कनाडा में सर्दी से जमकर मरे भारतीय परिवार की पहचान उजागर
२८ जनवरी २०२२
कनाडा से अमेरिका में घुसने की कोशिश करते वक्त सर्दी से जमकर मर जाने वाले परिवार की पहचान उजागर कर दी गई है. पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है.
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कनाडा की सीमा पर सर्दी से जमकर मर जाने वाले भारतीय परिवार के मामले में पुलिस ने अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी है. इस संबंध में छह लोगों को हिरासत में लिया गया है.
यह घटना बीते गुरुवार को सामने आई थी जब अमेरिका और कनाडा की सीमा के बीच एक भारतीय परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी. कनाडा के ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग ने बताया है कि यह परिवार गुजरात का रहना वाला था.
दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
युद्ध, उत्पीड़न, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरे के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में अनुमानित आठ करोड़ लोग सुरक्षा की तलाश में अपने देश से भागने को मजबूर हुए हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा दर्द बच्चों को झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
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सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
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ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
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शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Karahalis
एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
तस्वीर: Muhammed Semih Ugurlu/AA/picture alliance
सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
तस्वीर: Luisa Gonzalez/REUTERS
समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.
तस्वीर: Uli Deck/dpa/picture alliance
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मरने वालों में 39 वर्षीय जगदीश बलदेवभाई पटेल, वैशालीबेन जगदीश कुमार पटेल (37), विशांगी जगदीश कुमार पटेल (11) और धार्मिक जगदीश कुमार पटेल (3) शामिल थे. उच्चायोग ने एक बयान में बताया कि इन लोगों के परिजनों को सूचित कर दिया गया है. उच्चायोग ने कहा कि प्रवासन और आवाजाही को वैध और सुरक्षित बनाए जाने की जरूरत है ताकि ऐसे हादसे दोबारा ना हों.
गांधीनगर में पुलिस अधिकारी एके झाला ने बताया कि एक ट्रैवल और टूरिजम एजेंसी के छह लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा, "अब हम उन लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं जिन्होंने इस परिवार को और अन्य लोगों को अवैध रूप से गुजरात से विदेश भेजा.”
इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों ने फ्लोरिडा में स्टीव शैंड नाम के एक व्यक्ति गिरफ्तार किया था. सोमवार को एक स्थानीय अदालत ने शैंड को सशर्त जमानत दी.
‘झकझोर देने वाली घटना'
कनाडा की रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस का मानना है कि यह परिवार 12 जनवरी को कनाडा आया था. वे लोग पहले टोरंटो पहुंचे थे और 18 जनवरी को वहां से मानीतोबा के इमरसन गए थे. चूंकि उनके पास कोई गाड़ी नहीं मिली थी तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि किसी ने वहां उन्हें छोड़ा था.
अधिकारियों के मुताबिक ये लोग अपने ही गांव के चार अन्य परिवारों के साथ भारत से आए थे. ये लोग अपने 18 लोगों के समूह से अलग हो गए और एक बर्फीले तूफान में फंस गए, जिस कारण इनकी मौत हो गई. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस त्रासदी को झकझोर देने वाली घटना बताया.
उत्तरी अफ्रीका में तैर कर सरहद पार करते शरणार्थी
उत्तरी अफ्रीका में हजारों लोग मोरक्को छोड़ कर पड़ोस में स्थित स्पेन के एन्क्लेव सेउता चले गए हैं. कुछ नाव से गए, कुछ तैर कर तो कुछ समुद्र के छिछले इलाके में पैदल ही सरहद पार कर गए.
तस्वीर: Javier Fergo/AP Photo/picture alliance
तैर कर यात्रा
करीब 6,000 लोग मोरक्को से स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता चले गए हैं. उनमें से कई तैर कर गए तो कुछ लोगों ने रबर की डिंगियों का इस्तेमाल किया. इन कोशिशों में कम से कम एक व्यक्ति डूब गया.
तस्वीर: Fadel Senna/AFP
छिछले समुद्र में पैदल यात्रा
कुछ स्थानों पर पानी का स्तर इतना कम था कि कुछ लोग सेउता से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित तटों से छिछले पानी में पैदल चल कर ही आ गए.
तस्वीर: Fadel Senna/AFP
यूरोप की सीढ़ी
अफ्रीका से जाने वाले प्रवासी लंबे समय से सेउता को यूरोप जाने की सीढ़ी के रूप में देखते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी इतनी तेजी से लोगों का आगमन नहीं हुआ. स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्पेन के साथ चल रहे एक झगड़े की वजह से मोरक्को ने अपनी सीमाओं पर नियंत्रण ढीले कर दिए हैं. मोरक्को के एक बागी नेता को स्पेन के एक अस्पताल में उपचार की अनुमति मिलने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए.
