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राजनीतिमाल्दीव

‘इंडिया आउट’: कितना गंभीर है मालदीव का भारत विरोधी अभियान

विवेक कुमार
११ फ़रवरी २०२२

मालदीव की सरकार एक कानून लाने जा रही है जो देश में जारी ‘इंडिया आउट’ अभियान को अपराधिक गतिविधि बना देगा. सोशल मीडिया पर शुरू हुआ यह भारत विरोधी अभियान इतना बड़ा कैसे हो गया?

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीनतस्वीर: Ahmed Shurau/Getty Images/AFP

पिछले महीने मालदीव के फुनादू द्वीप पर शैवियानी स्कूल की दीवार पर ‘इंडिया आउट' लिखा मिला. यह मामूली बात नहीं थी. द्वीप के काउंसिल अध्यक्ष से लेकर देश के शिक्षा मंत्रालय तक सभी ने इस घटना पर टिप्पणियां की और पुलिस ने जांच करने की भी बात कही. इस गंभीरता की वजह थी, इन दो शब्दों के पीछे खड़ा एक अभियान जो मालदीव के ‘सबसे अच्छे दोस्त' भारत के साथ संबंधों के लिए खतरा बन गया है.

पिछले कुछ महीनों से मालदीव में ‘इंडिया आउट' अभियान चल रहा है. इस अभियान का नेतृत्व ‘प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम)' के नेता और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कर रहे हैं जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है. 2018 में वह चुनाव हार गए थे. बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया. इसके लिए 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई थी. कोविड-19 के कारण उनकी जेल की सजा को घर में नजरबंदी में तब्दील कर दिया गया.

बीते नवंबर में यामीन के खिलाफ लगे सारे आरोप खारिज कर दिए गए और 30 तारीख को उन्हें रिहा कर दिया गया. इससे उनका दोबारा राजनीति करने का रास्ता भी साफ हो गया. आजकल वह चुनाव प्रचार में जुटे हैं और अक्सर अपने भाषणों में लोगों से अपील करते हैं कि अपने घरों की दीवारों पर ‘इंडिया आउट' लिख दें.

29 हजार भारतीयों की चिंता

स्थानीय अखबार ‘द प्रेस' के लिए काम करने वालीं एक वरिष्ठ पत्रकार, जो इस मामले पर लगातार लिख रही हैं, मानती हैं कि ‘इंडिया आउट' अभियान उतना बड़ा नहीं है जितना खबरों से लगता है. डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने बताया कि ज्यादातर तो यह अभियान राजधानी माले तक ही सीमित है लेकिन विपक्ष अब इसे दूर-दराज के छोटे-छोटे द्वीपों तक भी ले जाने की कोशिश कर रहा है.

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यह पत्रकार कहती हैं, "आम लोग अब भी इस अभियान से बेपरवाह हैं और उन पर इसका असर नहीं हो रहा है.” लेकिन मालदीव में रहने वाले भारतीयों पर इसका असर होता दिख रहा है. शैवियानी स्कूल में हुई घटना की निंदा करते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय शिक्षकों की प्रताड़ना की घटनाएं बढ़ रही हैं.

मालदीव में लगभग 29 हजार भारतीय रहते हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार खासी चिंतित है. एक बयान में मंत्रालय ने कहा, "भारतीय शिक्षक स्कूलों से सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील कर रहे हैं. ये भारतीय टीचर पीढ़ियों से मालदीव के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं और राजनीतिक गतिविधियां छात्रों का ऐसा नुकसान कर सकती हैं, जिसकी भरपाई मुश्किल होगी.”

क्यों शुरू हुआ ‘इंडिया आउट'

इस अभियान के समर्थकों का कहना है कि भारत उनके देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा है और उनकी संप्रभुता प्रभावित हो रही है. दरअसल, ‘इंडिया आउट' के रूप में वे भारतीय सेना को मालदीव से बाहर करने की मांग कर रहे हैं. भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर मालदीव में तैनात हैं जो यहां-वहां फैले 200 छोटे द्वीपों से मुख्यतया मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने का काम करते हैं.

