वजीरिस्तान हमले को लेकर पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया है कि "भारत समर्थित चरमपंथियों" ने सेना के काफिले पर आत्मघाती हमला किया. भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
वजीरिस्तान में हुए हमले में पाकिस्तान के कई सैनिक मारे गएतस्वीर: AFP/Getty Images
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पाकिस्तान की सेना ने शनिवार को वजीरिस्तान में हुए आत्मघाती हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया. इस पर भारत ने सख्त आपत्ति जताई है. विदेश मंत्रालय ने रविवार को बयान जारी कर कहा, "हम पाकिस्तान सेना के उस आधिकारिक बयान को खारिज करते हैं जिसमें भारत को 28 जून के हमले से जोड़ा गया है."
ये हमला उत्तरी वजीरिस्तान के मीर अली इलाके में हुआ. एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी कार को पाकिस्तानी सेना के काफिले में घुसा दिया. पाकिस्तान सेना के मुताबिक कम से कम 13 सैनिक मारे गए. दो बच्चों और एक महिला समेत तीन आम नागरिक गंभीर रूप से घायल हुए.
हमले के बाद सेना ने इलाके में ऑपरेशन चलाया. इसमें 14 आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस घटना को "कायराना हमला” बताया. सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कहा, "देश की आंतरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों का जवाब तेजी और सख्ती से दिया जाएगा.”
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भारतनेक्योंखारिजकियाआरोप
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि हमला भारत समर्थित आतंकियों ने किया. सेना के बयान में इसे "भारतीय प्रॉक्सी अटैक” कहा गया. भारत ने इसे "बेबुनियाद और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ किया कि पाकिस्तान बार-बार ऐसे झूठे आरोप लगाकर ध्यान भटकाना चाहता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने एक्स पर जारी एक बयान में कहा, "हमने पाकिस्तान सेना का वह आधिकारिक बयान देखा है जिसमें 28 जून को वजीरिस्तान में हुए हमले के लिए भारत को दोषी ठहराने की कोशिश की गई है. हम इस बयान को उसी हिकारत के साथ खारिज करते हैं जिसकी यह हकदार है."
भारत का कहना है कि पाकिस्तान को अपनी घरेलू आतंकवाद की समस्या का समाधान खुद करना चाहिए. अफगान सीमा से सटे उत्तरी वजीरिस्तान में लंबे समय से आतंकी संगठन सक्रिय हैं. यहां तालिबान से जुड़े समूहों के ट्रेनिंग कैंप होने की बात कही जाती है. इस इलाके से पाकिस्तानी सेना कई बार निशाना बन चुकी है.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकी गुट सालों से सरकार के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. सेना ने इन पर कई बार कार्रवाई की है, लेकिन टकराव अब भी जारी है.
भारत पाकिस्तान की दुश्मनी
भारत के बंटवारे के साथ 1947 में जब से पाकिस्तान बना है और तब से ही दोनों के बीच बैर का सिलसिला जारी है. इन तस्वीरों में देखिए दोनों देशों की रंजिश की कहानी.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1947 में आजादी के साथ विभाजन
1947 में भारत आजाद हुआ लेकिन विभाजन की कीमत पर. भारत और पाकिस्तान दो देश बन गए. पाकिस्तान मुसलमानों का देश बना जबकि भारत ने धर्मनिरपेक्षता को चुना. विभाजन के समय करीब डेढ़ करोड़ लोग विस्थापित हुए. इस दौरान हुए दंगों में दोनों ओर के हजारों लोगों की जान गई.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1947 की लड़ाई
विभाजन के कुछ ही महीनों बाद दोनों देशों के बीच कश्मीर में लड़ाई छिड़ गई. हिंदू राजा और मुसलमान बहुसंख्यक आबादी वाले कश्मीर पर नियंत्रण के लिए दोनों देश भिड़ गए. कश्मीर पर पहले पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ और तब राजा हरि सिंह ने भारत में कश्मीर के विलय के कागजात पर दस्तखत कर दिए. 1948 में युद्ध खत्म होने के पहले दोनों तरफ के हजारों लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: Max Desfor/AP Photo/picture alliance
कश्मीर का बंटवारा
संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में हुए युद्धविराम ने कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच बांट दिया. उस वक्त वादा किया गया था कि कश्मीर में जनमत संग्रह के जरिए यह तय होगा कि कश्मीर किधर जाएगा. यह जनमतसंग्रह कभी नहीं हुआ. भारत का कहना है कि कश्मीर के लोगों ने चुनाव में हिस्सा लेकर अपनी मंशा जता दी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Channi Anand
1965 की लड़ाई
साल 1965 में दोनों देश एक बार फिर भिड़ गए. हजारों लोगों की मौत के बाद सोवियत संघ और अमेरिका की मध्यस्थता में संघर्षविराम हुआ. उसके बाद कई महीनों की बातचीत से ताशकंद समझौता हुआ. दोनों देशों ने युद्ध के दौरान कब्जाई गई एक दूसरे की जमीन वापस कर दी और सेना को पीछे खींच लिया.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1971 की लड़ाई
पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह के दौरान भारत ने बंगालियों का साथ दिया. इस जंग में पाकिस्तान की सेना को हार का मुंह देखना पड़ा. सिर्फ इतना ही नहीं उसका पूर्वी हिस्सा आजाद हो कर बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बन गया.
