भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच कोविड टीकाकरण का तीसरा चरण आज से शुरू हो गया. देश में 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या करीब 34 करोड़ है.
तस्वीर: Manish Kumar/DW
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देश में गुरुवार 1 अप्रैल से 45 साल या उससे अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए कोरोना के खिलाफ टीकाकरण शुरू हो गया. इससे पहले के दो चरण के वैक्सीनेशन कार्यक्रम में कोरोना वॉरियर्स, अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारी और गंभीर बीमारियों से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र वालों को ही टीका लग रहा था. देश में 16 जनवरी को वैक्सीन कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से अब तक 6.43 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है. भारत अभी भी जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने के लक्ष्य से बहुत दूर है.
तीसरे चरण के अभियान पर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा कि जिन जिलों में ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, वहां बड़े पैमाने पर टीकाकरण करें. जहां कम टीके लगे हैं, वहां टीकाकरण तेज करें. केंद्र ने राज्यों से वैक्सीन की बर्बादी रोकने को भी कहा है. ऐसी रिपोर्ट है कि कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी 17 प्रतिशत तक हो रही है. दरअसल कुछ केंद्रों में लोग टीका लगवाने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं और टीके की बोतल खोलने के कुछ घंटे बाद वह बेकार हो जाती है.
मुंबई में कोरोना के खिलाफ जागरूकता के लिए ग्रैफिटी. तस्वीर: Francis Mascarenhas /REUTERS
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कोविड टीकाकरण पर प्राधिकृत समूह के अध्यक्ष डॉ. आरएस शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य मिशन निदेशकों, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य रोग प्रतिरक्षण अधिकारियों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में देशभर में कोविड टीकाकरण की ताजा स्थिति, गति, इससे जुड़े मुद्दों के साथ ही टीकाकरण के तीसरे चरण की तैयारियों की समीक्षा की गई. केंद्र सरकार का कहना है राज्यों में टीके की कोई कमी नहीं और केंद्र राज्यों को निरंतर आपूर्ति करता रहेग.
भारत ने पहले से ही बड़े पैमाने पर वैक्सीन के निर्यात में देरी करने का फैसला किया है, जिसमें डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में चल रही कोवैक्स योजना भी शामिल है. कोवैक्स का मकसद सभी देशों में कोरोना के टीके को सुनिश्चित कराना है. देश के ड्रग रेगुलेटर से जल्द ही उम्मीद की जा रही है कि वह रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन को मंजूरी देगा.
इस बीच देश में बीते 24 घंटे में 72,072 नए मामले सामने आए, नए मरीजों का आंकड़ा 172 दिनों में सबसे ज्यादा है और बीते 24 घंटे में 459 लोगों की इस वायरस ने जान ली. अब तक 1,22,21,665 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावित देश है.
कोरोना के कारण क्या खत्म होते जा रही हाथ मिलाने की परंपरा
दुनियाभर में लोग हाथ मिलाकर अभिवादन करते हैं. यह परंपरा हजारों साल पुरानी है. लेकिन कोरोना के कारण लोग पिछले एक साल से हाथ नहीं मिला रहे हैं. यहां जानिए, हाथ मिलाने से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
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हजारों साल पुराना चलन
कई हजार सालों से हाथ मिलाने का चलन रहा है, लेकिन अब लोग हाथ मिलाने से बच रहे हैं. पांच से चार शताब्दी ईसा पूर्व के समय में यूनानी अंत्येष्टि कलाओं में भी हाथ मिलाने के प्रतीक मिलते हैं. प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के कला में भी हाथ मिलाने का जिक्र है.
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हाथ मिलाने का विकल्प
लोग संक्रमण को दूर रखने के लिए हाथ मिलाने की जगह मुट्ठी मिलाते हैं या फिर दूर से ही अभिवादन करते हैं या कोहनी टकराते हैं.
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नमस्ते
भारत में लोग अभिवादन के लिए हाथ जोड़कर नमस्ते करते आए हैं. विश्व भर में यह तरीका अब और लोकप्रिय हो गया है. देशों के प्रमुख भी नमस्ते करना पसंद करते हैं.
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कोहनी से कोहनी
कोरोना काल में नेता और राजनयिक ऑनलाइन ही बैठकें ज्यादा कर रहे हैं अगर वे दौरे पर जा भी रहे हैं तो एक खास दूरी बनाए रहते हैं. वे अभिवादन के लिए कोहनी भी टकराते हैं.
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फुटशेक
हैंडशेक तो आपने सुना है, अब युवाओं के बीच फुटशेक भी काफी लोकप्रिय हो चुका है. युवा अपने पैर को दोस्त या साथी के पैर से टकराते हैं. नेताओं ने भी इसको अपना लिया है.
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राजनीतिक मुलाकात
नेताओं ने अपने दौरे के दौरान हाथ मिलाना बिलकुल ही छोड़ ही दिया है, वे अब समझौतों और बैठकों में हाथ मिलाने का विकल्प अपनाते हैं. बड़े-बड़े समझौते बिना हाथ मिलाए ही हो रहे हैं.
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संपर्क की मुद्रा
जानकार कहते हैं कि हाथ मिलाना लोगों के बीच संबंध बनाने की एक मुद्रा है. हाथ मिलाने से स्पर्श और भरोसे का एहसास भी होता है. लेकिन दुनिया को अब तक समझ नहीं आया है कि दोबारा वह कब हाथ मिला पाएगी.
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हाथ मिलाने के अन्य विकल्प क्या हैं?
अगर आप हाथ नहीं मिलाना चाहते हैं तो आप अपने सामने वाले के सामने थोड़ा झुककर अभिवादन कर सकते हैं, मुस्कुरा सकते हैं या फिर नमस्ते भी कर सकते हैं. दिल पर हाथ रखकर भी अभिवादन कर सकते हैं या फिर आसान तरीके से सलाम भी कर सकते हैं.
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हाथ नहीं मिलाने से संक्रमण होता दूर
हाथ नहीं मिलाने से संक्रमण की चेन टूट सकती है और संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.
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बच्चे ज्यादा क्रिएटिव
इस तस्वीर में नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग एक क्लासरूम में बच्चों के साथ अभिवादन के तरीके सीख रही हैं. यह तस्वीर पिछले साल की है जब वे एक स्कूल के दौरे पर गईं थीं.