आठ साल में भारतीयों की सैलरी 0.2% बढ़ी. चीनियों की 10%
१५ सितम्बर २०१६
भारत में आठ साल पहले मंदी के बाद भारतीयों की तन्ख्वाह में सिर्फ 0.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है जबकि चीन के लोगों की सैलरी 10.6 प्रतिशत बढ़ी है.
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कर्मचारियों पर शोध करने वाली अमेरिकी संस्था कॉर्न फेरी से जुड़े हेय ग्रुप की एक रिपोर्ट से ये आंकड़े सामने आए हैं. इसके मुताबिक पिछले आठ साल में भारत की जीडीपी में 63.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि लोगों का वेतन सिर्फ 0.2 प्रतिशत बढ़ा है. इस मामले में चीन 10.6 प्रतिशत वृद्धि के साथ सबसे आगे हैं जबकि उसके बाद 9.3 प्रतिशत के साथ इंडोनेशिया और 8.9 प्रतिशत के साथ मैक्सिको का नंबर आता है.
वैसे, इस मामले में कई देशों की हालत भारत से भी खराब है. वहां बीते आठ सालों में वेतन बढ़ा नहीं, बल्कि घट गया है. रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की में वेतन में 34.4 प्रतिशत की कमी आई है तो अर्जेंटीना में 18.6 प्रतिशत, रूस में 17.1 प्रतिशत और ब्राजील में 15.3 प्रतिशत तन्ख्वाह घटी है.
देखिए, कहां दी जाती है सबसे ज्यादा रिश्वत
कहां दी जाती है सबसे ज्यादा रिश्वत
वर्ल्ड बैंक एंटरप्राइज के सर्वेक्षणों के मुताबिक दुनिया को रिश्वत के हिसाब से इस तरह विभाजित किया जा सकता है. ये आंकड़े बता रहे हैं कि किस इलाके में टैक्स अधिकारियों को कितनी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ती है.
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सबसे भ्रष्ट
पूर्वी एशिया और पैसिफिक, जहां 29.8 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देनी पड़ी.
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दो नंबरी
दक्षिण एशिया इस मामले में दूसरे नंबर पर है. वहां 19.6 फीसदी ने रिश्वत का दवाब माना.
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नंबर 3
सब-सहारन अफ्रीका में 18.1 फीसदी कंपनियों को रिश्वत देने की जरूरत पड़ी.
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नंबर 4
मध्य-पूर्व में 17.3 फीसदी कंपनियां रिश्वत देकर आगे बढ़ पाईं.
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नंबर 5
मध्य एशिया में रिश्वत देने वाली कंपनियां 9.7 फीसदी रहीं.
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नंबर 6
कैरिबियाई दुनिया में रिश्वत देने की जरूरत 5.9 फीसदी कंपनियों को पड़ी.
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नंबर 7
दक्षिण अमेरिका में 5.8 फीसदी कंपनियां रिश्वत देने की बात मानती हैं.
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नंबर 8
मध्य यूरोप और बाल्टिक देशों में 2.7 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत देने का दर्द झेला.
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नंबर 9
पश्चिमी यूरोप में 2.5 फीसदी कंपनियों ने रिश्वत का दबाव महसूस किया.
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रिपोर्ट कहती है, "उभरते हुए जी20 देश या तो सबसे ज्यादा वृद्धि वाले देशों में शामिल हैं या फिर सबसे ज्यादा गिरावट वाले देशों में. लेकिन भारत बीच में दिखाई देता है." कॉर्न फेरी हेय ग्रुप ग्लोबल प्रोडक्ट मैनेजर बेंजामिन फ्रोस्ट कहते हैं कि भारत में वेतन वृद्धि में सबसे ज्यादा असमानता है.
उनका कहना है कि वरिष्ठ पदों पर लोगों के वेतन में बहुत अधिक वृद्धि का कारण उस पेशे में दक्ष लोगों की कमी हो सकती है और इन पदों पर वेतन वृद्धि कहीं ना कहीं अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होती है. हालांकि अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम ही वेतन दिया जाता है, लेकिन ये अंतर तेजी से घट रहा है.
देखिए, सबसे ज्यादा टैक्स वाले देश
सबसे ज्यादा टैक्स वाले देश
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल कॉम्पटिटिवनेस रिपोर्ट दिखाती है कि किस देश में कितना टैक्स लगता है. ये रहे टॉप 10 टैक्स रेट वाले देश.
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नंबर 10
आयरलैंड नंबर 10 पर है. यहां 40,696 डॉलर्स से ज्यादा की आय पर 48 फीसदी टैक्स लगता है.