तस्वीर: Fadel Senna/AFP
मोरक्को में निडेक के तट से शुरू होती है यात्रा
कई प्रवासी अपनी यात्रा की शुरुआत उत्तरी मोरक्को के शहर निडेक की पहाड़ियों पर चढ़ कर करते हैं. 17 मई को जब मोरक्को ने सीमाओं पर नियंत्रण ढीले किए तो सीमा पार करने के इच्छुक लोगों ने मौका लपक लिया.
तस्वीर: Fadel Senna/AFP
पहुंचने पर गिरफ्तार
लेकिन सेउता पहुंचते ही स्पेन के सुरक्षाकर्मियों ने इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया. स्पेन मोरक्को के रहने वालों को शरणार्थी दर्जा नहीं देता है. सिर्फ बिना अभिभावकों के आए नाबालिग सरकार की देख-रेख में देश में रह सकते हैं.
तस्वीर: Antonio Sempere/AFP
सेउता में मानवीय संकट
हजारों शरणार्थियों के अचानक आ जाने से सेउता में तैनात स्पेन की सेना, सिविल गार्ड और आपातकालीन कर्मियों पर दबाव बढ़ गया है. 85,000 लोगों की आबादी वाले इस शहर में स्पेन की सरकार को अतिरिक्त 200 अधिकारी भेजने पड़े. इनमें दंगा-विरोधी पुलिस दस्ता और सीमा नियंत्रण लागू करने वाले कर्मी भी शामिल हैं.
तस्वीर: Javier Fergo/AP/dpa/picture alliance
तुरंत वापस भेजना चाहता है स्पेन
स्पेन में मोरक्को से आ रहे वयस्कों को एक फुटबॉल स्टेडियम में ले जाया गया. उन्हें वापस मोरक्को भेजा जाएगा और प्रक्रिया के पूरा होने तक उन्हें स्टेडियम में ही इंतजार करना पड़ेगा.
तस्वीर: Javier Fergo/AP Photo/picture alliance
बच्चे और किशोर भी पहुंचे
सेउता पहुंचने वालों में कई नाबालिग बच्चे भी शामिल थे. ऐसे बच्चों को रेड क्रॉस जैसे समूहों द्वारा चलाए जा रहे केंद्रों में भेज दिया गया. (बीट्रीस क्रिस्टोफारु)
तस्वीर: Javier Fergo/AP Photo/picture alliance
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मामला तब प्रकाश में आया जब अमेरिकी अधिकारियों ने बाकी लोगों को पकड़ा. पकड़े गए लोगों के सामान में एक बैग था जिसमें बच्चों का सामान था. लेकिन समूह में कोई बच्चा नहीं था जिससे अधिकारियों को संदेह हुआ. पूछताछ करने पर अलग हो गए लोगों का पता चला और उनकी खोज की गई. अमेरिकी अधिकारियों ने कनाडा के अफसरों को सूचित किया और तब पुलिस ने उन्हें खोजा लेकिन उनके शव बरामद हुए.
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गहरी है तस्करी की पैठ
गांधीनगर में झाला कहते हैं कि लोग अमेरिका और कनाडा जाने के लिए अपना घर और जमीन तक बेच रहे हैं. उन्होंने बताया, "मानव तस्करी के गिरोहों की पकड़ बहुत गहरी होती है और अक्सर में स्थानीय नेता तक शामिल होते हैं.”
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अवैध रूप से लोगों को विदेश भेजने के मामले की गहन जांच के लिए अमेरिकी और कनाडा के अधिकारियों के साथ संपर्क साधा जा रहा है.
आमतौर पर अमेरिका में घुसने के लिए अवैध प्रवासी कनाडा के रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते हैं. अमेरिका में सीमाओं की पहरेदारी करने वाली विभाग के मुताबिक 2009 में कनाडा के रास्ते अमेरिका में घुसने की कोशिश करते 6,806 लोग पकड़े गए थे जिनकी संख्या 2021 में घटकर 916 रह गई थी.
अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले साल इस रास्ते से सीमा पार करते 41 भारतीयों को गिरफ्तार किया था. 2020 में 129 और 2019 में 339 भारतीय पकड़े गए थे. मिनेसोटा स्थित इमिग्रेशन लॉ सेंटर की कार्यकारी निदेशक वीणा अय्यर बताती हैं कि पिछले हफ्ते जो सात लोग पकड़े गए हैं उन्होंने अगर स्टीव शैंड को सजा दिलाने में अधिकारियों की मदद की तो उन्हें अमेरिका का वीजा भी मिल सकता है.