिसर में नमाज का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर अलग-अलग दावे किए जाने लगे. कुछ पोस्ट में दावा किया गया कि मॉल अपनी रोजगार नीति में पक्षपाती है और मुसलमानों को तरजीह देता है. इसके बाद मॉल प्रबंधन ने एक स्पष्टीकरण कर उन दावों का खंडन किया और कहा कि उसके 80 फीसदी कर्मचारी हिंदू हैं.
लुलु मॉल ने मुस्लिम पूर्वाग्रह के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से पेशेवर प्रतिष्ठान है जो बिना किसी भेदभाव के व्यापार करता है. मॉल द्वारा जारी बयान के मुताबिक, "हमारे कर्मचारियों को कौशल और योग्यता के आधार पर काम पर रखा जाता है, न कि जाति, वर्ग या धर्म के आधार पर."
सोशल मीडिया और वॉट्स ऐप पर ऐसे भी झूठे मैसेज फैलाए गए कि साजिश के तहत मुस्लिम कर्मचारियों की संख्या ज्यादा रखी गई है और यहां पर "लव जिहाद" को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालांकि मॉल प्रबंधन ने अपनी सफाई में कहा है कि मॉल में जितने भी कर्मचारी हैं उनमें उत्तर प्रदेश और पूरे देश से हैं जिनमें 80 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू हैं और बाकी मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों से हैं.
मॉल को लेकर जारी विवाद के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है. सोमवार को हुई एक बैठक में उन्होंने कहा, "लखनऊ में एक मॉल खुला है. वह मॉल अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान को लेकर काम कर रहा है, उसको लेकर राजनीति का अड्डा बनाना, सड़कों पर प्रदर्शन करना, यातायात को बाधित करना गलत है और लखनऊ प्रशासन को ऐसे अराजक तत्वों से सख्ती से निपटना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "बार-बार लखनऊ प्रशासन से कहा गया कि जो अराजकता की स्थिति पैदा करने, सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का कुत्सित प्रयास हो रहा है. जो बेवजह माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर न बख्शे."
इस बीच लखनऊ पुलिस ने सोमवार को उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया कि 12 जुलाई को लुलु मॉल में नमाज अदा करते हुए कैमरे में कैद हुए आठ लोग गैर-मुस्लिम थे. पुलिस ने कहा है कि वह जल्द ही नमाज अदा करने वालों की जानकारी साझा करेगी.
लुलु ग्रुप का उत्तर भारत में यह पहला मॉल है लेकिन इसके उद्घाटन के बाद से हर रोज नया विवाद खड़ा हो रहा है. लुलु ग्रुप के मालिक यूसुफ अली भारतीय मूल के हैं और उनका कारोबार कई देशों में फैला हुआ है. लखनऊ से पहले लुलु ग्रुप के मॉल कोच्चि, बेंगलुरू और तिरुवनंतपुरम में खुल चुके हैं लेकिन वहां मॉल को लेकर कोई भी विवाद खड़ा नहीं हुआ लेकिन लखनऊ में मॉल के खुलते ही तमाम तरह के विवाद खड़े किए गए.
जनवरी 2023 में उत्तर प्रदेश में "उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट" का आयोजन होगा. इन्वेस्टर्स समिट के दौरान उत्तर प्रदेश ने अगले पांच वर्षो में 10 लाख करोड़ रुपये के औद्योगिक निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि एमएसएमई के साथ पहले दिन के फोकस के रूप में यूपी के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को यूरोपीय देशों, यूके, अमेरिका, कनाडा, यूएई, स्वीडन, सिंगापुर, नीदरलैंड्स, इस्राएल जैसे देशों में रोड शो आयोजित करके व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए.
भारत में इन मुद्दों से खड़ा हुआ विवाद
भारत में बीते कुछ अर्से से हर रोज एक नया विवाद जन्म ले रहा है. ज्यादातर विवाद दो धर्मों के बीच होते हैं. खान-पान, पहनावा और प्रार्थना स्थल को लेकर देश के कई हिस्सों में विवाद पैदा हो चुके हैं.
