भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. गुरुवार को सरकार ने ऐलान किया कि चावल की अन्य विभिन्न किस्मों के निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात कर लगेगा.
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दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है और अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत कर दिया है. औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है. इसका असर दुनियाभर के बाजारों में महंगाई के रूप में देखने को मिल सकता है.
भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. पहले से खाने के सामान की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि झेल रही दुनिया के लिए यह एक बड़ी समस्या हो सकती है. यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए है.
दुनिया में महंगाई बढ़ेगी
भारत द्वारा लगाया गया नया निर्यात कर खरीददारों को ज्यादा चावल खरीदने से हतोत्साहित करेगा और वे थाईलैंड व वियतनाम जैसे अन्य वैकल्पिक बाजारों का रुख कर सकते हैं. उन देशों के लिए यह एक अच्छी खबर हो सकती है क्योंकि वियतनाम और थाईलैंड अपना निर्यात बढ़ाने को कोशिशों में जुटे हैं.
ये देश खरीदते हैं सबसे ज्यादा हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की सालाना रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच साल में दुनियाभर में सबसे ज्यादा हथियार भारत और सऊदी अरब ने खरीदे. देखिए, कौन से देश हैं सबसे बड़े खरीददार...
सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और सऊदी अरब दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदते हैं. इन्होंने 2016 से 2020 के बीच कुल बिके हथियारों का 11-11 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है. हालांकि 2012-16 के मुकाबले भारत का आयात 21 प्रतिशत घटा है.
तस्वीर: U.S. Navy/Zuma/picture alliance
सऊदी अरब
2012-16 के मुकाबले बीते पांच साल में सऊदी अरब में हथियारों का आयात 27 प्रतिशत बढ़ा है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है.
तस्वीर: Jon Gambrell/AP/picture alliance
मिस्र, दूसरे नंबर पर
सिप्री में मिस्र को दूसरे नंबर पर रखा गया है जिसने कुल हथियार आयात का 5.7 प्रतिशत हिस्सा खरीदा. पिछले पांच साल में उसने 2012-16 के मुकाबले 73 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन से पनडुब्बी समझौता करने वाला ऑस्ट्रेलिया 5.4 प्रतिशत हथियार खरीदकर तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
चीन
सिप्री की रिपोर्ट कहती है कि चीन अब खुद हथियार बनाने में बहुत प्रगति कर चुका है लेकिन तब भी वह दुनिया के कुल आयात का 4.8 प्रतिशत खरीद रहा है. चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो हथियार बेचने वालों में भी पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
म्यांमार का आयात घटा
बीते पांच साल में म्यांमार की हथियार खरीद 32 प्रतिशत कम हो गई है. उसके पास कुल आयात का सिर्फ 0.6 प्रतिशत हिस्सा गया.
तस्वीर: Yirmiyan Arthur/AP Photo/picture alliance
इस्राएल का आयात बढ़ा
2012-16 से तुलना की जाए तो इस्राएल ने बीते पांच साल में 19 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
ताइवान का आयात घटा
चीन के साथ संबंधों में तनाव झेल रहे ताइवान का आयात बीते पांच साल में तो 68 प्रतिशत घट गया है लेकिन आने वाले सालों में उसकी हथियार खरीद में बड़ी वृद्धि की संभावना जताई गई है.
तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMAPRESS.com/picture alliance
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ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णाराव ने बताया कि निर्यात कर का असर भूरे और सफेद चावल पर होगा जो निर्यात का कुल 60 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, "इस कर के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत का निर्यात महंगा हो जाएगा. फिर खरीददार थाईलैंड और वियतनाम की ओर जाएंगे.”
वैसे भारत सरकार ने उबले चावल और बासमती को इस निर्यात कर से बाहर रखा है. नया कर 9 सितंबर यानी शुक्रवार से लागू हो गया है. इसके साथ ही टूटे चावल के निर्यात पर पूर्ण रोक भी अमल में आ गई है. टूटा चावल आमतौर पर गरीब अफ्रीकी मुल्कों को जाता है जहां इंसानों के अलावा इसे मवेशियों को भी खिलाया जाता है.
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व्यापारियों में चिंता
दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है. उसका मुकाबला थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और म्यांमार से होता है. लेकिन भारत में यह मॉनसून कमजोर रहा है और बारिश सामान्य से कम हुई है. पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में हुई कम बारिश के कारण धान की बुआई या तो कम हुई है या फिर देर से हो रही है. इस कारण चावल के उत्पादन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं.हाल ही में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोग लगा दी थी और चीनी के निर्यात को भी नियंत्रित कर दिया था.
भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर हिमांशु अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है. वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है.
