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रूस और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते की कोशिश

१९ अप्रैल २०२३

भारत और रूस एक दूसरे के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने की ओर बढ़ रहे हैं. दोनों देश व्यापार घाटा कम करने और एक दूसरे के उद्योगों को ज्यादा सुविधाएं देने और व्यापारिक बाधाओं को हटाने पर भी सहमत हुए हैं.

भारत में रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव
भारत में रूसी उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोवतस्वीर: Imtiyaz Khan/AA/picture alliance

भारत और रूस के व्यापार मंत्रियों के बीच मंगलवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में ऐसे उपाय करने पर सहमति बनी जिनसे दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा कम हो और कारोबार की राह में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाए. यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से दोनों देशों का व्यापार चार गुना तक बढ़ चुका है.

भारत की यात्रा पर आए रूस के उप प्रधान मंत्री व व्यापार और उद्योग मंत्री डेनिस मांतुरोव ने मंगलवार को भारतीय विदेश और वित्त मंत्रियों से मुलाकात की. एक हफ्ता पहले ही यूक्रेन की डिप्टी विदेश मंत्री भारत में थीं और उन्होंने भारत से रूस के खिलाफ रुख अपनाने का आग्रह किया था. यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारत ने रूस की सीधी आलोचना नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए कई प्रस्तावों पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिससे रूस को फायदा पहुंचा.

तेजी से बढ़ता व्यापार

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मांतुरोव की मुलाकात के बाद भारत में रूसी दूतावास ने ट्विटर पर लिखा कि दोनों नेताओं ने "व्यापार, वित्त, उद्योग, ऊर्जा क्षेत्र, परमाणु ऊर्जा, कृषि, यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत की.”

पिछले साल आई खबरों के मुताबिक रूस भारत से 500 से ज्यादा उत्पादों के आयात की योजना बना रहा है, जिनमें कार, विमान और ट्रेन से जुड़े सामान भी शामिल हैं. पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण रूस इन क्षेत्रों में सामानों की कमी से जूझ रहा है और उसके प्रमुख उद्योगों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

दिसंबर में भारत ने कहा था कि उसने रूस के साथ ऐसे भारतीय उत्पादों की सूची साझा की है, जिन्हें वह रूसी बाजार में बेचना चाहता है. दोनों देशों के बीच व्यापार में यूक्रेन युद्ध के बाद से लगातार तेजी आ रही है. 24 फरवरी से 5 अप्रैल के बीच भारत ने रूस से 51.3 अरब डॉलर का तेल खरीदाहै. इसी अवधि में पिछले साल यह खरीद मात्र 10.6 अरब डॉलर की थी.

पश्चिम को नजरअंदाज करता भारत

भारत और रूस के व्यापार संबंध अमेरिका और यूरोप को परेशान करते रहे हैं लेकिन भारत इन आपत्तियों को नजरअंदाज करता रहा है और अब दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते की ओर बढ़ रहे हैं. मांतुरोव रूस के उप प्रधानमंत्री भी हैं. उन्होंने कहा, "यूरेशियन इकनॉमिक कमीशन के साथ मिलकर हम भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत को लेकर उत्साहित हैं.”

भारत की जिम्मेदारी बड़ी

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भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड के कारण भारत और रूस की अगुआई वाले यूरेशियन इकनॉमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत रुक गई थी लेकिन अब उम्मीद है कि यह बातचीत आगे बढ़ेगी "क्योंकि हम मानते हैं कि यह हमारे व्यापार संबंधों में बड़ा अंतर ला सकती है.” जयशंकर ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. उन्होंने रूस को सबसे स्थिर व्यापारिक साझीदारों में से एक बताया.

यहां दिलचस्प है कि भारत यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत कर रहा है. आने वाले महीनों में भारत में जी20 की बैठक भी होनी है, जिसमें रूस के साथ भारत के संबंध एक मुद्दा बन सकते हैं.

रूस के साथ व्यापार संबंधों की इच्छा को दृढ़ बताते हुए भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा था कि अगर तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के इसी महीने किए गए तेल उत्पादन घटाने के फैसले का कीमतों पर असर होता है तो वह रूस से जी7 देशों द्वारा तय की गई सीमा से ज्यादा तेल खरीदने को भी तैयार होगा.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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