भारत सरकार ने दस साल के भीतर टीबी और कुष्ठ रोग को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लाखों भारतीयों को प्रभावित करने वाली इन बीमारियों से निपटने के लिए बजट में खास प्रावधान किया गया है.
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केंद्र सरकार ने अपने बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च में 23 प्रतिशत की वृद्धि का ऐलान किया है. इसके तहत टीबी, कुष्ठ रोग और काला अजार जैसी बीमारियों से निपटना भी शामिल है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि गरीब ग्रामीण इलाकों में खास तौर से ध्यान दिया जाएगा जहां लोगों के पास स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा नहीं पहुंची हैं और वहां इन बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा है.
उन्होंने कहा, "गरीबी के साथ आम तौर पर खराब स्वास्थ्य भी जुड़ा है. गरीब लोग ही बार बार होने वाली इन बीमरियों का शिकार बनते हैं." उन्होंने कहा कि मच्छर के काटने से होने वाली काला अजार और फिलारियासिस जैसी बीमारियों को 2017 के खत्म होने तक मिटाने का लक्ष्य तय किया गया है जबकि कुष्ठ रोग को सरकार अगले साल तक उखाड़ फेंकना चाहती है.
मिलिए गंभीर बीमारियों से गुजर चुकी हस्तियों से
गंभीर बीमारियों से गुजर चुकी हस्तियां
कैमरे के सामने कलाकार को अपना किरदार निभाना होता है, भले ही उस समय वे बेहद कष्ट से ही क्यों ना गुजर रहे हों. एक नजर बॉलीवुड की ऐसी नौ शख्सियतों पर जो पर्दे पर ही नहीं, असली जिंदगी में भी हीरो साबित हुई हैं.
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शाहरुख खान, कई ऑपरेशन
शाहरुख सिर्फ फिल्मों के ही नहीं, ऑपरेशन के भी बादशाह है. वे अब तक आठ बार सर्जरी करा चुके हैं. घुटना, गर्दन, टखना, पसली और कंधे, सब फिल्मों में नाच नाच कर और एक्शन सीन कर कर के खराब हो चुके हैं. लेकिन इस सब ने शाहरुख को रोका नहीं है. वे अपनी सिक्स पैक बॉडी वाली इमेज को छोड़ना नहीं चाहते हैं. इसके अलावा वे सिगरेट भी खूब पीते हैं.
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सलमान खान, जबड़े का दर्द
20,000 में से केवल एक इंसान में यह बीमारी पाई जाती है, ट्रायजेमिनल न्यूरैल्जिया. यह ऐसी स्थिति है जिसमें चेहरे और जबड़े में अत्यंत दर्द होता है. डॉक्टरों का कहना है कि चिकित्सा में इसे सबसे भयानक दर्द माना जाता है. सलमान पिछले कुछ सालों से इसका इलाज करा रहे हैं. हालांकि कैमरे के सामने उन्होंने कभी अपना दर्द जाहिर नहीं होने दिया.
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ऋतिक रोशन, ब्रेन क्लॉट
2013 में फिल्म कृष की शूटिंग के दौरान ऋतिक ने कई एक्शन सीन किए जिनका असर उनके दिमाग पर पड़ा. दो महीने तक सिरदर्द की शिकायत रहने के बाद जब उनका सीटी स्कैन और एमआरआई किया गया तो पता चल कि उनके दिमाग में जगह जगह खून जमा हुआ है. डॉक्टरों का कहना था कि आम तौर पर दिमाग की ऐसी हालत 65 साल की उम्र के बाद होती है. ऑपरेशन के बाद से ऋतिक फिट हैं.
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सैफ अली खान, दिल का दौरा
2007 में सैफ को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया. उन्हें छाती में दर्द की तकलीफ थी. डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें एक छोटा दिल का दौरा पड़ा था. सैफ बताते हैं कि उन्होंने 16 साल की ही उम्र में "कूल" दिखने के चक्कर में सिगरेट पीना शुरू कर दिया था. दौरे के बाद से उन्होंने सिगरेट छोड़ दी है.