कहां का तेल खाते हैं भारतीय
खाने वाले तेलों का आयात करने के मामले में भारत विश्व में पहले स्थान पर है. जानिए भारत में तेल की लगातार बढ़ती मांग के पीछे क्या है और इसे कहां से पूरा किया जा रहा है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/R. Elliott
क्यों खाते हैं इतना तेल
आपमें से कई लोग अपने घर की रसोई में घी, सरसों या फिर सूर्यमुखी और नारियल के तेल में खाना पकाते होंगे. देश में लगातार बढ़ती तेल की खपत के पीछे एक तो बढ़ती आबादी है और दूसरे प्रति व्यक्ति आय का ऊपर जाना. एक और धारणा प्रचलित है कि जितना तेल डालेंगे पकवान उतना स्वादिष्ट बनेगा.
तस्वीर: Colourbox
कितनी आबादी पर कितना तेल
हर साल भारत की आबादी में करीब 2.5 करोड़ लोग जुड़ते जा रहे हैं. इसके हिसाब से खाद्य तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 प्रतिशत की बढ़त होने का अनुमान है. फिलहाल एक साल में भारत सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है. देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत होती है.
तस्वीर: Colourbox
कौन से तेल की सबसे ज्यादा खपत
भारत में सोया और पाम ऑयल का सबसे ज्यादा आयात होता है. खाने वाले तेलों में जहां पाम ऑयल यानि ताड़ का तेल कुल आयात का 40 फीसदी होता है वहीं सोयाबीन का तेल करीब 33 फीसदी होता है. सोयाबीन का तेल अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात होता है.
तस्वीर: Imago Images/ZumaPress
पाम ऑयल भी दो तरह का
भारत अपनी घरेलू खपत के लिए पाम ऑयल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से मंगाता है. क्रूड पाम ऑयल इंडोनेशिया से जबकि रिफाइंड पाम ऑयल मलेशिया से आयात किया जाता है. बाहर से मंगाए गए पाम ऑयल को कई घरेलू कारोबारी दूसरे तेलों के साथ मिलाते हैं और इस तरह अपने तेल उत्पादन के खर्च को कम रखते हैं.
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भारत के घर घर में आने वाला सनफ्लावर ऑयल
सूर्यमुखी का तेल यूक्रेन और रूस से मंगाया जाता है. बीते करीब 20 सालों में भारत के रसोइघरों में रिफाइंड तेलों का इस्तेमाल काफी बढ़ा है और उसमें भी सूर्यमुखी के तेल वाले ब्रांड बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुए हैं.
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भारत सरकार का 'जीरो' इम्पोर्ट प्लान
भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय को ऐसी योजना बनाने को कहा है जिससे आने वाले सालों में खाद्य तेलों का आयात बंद किया जा सके. घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया से आयात पर कस्टम ड्यूटी को 5 फीसदी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है.
भारत सरकार का 'जीरो' इम्पोर्ट प्लान
भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय को ऐसी योजना बनाने को कहा है जिससे आने वाले सालों में खाद्य तेलों का आयात बंद किया जा सके. घरेलू उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए मलेशिया से आयात पर कस्टम ड्यूटी को 5 फीसदी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है.
बीज वाले पौधों पर ध्यान
भारत में तैलीय बीजों वाले पेड़-पौधों की उपज बहुत कम होती है. 2020 तक इसे बढ़ाकर इतना करने की योजना बनी है जिससे किसानों की आय को भी दोगुना किया जा सके. इससे पहले भी भारत को दालों की उपज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश हो चुकी है.
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अग्रवाल ने कहा, "खरीददार पहले से तय कीमत पर 20 प्रतिशत ज्यादा नहीं दे सकते और विक्रेता भी 20 प्रतिशत कर वहन नहीं कर सकते. सरकार को पहले से हो चुके समझौतों को राहत देनी चाहिए.”
भारत का रिकॉर्ड निर्यात
2021 में भारत का चावल निर्यात रिकॉर्ड 2.15 करोड़ टन पर पहुंच गया था जो दुनिया के बाकी चार सबसे बड़े निर्यातकों थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका के कुल निर्यात से भी ज्यादा है. भारत को सबसे बड़ा फायदा उसकी कीमत से ही होता है क्योंकि वह सबसे सस्ता सप्लायर है.
मुंबई स्थित ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म में काम करने वाले एक ट्रेडर के मुताबिक इस सस्ते चावल के कारण ही नाईजीरिया, बेनिन और कैमरून जैसे देश गेहूं और मकई की महंगाई से बच पाए. इस ट्रेडर के मुताबिक चावल को छोड़कर बाकी सभी अनाज महंगे हो गए थे और अब चावल भी उसी राह चल निकला है. वह कहते हैं कि टूटे चावल के निर्यात पर रोक से चीन को भी नुकसान होगा क्योंकि वह मवेशियों को खिलाने के लिए इसे खरीदता है.
चीन 2021 में टूटे चावल का सबसे बड़ा खरीददार था. उसने 11 लाख टन चावल खरीदा था. अफ्रीकी देशों जैसे सेनेगल और जिबूती ने इंसानी उपभोग के लिए इसे खरीदा था.