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नंबर 9
फिनलैंड की औसत आय है 31 हजार डॉलर्स प्रति व्यक्ति. लेकिन 87 हजार 222 डॉलर्स सालान इनकम पर 49.2 प्रतिशत टैक्स देना होता है.
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नंबर 8
युनाइटेड किंगडम में 2 लाख 34 हजार 484 डॉलर्स की आय पर सालाना 50 फीसदी टैक्स लगता है.
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नंबर 7
टोक्यो ऐसा शहर जहां सबसे ज्यादा अरबपति रहते हैं. लेकिन टैक्स भी खूब देते हैं. यहां 50 फीसदी इनकम टैक्स है.
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नंबर 6
8 करोड़ लोगों का देश ऑस्ट्रिया यूरोप के सबसे ज्यादा टैक्स लेने वालों में है. यहां 74,442 डॉलर्स की इनकम पर सालाना 50 फीसदी टैक्स लगता है.
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नंबर 5
बेल्जियम में भी 50 फीसदी इनकम टैक्स लगता है.
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नंबर 4
नीदरलैंड्स में कुल आय पर 52 फीसदी का भारी-भरकम कर चुकाना होता है.
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नंबर 3
डेनमार्क में आयकर की दर है 55.38 फीसदी.
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नंबर 2
स्वीडन टैक्स के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है और यूरोप में पहले. यहां आपको 56.6 फीसदी टैक्स देना होता है.
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नंबर 1
और सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं अरुबा के लोग. कैरेबियाई देश अरुबा में टैक्स रेट है 58.95 फीसदी.
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छोटे पदों पर काम करने वाले लोगों की तन्ख्वाह में सबसे कम वृद्धि की वजह रिपोर्ट में ये बताई गई है कि काम करने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है और नौकरियां कम हैं. फ्रोस्ट कहते हैं, "भारत में नौकरियों के अवसर पैदा करने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले कम प्रगति दिखती है. इसीलिए बिना दक्षता वाले या कम दक्ष लोग कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं."
विकसित देशों की बात करें तो अमरीका में आठ साल के दौरान वेतन में सबसे ज्यादा 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जबकि उसकी जीडीपी में 10.2 प्रतिशत में इजाफा हुआ है. वहीं कनाडा में लोगों की सैलरी 7.2 प्रतिशत बढ़ी है और इस दौरान उसकी डीजीपी भी 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अन्य विकसित देशों को देखें तो ऑस्ट्रेलिया में औसतन 5.9 प्रतिशत, फ्रांस में 5.2 प्रतिशत, जर्मनी में 5 प्रतिशत और इटली में 2.4 प्रतिशत वेतन बढ़े हैं.
एके/वीके (पीटीआई)
देखिए, पिछले साल क्या-क्या बेचा भारत ने
क्या क्या बेचा भारत ने
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़े बताते हैं कि 2015 में भारत ने 264 अरब डॉलर का निर्यात किया. 2014 के मुकाबले 16.9 फीसदी कम. देखिए, क्या-क्या बेच पाया भारत.
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हीरे-जवाहरात
सबसे ज्यादा हीरे जवाहारात बेचे हैं. 38.8 अरब डॉलर के. यानी कुल निर्यात का 14.7 फीसदी
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तेल
भारत के कुल निर्यात का 11.7 फीसदी तेल है. कुल 30.9 अरब डॉलर का तेल बिका.
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गाड़ियां
तीसरे नंबर पर गाड़ियां रहीं. भारत ने कुल 14.1 अरब डॉलर की गाड़ियां बेचीं. निर्यात का 5.3 फीसदी.
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मशीनरी
13.2 अरब डॉलर की मशीनें भारत से निर्यात हुईं जो उसके कुल निर्यात का 5 प्रतिशत है.
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दवाएं
निर्यात का 4.7 फीसदी हिस्सा दवाओं से आया. कुल 12.5 अरब डॉलर की दवाएं बिकीं.
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ऑर्गैनिक केमिकल्स
11.2 अरब डॉलर के ये केमिकल भारत के कुल निर्यात का 4.3 फीसदी हिस्सा हैं.
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कपड़े
9.4 अरब डॉलर के कपड़े बेचकर भारत ने 3.5 फीसदी हिस्सा इस उद्योग को दिया.
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इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट
भारत के निर्यात का 3 फीसदी हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक सामान से आता है. मिले 7.9 अरब डॉलर.
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बुने हुए कपड़े
7.8 अरब डॉलर के बुने या कढ़ाई वाले कपड़े बिके जो कुल निर्यात का 2.9 फीसदी है.
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कपास
टॉप 10 में दसवां आइटम कपास है जो कुल निर्यात का 2.8 फीसदी है. 7.5 अरब डॉलर.