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युवराज सिंह, कैंसर
2011 में वर्ल्ड कप के दौरान युवराज सिंह की तबियत बिगड़ी. खून भरी उल्टियों के कारण जब वे इलाज कराने पहुंचे तो पता चला कि उनके फेफड़े में कैंसर है. अपना इलाज कराने वे अमेरिका गए जहां से उन्होंने ये तस्वीर ट्वीट की. ठीक होने के बाद उन्होंने यूवीकैन नाम की संस्था खोली जो कैंसर पीड़ितों का इलाज करती है.
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मनीषा कोइराला, अंडाशय का कैंसर
2012 में मनीषा के कैंसर की खबर आई. ऑपरेशन करवा कर उन्होंने कैंसर से मुक्ति पाई. बिन बालों वाली मनीषा की तस्वीरों ने उनके फैंस को हैरान भी किया और महिलाओं को इस बात के लिए प्रेरित भी किया कि कैंसर से निपटा जा सकता है. उस दौरान एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा है, इसलिए उन्हें अपनी बीमारी पर हैरानी नहीं हुई.
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मुमताज, स्तन कैंसर
किसी जमाने में दर्शकों को अपनी खूबसूरती का कायल करने वाली मुमताज को 2002 में स्तन कैंसर से पीड़ित पाया गया. इलाज के लिए उन्हें छह कीमोथेरेपी और 35 रेडिएशन थेरेपी करानी पड़ी. मुमताज की उम्र उस समय 54 साल थी. इलाज कराने के बाद मुमताज ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हैं और वे मौत से भी लड़ जाएंगी.
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अमिताभ बच्चन, स्प्लीनिक रप्चर
1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ जख्मी हुए. उनका काफी खून बहा था और डॉक्टरों ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन अमिताभ ने एक हीरो की तरह वापसी की. इसके बाद 1984 में एक अन्य बीमारी के कारण वे शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो गए और डिप्रेशन में भी चले गए थे.
वहीं टीबी को 2025 तक और खसरे को 2020 तक खत्म करने का लक्ष्य तय किया गया है. इन दोनों ही बीमारियों से हर साल लाखों भारतीय मरते हैं. जेटली ने प्रसव के समय मां और शिशुओं की मृत्युदर को घटाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो शहरों के मुकाबले गांवों में लगभग दोगुनी है.
इसके अलावा देश में फैले डेढ़ लाख स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर बनाया जाएगा जहां अभी कर्मचारियों की बहुत कमी है. दुनिया का हर सातवां आदमी भारत में रहता है जबकि स्वास्थ्य देखभाल पर देश की जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत ही खर्च किया जाता है, जो वैश्विक औसत से बहुत कम है.
देखिए जानवर कैसे करते हैं अपना इलाज
कैसे अपना इलाज करते हैं जानवर
आपने कुत्ते और बिल्ली को घास खाते देखा होगा. बीमार होने पर वो ऐसा करते हैं. और भी कई जीव ऐसे ही अपना प्राकृतिक इलाज करते हैं. उनका सहज ज्ञान इंसान के लिए भी फायदेमंद हो सकता है.
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परजीवियों से बचाव
चिंपाजी जब विषाणुओं के संक्रमण से बीमार होते हैं या फिर उन्हें डायरिया या मलेरिया होता है तो वे एक खास पौधे तक जाते हैं. चिंपाजियों का पीछा कर वैज्ञानिक आसपिलिया नाम के पौधे तक पहुंचे.
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आसपिलिया का फायदा
इसकी खुरदुरी पत्तियां चिंपाजियों का पेट साफ करती हैं. आसपिलिया की मदद से परजीवी जल्द शरीर से बाहर निकल जाते हैं. संक्रमण भी कम होने लगता है. तंजानिया के लोग भी इस पौधे का दवा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.
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वंडर प्लम
काला प्लम विटेक्स डोनियाना, बंदर बड़े चाव से खाते हैं. ये सांप के जहर से लड़ता है. येलो फीवर और मासिक धर्म की दवाएं बनाने के लिए इंसान भी इसका इस्तेमाल करता है.
