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भारत: सैटेलाइट इंटरनेट जल्द लॉन्च कर सकती है रिलायंस जियो

१४ जून २०२४

भारत में इलॉन मस्क की कंपनी से पहले दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा लॉन्च कर सकते हैं.

स्टारलिंक का सैटेलाइट
जियो और लक्जमबर्ग स्थित एसईएस के बीच गीगाबिट फाइबर इंटरनेट सेवा देने के लिए करार हुआ है तस्वीर: La Nacion/ZUMA Press/picture alliance

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारत सरकार के एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म और लक्जमबर्ग स्थित एसईएस के बीच गीगाबिट फाइबर इंटरनेट सेवा देने के लिए करार हुआ है और इसको भारत के अंतरिक्ष नियामक से सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है.

ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को तीन मंजूरियां ऐसे समय में दी गई हैं, जब अमेजन डॉट कॉम से लेकर इलॉन मस्क की स्टारलिंक जैसी कंपनियां दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की अनुमति के लिए होड़ में लगी हुई हैं.

भारत के दूरदराज इलाकों में इंटरनेट

ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया का उद्देश्य सैटेलाइट आधारित हाई-स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना है. इन्हें अप्रैल और जून में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने मंजूरी दी थी.

इससे ऑर्बिट कनेक्ट को भारत के ऊपर सैटेलाइट का संचालन करने की मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन ऑपरेशन शुरू करने के लिए देश के दूरसंचार विभाग से आगे की मंजूरी की जरूरत होगी. हालांकि, जियो की मालिक कंपनी रिलायंस ने रॉयटर्स द्वारा और अधिक जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया.

IN-SPACe के अध्यक्ष पवन गोयनका ने रॉयटर्स को बताया कि हाई-स्पीड सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट प्रदान करने की उम्मीद करने वाली एक अन्य कंपनी इनमारसैट को भी भारत में सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है.

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रेस में इलॉन मस्क की कंपनी और अमेजन भी

दो अन्य कंपनियां इलॉन मस्क की स्टारलिंक और अमेजन डॉट कॉम की कुइपर (Kuiper) ने भी आवेदन दिया है. भारती एंटरप्राइजेज समर्थित यूटेल्सैट की वनवेब (OneWeb) को 2023 के आखिर में ही सभी मंजूरियां मिल गई थीं.

कंसल्टेंसी कंपनी डेलॉइट के मुताबिक भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा बाजार अगले पांच सालों में प्रति वर्ष 36 प्रतिशत की दर से बढ़ने और 2030 तक 1.9 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

वैश्विक स्तर पर स्पेस बेस्ड इंटरनेट के जरिए से दुनिया के ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने की दौड़ तेज हो रही है. अमेजन ने कुइपर में 10 अरब  डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है, जिसकी घोषणा 2019 में की गई थी. उसी साल स्पेसएक्स ने अपने पहले शुरू होने वाले स्टारलिंक सैटेलाइट को तैनात करना शुरू किया था.

भारतीय बाजार में विदेशी कंपनियां

पिछले सप्ताह श्रीलंका ने स्टारलिंक को देश में इंटरनेट सेवाएं देने के लिए शुरुआती मंजूरी दे दी थी. गोयनका का कहना है कि भारत में इस क्षेत्र में जितनी अधिक कंपनियां शामिल होंगी, ग्राहकों के लिए उतना ही बेहतर होगा.

गोयनका ने कहा, "भारत में संचार सेवाओं की तुलनात्मक रूप से कम कीमत वैश्विक कंपनियों को अपनी कीमतें कम करने के लिए इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए मजबूर करेगी."

उन्होंने कहा, "यह पहले से ही कई उद्योगों में किया जा रहा है, जैसे वाहन उद्योग, जहां मल्टीनेशनल ओईएम को भारतीय ग्राहकों की हाई परफॉरमेंस और कम लागत की उम्मीदों को पूरा करने के लिए इनोवेशन करना पड़ा."

गोयनका ने कहा कि IN-SPACe जल्द ही निजी कंपनियों को ग्राउंड स्टेशन ऑपरेट करने के लिए अधिकृत करेगा, जिससे उपग्रह संचालक भारत से गुजरते समय डाटा डाउनलोड कर सकेंगे.

स्पेस सेक्टर पर भारत का जोर

भारत सरकार देश के स्पेस सेक्टर को बढ़ावा दे रही है. इसी साल सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी और निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत उपग्रहों के उपकरण बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों को आसान बनाया था.

गोयनका के मुताबिक पिछले साल निजी स्पेस कंपनियों में सिर्फ 20-70 लाख डॉलर का निवेश हुआ था. इस साल यह आंकड़ा 20-30 करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसका मतलब है कि इस क्षेत्र में निवेश की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं और पहले से ही निवेश बढ़ रहा है.

इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत में इस समय 75.9 करोड़ सक्रिय इंटरनेट यूजर हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2022 में देश में 75.9 करोड़ सक्रिय इंटरनेट ग्राहकों में से 39.9 करोड़ ग्रामीण इलाकों से हैं, जबकि 36 करोड़ शहरी इलाकों से हैं. यह दर्शाता है कि ग्रामीण इलाका इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है.

रिपोर्ट: आमिर अंसारी (रॉयटर्स)

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