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यूपी: बुलडोजर वाली कार्रवाई पर फिर उठे सवाल

१३ जून २०२२

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में एक कथित मुस्लिम नेता के दो मंजिला घर को गिरा दिया है. उनपर पैगंबर के खिलाफ बयान के विरोध में प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप है. कई लोगों ने इस कदम को कानून का स्पष्ट उल्लंघन बताया है.

नूपुर शर्मा के बयान को लेकर विरोध प्रदर्शन
नूपुर शर्मा के बयान को लेकर विरोध प्रदर्शन तस्वीर: Debarchan Chatterjee/Zumapress/picture alliance

पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी नेताओं द्वारा विवादित बयान मामले के बाद कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और उसके बाद ये हिंसक हो गए. उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बड़े स्तर पर विरोध हुए. सहारनपुर और प्रयागराज में पिछले हफ्ते बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा और पत्थरबाजी हुई. प्रयागराज प्रशासन ने जावेद मोहम्मद के घर को बुलडोजर से ढहा दिया. जावेद को 10 जून को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है. आरोप है कि उन्होंने बिना नक्शा पास कराए बिल्डिंग बनाई थी.

यूपी पुलिस का आरोप है कि शुक्रवार को नमाज के बाद प्रयागराज में जावेद मोहम्मद ने धरना आयोजित किया था. उनके घर को तोड़े जाने से पहले ही, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और सख्त कानून के तहत जेल में डाल दिया गया. वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता होने के साथ-साथ जावेद मोहम्मद मशहूर छात्र नेता आफरीन फातिमा के पिता हैं.

अफरीन फातिमा नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे थीं. पुलिस का कहना है कि हिंसक प्रदर्शनों में उनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है.

पुलिस का दावा है कि घर तोड़े जाने से पहले जावेद को नोटिस जारी किया गया था कि उनका घर अवैध रूप से बनाया गया है. नोटिस कथित तौर पर एक दिन पहले ही जारी किया गया था. हालांकि, जावेद के वकीलों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया. उनका कहना है कि सरकार ने इस मामले में नियमों का पालन नहीं किया और तोड़ा जाना अवैध था.

दूसरी ओर कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी के करीबी के अवैध निर्माण को ढहाया था.

इस बीच कई राजनीतिक नेताओं और बुद्धिजीवियों ने एक बार फिर यूपी सरकार के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे बिना किसी अदालती कार्रवाई के असंवैधानिक बताया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में इसे पूरी तरह से अवैध करार दिया और कहा कि यह तकनीकी मुद्दा नहीं बल्कि कानून के शासन का सवाल है.

उन्होंने कहा, "अगर आप एक पल के लिए भी मान लें कि निर्माण अवैध था और लाखों भारतीय ऐसे अवैध ढांचे में रहते हैं, तो रविवार को उस समय एक घर को ढहाना जायज नहीं है. जब उस घर में रहने वाले पुलिस हिरासत में हों."

इसी बीच एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए हैं." उन्होंने सवाल किया कि क्या वे किसी को भी दोषी ठहरा देंगे और उनका घर ढहा देंगे?

वहीं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी की प्रमुख ने ट्वीट कर कहा, "यूपी सरकार एक समुदाय विशेष को टारगेट करके बुलडोजर विध्वंस व अन्य द्वेषपूर्ण आक्रामक कार्रवाई कर विरोध को कुचलने और भय व आतंक का जो माहौल बना रही है यह अनुचित व अन्यायपूर्ण. घरों को ध्वस्त करके पूरे परिवार को टारगेट करने की दोषपूर्ण कार्रवाई का कोर्ट जरूर संज्ञान ले."

उन्होंने आगे लिखा, "इस समस्या की मूल जड़ नूपुर शर्मा व नवीन जिन्दल हैं जिनके कारण देश का मान-सम्मान प्रभावित हुआ व हिंसा भड़की, उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं करके सरकार द्वारा कानून के राज का उपहास क्यों? दोनों आरोपियों को अभी तक जेल नहीं भेजना घोर पक्षपात व दुर्भाग्यपूर्ण. तत्काल गिरफ्तारी जरूरी."

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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी प्रदेश की योगी सरकार पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया. अखिलेश ने कहा था कि, "नमाज के बाद सभी प्रदर्शनकारी शांति पूर्ण ढंग से विरोध कर रहे थे."

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, "बीते दिनों प्रदेश के विभिन्न शहरों में माहौल बिगाड़ने के लिए हुए अराजक प्रयासों में शामिल समाजविरोधी तत्वों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी. यह ध्यान रखें कि किसी भी निर्दोष का उत्पीड़न न हो, लेकिन दोषी एक भी न बचे."

राज्य सरकार द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर से कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं, लेकिन अभी तक इसकी सुनवाई नहीं हुई है और सभी मामले लंबित हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक बिना अदालती व्यवस्था के ऐसी सजा लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है.

पिछले हफ्ते की हिंसा में झारखंड की राजधानी रांची में दो लोगों की मौत हो गई थी. कई शहरों में पिछले हफ्ते जुमे की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन हुए थे और वहां हिंसा के बाद कई गिरफ्तारियां हुईं. अलग-अलग राज्यों की पुलिस हाल की हिंसा को लेकर जांच कर रही है.

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