तस्वीर: AP/picture alliance
1972 का शांति समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एक शांति समझौता हुआ. इसके तहत कश्मीर में संघर्षविराम की रेखा को नियंत्रण रेखा घोषित किया गया. दोनों देशों ने इस मोर्चे पर बड़ी संख्या में अपनी सेनाएं तैनात कर दी.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
1989 का संघर्ष
पाकिस्तान की मदद से कश्मीर में भारत के खिलाफ उग्रवादी आंदोलन की शुरुआत हुई. इसी दौरान कश्मीरी पंडितों को वहां से भागने पर मजबूर किया गया. भारत ने इसका सख्ती से जवाब दिया. इसका नतीजा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य संघर्ष के रूप में सामने आया.
तस्वीर: Channi Anand/AP Photo/picture alliance
1999 का कारगिल युद्ध
पाकिस्तानी सैनिकों और कश्मीरी लड़ाकों ने भारत की सीमा में हिमालय की कई चोटियों पर कब्जा कर लिया. भारत ने टैंक और हवाई बमबारी से जवाब दिया. 10 हफ्ते की लड़ाई में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध का खतरा उभर आया. अमेरिका के दखल से यह लड़ाई बंद हुई.
तस्वीर: Arko Datta/dpa/picture alliance
2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला
पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई शहर में खूब तांडव मचाया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. भारतीय सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 9 आतंकवादी मारे गए जबकि एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ कर उस पर मुकदमा चला. बाद में अदालत ने उसे मौत की सजा दी. पाकिस्तान इस हमले के सबूत मांगता रहा लेकिन दोषियों पर कभी कार्रवाई नहीं हुई.
तस्वीर: David Guttenfelder/AP Photo/picture alliance
पहलगाम में सैलानियों पर हमला
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में सैलानियों पर हमला करके आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी. उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव फिर चरम पर है. भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि रोकने की घोषणा की और फिर पाकिस्तानी इलाकों पर मिसाइलों से हमला किया है.
तस्वीर: ANI
2016 की सर्जिकल स्ट्राइक
भारतीय कश्मीर में सेना के अड्डे में घुसे आतंकवादियों के हमले में कम से कम 18 सैनिकों की मौत हुई. भारत ने इसका जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से दिया और कई संदिग्धों को मार गिराया. पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक होने से इनकार करता रहा. हालांकि इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा पर काफी तनाव फैला रहा.
तस्वीर: Jaipal Singh/dpa/picture alliance
पाकिस्तानी कश्मीर पर हमला
2019 में भी दोनों देश युद्ध के करीब आ गए थे जब कश्मीरी चरमपंथियों ने विस्फोटकों से भरी कार भारतीय सुरक्षा बलों को ले जा रही बस से टकरा दी. इस हमले में 40 सैनिक मारे गए. भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के इलाके में आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया. इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया और पायलट को गिरफ्तार कर लिया. बाद में पायलट को छोड़ दिया गया.
तस्वीर: IANS
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भारत ने दोहराया है कि वह किसी भी तरह के आतंकवाद की निंदा करता है और ऐसी हिंसा को जायज ठहराने या दोषारोपण की राजनीति को खारिज करता है.
एक-दूसरेपरआरोप
भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नया नहीं है. पाकिस्तान अपने उत्तर पश्चिमी इलाके में आतंकी गतिविधियों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराता है, जबकि भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर सीमापार आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है. 26/11 मुंबई हमलों से लेकर पहलगाम तक, भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को पाकिस्तान से संचालित बताया है. दूसरी ओर, पाकिस्तान अक्सर बलूचिस्तान में अशांति फैलाने का आरोप भारत पर लगाता है.
क्या व्यापार ला सकता है भारत-पाकिस्तान के बीच शांति?
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28 जून के हमले के बारे में प्रकाशित एक खबर में द डॉन अख़बार के मुताबिक, सेना के मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने बयान में कहा, "हताशा में, भारत समर्थित खारिजियों ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी को हमारी अग्रिम टुकड़ी के एक वाहन में घुसा दिया."
द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब कुछ ही दिन पहले दक्षिण वजीरिस्तान में एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन में दो सैनिक मारे गए थे और 11 आतंकियों को ढेर किया गया था. पाकिस्तान में हाल के दिनों में आंतरिक चुनौतियां बढ़ी हैं. समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में हिंसा तेजी से बढ़ी है. इस्लामाबाद ने अफगान सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ हो रहे हमलों के लिए होने दे रही है. हालांकि तालिबान इस आरोप को खारिज करता है.
एएफपी के एक आंकड़े के मुताबिक, साल की शुरुआत से अब तक खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में सरकार विरोधी सशस्त्र गुटों द्वारा किए गए हमलों में करीब 290 लोगों की मौत हुई है, जिनमें अधिकतर सुरक्षा बलों के जवान थे.