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आम चुनाव से पहले मोदी सरकार की नजर गिग वर्कर्स पर

१४ अगस्त २०२३

जोमैटो, स्विगी, एमेजॉन जैसे मंचों के लिए काम करने वाले गिग वर्कर्स के लिए भारत कल्याणकारी उपाय शुरू करने की तैयारी कर रहा है.

जोमैटो
जोमैटोतस्वीर: TAUSEEF MUSTAFA/AFP

पिछले महीने राजस्थान सरकार ने गिग वर्कर्स (ऑनलाइन कंपनियों के लिए डिलीवरी का काम करने वाले कर्मचारी) के हितों का संरक्षण कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने संबंधी बिल पारित किया था. राजस्थान विधान सभा ने राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 पारित किया था.

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कमाई अर्जित कर रहे लाखों गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए विधेयक पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है. इस विधेयक के अंतर्गत राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी. साथ ही, राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार सामाजिक सुरक्षा और कल्याण निधि का गठन किया जाएगा.

गिग वर्कर्स के लिए योजना की तैयारी

अब केंद्र सरकार भी गिग वर्कर्स जो भारत में एमेजॉन, ऊबर, जोमैटो, ओला जैसे अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के लिए काम करने वालों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाने की तैयारी कर रही है. भारत में अधिकांश गिग वर्कर्स ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनी और सामान की डिलीवरी जैसे कार्यों से जुड़े हैं.

सरकारी अधिकारियों और ट्रे़ड यूनियन से जुड़े लोगों का कहना है कि मोदी सरकार 2024 के आम चुनाव के तहत कदम उठाने की तैयारी कर रही है.

योजना की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह योजना 2020 में अधिनियमित सामाजिक सुरक्षा संहिता का हिस्सा है, जिसमें दुर्घटना, स्वास्थ्य बीमा और रिटायरमेंट लाभ शामिल हो सकते हैं.

अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले विपक्षी कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित राजस्थान द्वारा प्लेटफार्मों पर बिक्री पर अधिभार के माध्यम से एक कोष स्थापित करने को मंजूरी देने के बाद मोदी की पार्टी कदमों की घोषणा करने के लिए उत्सुक है.

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गिग कर्मचारियों के शोषण को रोकना

एक सरकारी अधिकारी ने ट्रेड यूनियनों, गिग प्लेटफार्मों और राज्य के अधिकारियों के साथ बैठकों का हवाला देते हुए कहा, "गिग श्रमिकों के लिए राहत उपायों की घोषणा करने की तत्काल जरूरत है."

बीजेपी की केंद्र सरकार से करीबी संबंध रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समूह के आर्थिक अधिकारी अश्विनी महाजन ने कहा, "नियोक्ताओं द्वारा बढ़ते शोषण को देखते हुए, गिग श्रमिकों को सरकारी संरक्षण की आवश्यकता है."

देश के गिग श्रमिक, जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों से बाहर हैं, तेजी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण वृद्धि हुई है.

श्रम मंत्रालय ने योजनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव ने पिछले सप्ताह सांसदों से कहा कि गिग श्रमिकों के लिए किसी भी योजना को केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ प्लेटफॉर्मों के योगदान के माध्यम से वित्त पोषित किया जा सकता है.

इन चर्चाओं की जानकारी रखने वाले एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि प्लेटफॉर्म सर्वसम्मति से गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के बारे में श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव से सहमत हैं और "पारदर्शी" संचालित कल्याण कोष में योगदान करने के लिए तैयार हैं.

फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटोतस्वीर: Nasir Kachroo/NurPhoto/picture-alliance

इस उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, "हम अगले कुछ महीनों में केंद्र के उपायों की घोषणा की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि ये प्लेटफॉर्म एक साथ कई राज्यों से निपटना नहीं चाहते हैं."

प्रस्तावित योजना और इसकी संभावित लागतों पर टिप्पणी के लिए पूछे जाने पर एमेजॉन ने रॉयटर्स को कहा कि कंपनी ने खुदरा व्यापार को बढ़ावा देते हुए डिलीवरी एजेंटों और विक्रेताओं के लिए भारत में 13 लाख से अधिक नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें पिछले वर्ष 1,40,000 नौकरियां शामिल हैं.

भारत की गिग अर्थव्यवस्था के आकार के लिए कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं, हालांकि निजी अनुमानों के मुताबिक ऐसे श्रमिकों की संख्या एक करोड़ से लेकर डेढ़ करोड़ है. बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने 2021 में अनुमान लगाया था कि भारत की गिग अर्थव्यवस्था में नौ करोड़ नौकरियां पैदा करने और 250 अरब डॉलर से अधिक का वार्षिक लेनदेन करने की क्षमता है.

सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग का अनुमान है कि 2030 तक गिग अर्थव्यवस्था 2.35 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दे सकती है, जो गैर-कृषि कार्यबल का लगभग सात फीसदी है.

आमिर अंसारी (रॉयटर्स)

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