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अभिभावकों से सीख
मेमना बड़ी भेड़ों को चरते हुए देखता है और काफी कुछ सीखता है. की़ड़े की शिकायत होने पर भेड़ ऐसे पौधे चरती है जिनमें टैननिन की मात्रा बहुत ज्यादा हो. तबियत ठीक होने के बाद भेड़ फिर से सामान्य घास चरने लगती है.
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अल्कोहल की जरूरत
फ्रूट फ्लाई कही जाने वाली बहुत ही छोटी मक्खियां परजीवी से लड़ने के लिए सड़ते फलों का सहारा लेती है. फलों के खराब पर उनमें अल्कोहल बनता है. फ्रूट फ्लाई ऐसे फलों में अंडे देती हैं ताकि विषाणु और परजीवियों खुद मर जाएं.
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समझदार गीजू
विषाणु के चलते बीमार होने पर गीजू ऐसे पौधे खाता है जिनमें एल्कोलॉयड बहुत ज्यादा हो.
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जहरीले फूल
मोनार्क तितली अंडे देने के लिए मिल्कवीड पौधे का इस्तेमाल करती है. इसके फूल में बहुत ज्यादा कार्डेनोलिडेन होता है, जो तितली के दुश्मनों के लिए जहरीला होता है.
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मेहनती मधुमक्खियां
मधुमक्खियां प्रोपोलिस बनाती हैं. ये शहद और प्राकृतिक मोम का मिश्रण है. यह बैक्टीरिया, विषाणु और संक्रमण से बचाता है. शहद का इस्तेमाल इंसान, बंदर, भालू और चिड़िया भी करते हैं.
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निकोटिन वाला बसेरा
मेक्सिको की गोरैया घोंसला बनाने के लिए सिगरेट के ठुड्डों का सहारा लेने लगी है. रिसर्चरों के मुताबिक सिग्रेट बट्स में काफी निकोटिन होता है जो परजीवियों से बचाता है. लेकिन इसके नुकसान भी हैं.
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घास से इलाज
बिल्ली और कुत्ते प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी नहीं हैं. लेकिन बीमार पड़ने पर दोनों खास किस्म की घास खाते हैं. घास खाने के उनका पेट गड़बड़ा जाता है और बीमार कर रही चीज उल्टी या दस्त के साथ बाहर आ जाती है.
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मिट्टी से संतुलन
कुआला पेड़ पौधे और छाल खाता है. लेकिन बीमार होने पर वो खाने के तुरंत बाद मिट्टी खाता है. मिट्टी खुराक के अम्लीय और क्षारीय गुणों को फीका कर देती है.
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मच्छरों को धोखा
कापुचिन बंदरों के पास इंसान की तरह मच्छरदानी नहीं होती. लेकिन मच्छरों से बचने के लिए वो अपने शरीर पर खास गंध वाला पेस्ट रगड़ते हैं. गंध से परजीवी दूर भागते हैं.
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क्रमिक विकास की देन
कनखजूरा खुद को एक खास तरह के जहर में लपेट लेता है. वैज्ञानिकों को लगता है जीव जंतुओं ने लाखों साल के विकास क्रम में अपनी रक्षा के लिए कई जानकारियां जुटाई और भावी पीढ़ी को दीं.
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यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने इन बीमारियों से लड़ने और बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की बात कही है. भारत ने 2014 में अपने यहां से पोलियो को खत्म कर दिया. लेकिन लाखों लोग अब भी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं. साफ सफाई और इलाज की उचित व्यवस्था न होने के कारण समस्या और गंभीर बन रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में 2015 में टीबी के 25 लाख मामले सामने आए. इस बीमारी से हर साल दो लाख लोग मारे जाते हैं. भारत में 2015 में दो लाख मामले कुष्ठ रोग के भी सामने आए, हालांकि इसे जड़ से खत्म करने के लिए भारत में 1955 से कार्यक्रम चल रहा है. इसके अलावा काला अजार और फिलारियासिस से भी भारत में हर साल बीस हजार लोग मरते हैं.