तस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS
कर्नाटक का हिजाब विवाद
जनवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज में छह छात्राओं के हिजाब पहनकर आने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया था. कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनकर कॉलेज में आने से मना कर दिया. जिसके खिलाफ लड़कियों ने विरोध प्रदर्शन किया. मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.
तस्वीर: Money SHARMA/AFP
मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर मचा शोर
महाराष्ट्र में अप्रैल के महीने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रार्थनाओं की आवाज को सीमा के भीतर रखने को लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि अगर मस्जिदों ने ऐसा नहीं किया तो उनके समर्थक विरोध जताने के लिए मस्जिदों के बाहर हिंदू मंत्रोच्चार करेंगे. महाराष्ट्र की करीब 900 मस्जिदों ने अजान की आवाज कम करने की सहमति दी थी.
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उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकरों पर कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों से करीब 1.29 लाख लाउडस्पीकर उतारे गए या फिर उनकी आवाज को तय मानकों के मुताबिक कम किया गया. यूपी सरकार ने 23 अप्रैल को धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के आदेश जारी किए थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में यह अभियान चलाया. सरकारी कार्रवाई मंदिर, मस्जिद और अन्य संस्थानों के लाउडस्पीकरों पर हुई.
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हिंसक घटनाएं
रामनवमी और हनुमान जयंती के दौरान दो समुदायों के बीच कई जगहों पर हिंसक झड़प हो गई थी. दिल्ली के जहांगीरपुरी में दो समुदायों के बीच झड़प हुई और माहौल तनावपू्र्ण हो गया. इसके अलावा मध्य प्रदेश के खरगोन, मुंबई की आरे कॉलोनी में एक धार्मिक यात्रा के दौरान दो समुदायों के लोगों के बीच हिंसा हुई. कर्नाटक के हुबली में भी एक व्हाट्सऐप संदेश को लेकर बवाल मच गया था.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
बुलडोजर पर सवाल
उत्तर प्रदेश में हाल के महीने में कई मामले सामने आए जिनमें ऐसे आरोपियों के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया जिनका नाम किसी तरह के मामले में दर्ज हुआ. बुलडोजर चलाने को लेकर सवाल भी खड़े हुए और मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट में यूपी सरकार ने हलफनामा देकर कहा कि नियमों के मुताबिक कार्रवाई की गई है.
तस्वीर: Ritesh Shukla/REUTERS
यूपी की तर्ज पर एमपी में भी बुलडोजर चला
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर दंगों के बाद प्रशासन ने कई मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलवाकर तोड़ दिया. खरगोन प्रशान ने दंगों के एक दिन बाद 12 अप्रैल को कम से 45 मकानों और दुकानों पर बुलडोजर चलाकर कार्रवाई की थी. यहां भी सवाल उठे कि बिना नोटिस के प्रशासन ने कार्रवाई क्यों की.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी
एक टीवी बहस के दौरान बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की जिसके बाद अरब जगत से इस पर विरोध दर्ज कराया गया. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निकाल दिया और बयान से किनारा कर लिया. टिप्पणी के विरोध में कई जगहों पर हिंसक घटनाएं हुईं.
तस्वीर: Vipin Kumar/Hindustan Times/imago
मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी
दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक धर्म संसद हुई थी और इस धर्म संसद में देश के मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए गए. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कही गई और मीडिया और कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बयान दिए गए थे.
तस्वीर: Hindustan Times/imago images
कन्हैयालाल का कत्ल
राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को एक दर्जी कन्हैयालाल को इस सिर्फ दो मुसलमान व्यक्तियों ने धारदार हथियार से मार डाला क्योंकि उन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हॉट्सऐप स्टेटस लगाया था. कन्हैयालाल इस मामले में गिरफ्तार हो चुके थे और शिकायतकर्ता और उनके बीच पुलिस ने समझौता करा लिया था, उन्होंने पुलिस से जान मारने की धमकी मिलने की शिकायत की थी. हत्या के विरोध में राजस्थान में तनाव का माहौल बन गया.