इसके अलावा ये विमान मालदीव के विशाल इकोनॉमिक जोन को अवैध मछली पकड़ने से भी बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना है कि विदेशी सेना की मौजूदगी मालदीव की संप्रभुता का अपमान है. हाल ही में मालदीव में अपना शोध खत्म कर लौटे ऑस्ट्रेलिया स्थित नेशनल सिक्यॉरिटी कॉलेज में सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. डेविड ब्रूस्टर कहते हैं विपक्षियों की ये चिंताएं जायज नहीं हैं.

डीडब्ल्यू से बातचीत में डॉ. ब्रूस्टर ने कहा, "किसी भी छोटे देश के लिए इस तरह की चिंताएं कुछ हद तक समझी जा सकती हैं क्योंकि उन्हें बड़े देशों के साथ संबंधों में संतुलन बनाकर चलना होता है. लेकिन इस मामले में चिंताएं व्यावहारिक नहीं हैं. मालदीव में भारतीय नौसेना और तटरक्षकों की मौजूदगी मामूली है. वे मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के तहत काम करते हैं और उनका मुख्य काम एक विमान और दो हेलीकॉप्टरों को छोटे द्वीपों से मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने में इस्तेमाल करने के लिए सहयोग देना है.”

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अगर ऐसा है तो ‘इंडिया आउट' का आकार लगातार बढ़ता क्यों जा रहा है? इस सवाल के जवाब में डॉ. ब्रूस्टर कहते हैं, "यह अभियान पूर्व भ्रष्ट राष्ट्रपति यामीन के समर्थकों का मौजूदा लोकतांत्रिक सरकार पर हमला करने का तरीका है. दरअसल, यह मालदीव की स्वतंत्रता की सुरक्षा का नारा देकर लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल यामीन और उनके संगी-साथियों के राजनीतिक फायदे के लिए करने का जरिया मात्र है.”

भारत के लिए मायने

मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकाना है. यह छोटा देश सार्क का भी सदस्य है और खाड़ी देशों से ऊर्जा संसाधनों की सारी सप्लाई इसी के आसपास से होकर गुजरती है. इसलिए अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश मालदीव को खासी अहमियत देते हैं. स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि भारत और मालदीव के संबंध इस वक्त बेहद मजबूत हैं लेकिन ‘इंडिया आउट' के नाम पर जिस तरह का माहौल बनाने की कोशिश हो रही है, वह भविष्य में लोगों की भारत के प्रति भावनाओं को प्रभावित करेगा.

इसी वजह से डॉ. ब्रूस्टर भी सलाह देते हैं कि भारत को इस अभियान को गंभीरता से लेना चाहिए. उन्होंने कहा, "भारत को हमेशा ही पड़ोसी देशों के लोगों के विचारों को गंभीरता से लेना चाहिए. भारतीय नौसेना इस वक्त मालदीव में जितना अच्छा काम कर रही है, संभव है कि भारत और मालदीव की सरकारें उस अच्छाई को लोगों तक पहुंचाने में जरूरी कोशिश नहीं कर रही हैं.”

मालदीव की सरकार ‘इंडिया आउट' अभियान के संभावित प्रभावों को लेकर जागरूक है और इसे दबाने के लिए कई कड़े कदम उठा रही है. राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालेह के नेतृत्व में मालदीव डेमोक्रैटिक पार्टी (एमडीपी) की सरकार एक कानून लाने पर विचार कर रही है जिसके जरिए ‘इंडिया आउट' जैसे अभियानों को अपराधिक करार दिया जा सकता है.

राष्ट्रपति सालेह ने एक से ज्यादा बार भारत को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताया है और वह भारत के साथ संबंधों को खराब होने से बचाने की हर संभव कोशिश करते रहे हैं. भारत की तरफ से भी मालदीव के लिए मदद बढ़ाई गई है. इसी महीने पास हुए बजट में भारत ने मालदीव के लिए 360 करोड़ की सालाना वित्तीय मदद का ऐलान किया है.

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