रूस की तरफ से लड़ रहे 20 भारतीयों के लिए चिंतित सरकार
१ मार्च २०२४
भारत ने कहा है कि वह अपने लगभग 20 नागरिकों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, जो रूसी सेना में 'फंसे हुए हैं.' ऐसी खबरें आई थीं कि कई भारतीय नागरिकों को रूस ने यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा है.
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भारत रूस में "फंसे" अपने करीब 20 नागरिकों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है. बताया जाता है कि इन लोगों को यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा गया है. भारत कोशिश कर रहा है कि उन्हें रूसी सेना की सेवा से मुक्ति देकर वापस भेज दिया जाए.
दो साल पहले रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और अब तक उसके दसियों हजार सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि युद्ध थमने के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं बल्कि हाल के दिनों में रूस ने हमले और तेज कर दिए हैं.
नावाल्नी के बाद रूस में अभी और भी विपक्षी ऐक्टिविस्ट जेलों में हैं
रूस के प्रमुख विपक्षी नेता ऐलेक्सी नावाल्नी की जेल में मौत के बाद देश में विपक्ष के अन्य कार्यकर्ताओं को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं. अभी भी ऐसे कई विपक्षी ऐक्टिविस्ट बचे हैं जो उन्हीं की तरह लंबे समय से कैद हैं.
तस्वीर: Liesa Johannssen/REUTERS
इल्या याशिन
इल्या याशिन नावाल्नी के पुराने सहयोगी हैं. उन्हें यूक्रेन के बूचा में रूसी सैनिकों के कथित युद्ध अपराधों के बारे में दिए गए बयान की वजह से आठ साल से ज्यादा जेल की सजा सुनाई गई थी. 40 साल के याशिन ने पुतिन को उस "नरसंहार के लिए जिम्मेदार" बताया था और कहा था, "एक ईमानदार आदमी के रूप में जेल की सलाखों के पीछे 10 साल बिताना, आपकी सरकार जो खून बहा रही है उस पर शर्मिंदगी से चुपचाप मरने से बेहतर है."
तस्वीर: Yury Kochetkov/Pool/AP/picture alliance
व्लादिमीर कारा-मुर्जा
42 साल के विपक्षी नेता व्लादिमीर कारा-मुर्जा को देशद्रोह और अन्य आरोपों में अप्रैल 2023 को 25 साल जेल की सजा दी गई थी. उन्हें जनवरी 2024 में साइबेरिया में बनी एक नई पीनल कॉलोनी में भेज दिया गया था जहां उन्हें एक कड़े एकांत कक्ष में रखा गया है. आरोप है कि उन्हें दो बार जहर देकर मारने की कोशिश की गई है जिनसे वह बच तो गए लेकिन उन्हें एक बीमारी हो गई.
तस्वीर: Maxim Grigoryev/TASS/dpa/picture alliance
इगोर गिरकिन
इगोर गिरकिन को इगोर स्त्रेलकोव के नाम से भी जाना जाता है. वह एक राष्ट्रवादी सेना के पूर्व प्रमुख कमांडर हैं. उन्होंने 2014 में क्रीमिया को हथिया लेने में रूस की मदद की थी. लेकिन बाद में वह पुतिन के विरोधी हो गए. 53 साल के गिरकिन ने चुनावों में पुतिन के खिलाफ लड़ने की इक्षा जाहिर की थी. उन्हें पुतिन की निंदा करने के बाद जनवरी 2024 में "चरमपंथ भड़काने" के आरोप में चार साल जेल की सजा दी गई थी.
तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance
लिलिया चानिशेवा, वादिम ओस्तानिन, सेनिया फादेयेवा
लिलिया चानिशेवा, वादिम ओस्तानिन और सेनिया फादेयेवा नावाल्नी के अभियान और उनके भ्रष्टाचार-विरोधी संगठन एफबीके के पूर्व सहयोगी हैं. चानिशेवा को "एक चरमपंथी संगठन बनाने" के लिए जून 2023 में 7.5 साल जेल की सजा, ओस्तानिन को एक "चरमपंथी समुदाय" में शामिल होने के लिए जुलाई 2023 में नौ साल जेल की सजा और फादेयेवा को एक "चरमपंथी संगठन" चलाने के लिए दिसंबर 2023 में 9.5 साल जेल की सजा दी गई थी.
तस्वीर: DW
इगोर सेर्गुनिन, एलेक्सेई लिप्तसर, वादिम कोब्जेव
इगोर सेर्गुनिन, एलेक्सेई लिप्तसर और वादिम कोब्जेव नावाल्नी के वकील हैं. उन पर नावाल्नी की सलाखों के पीछे से 'चरमपंथी गतिविधियों' को चलाने में मदद करने के आरोप लगे हैं. रूस के गृह मंत्रालय ने फरवरी 2024 में नावाल्नी के दो और वकीलों को अपनी वॉन्टेड लिस्ट में शामिल किया. ये दोनों हैं ओल्गा मिखाइलोवा और अलेक्सान्दर फेदुलोव. माना जा रहा है कि दोनों ही इस समय रूस से बाहर हैं. - सीके/वीके (रॉयटर्स)
तस्वीर: Yevgeny Kurakin/AFP/Getty Images
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समाचार एजेंसी एएफपी ने खबर छापी थी कि यूक्रेन युद्ध में कई भारतीय भी रूस की तरफ से लड़ रहे हैं. इन सैनिकों ने बताया कि उन्हें बढ़िया तन्ख्वाह और रूसी पासपोर्ट का लालच देकर सेना में भर्ती किया गया और फिर उन्हें मोर्चे पर भेज दिया गया.
अब भारत सरकार इन लोगों को लेकर चिंतित नजर आ रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा, "हमारी जानकारी में लगभग 20 लोग वहां फंसे हुए हैं. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें सेवा मुक्ति मिल जाए. इसके लिए हम दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों से संपर्क में हैं."
सहायक कहकर भर्ती किया
पिछले हफ्ते ही विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की थी कि कई भारतीयों ने "बतौर सहायक" काम करने के लिए रूसी सेना में नौकरी की. हालांकि तब मंत्रालय ने संख्या नहीं बताई थी लेकिन कहा था कि कई लोगों को पहले ही सेवा मुक्ति दिलाई जा चुकी है.
सबसे ज्यादा प्रतिबंधों वाले देश
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर एक के बाद एक प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं और वह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिबंधों वाला देश है. लेकिन और बहुत से देश हैं, जिन पर बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हुए हैं.
रूस पर इस वक्त 18,772 प्रतिबंध हैं. हालांकि 2022 में यूक्रेन पर उसके हमले की तुलना में यह छह गुना बढ़ चुके हैं. फरवरी 2022 के बाद से ही उस पर या उसके नागरिकों पर 16,000 से ज्यादा प्रतिबंध लगाए गए हैं. इनमें से 11,462 तो व्यक्तियों पर हैं.
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले ईरान दुनिया का सबसे अधिक प्रतिबंधों वाला देश था. यूएन, अमेरिका, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, भारत व इस्राएल जैसे देशों ने उस पर 3,616 प्रतिबंध लगाए हुए थे जो अब बढ़कर 4,953 हो चुके हैं.
तस्वीर: Rouzbeh Fouladi/ZUMA/picture alliance
सीरिया, तीसरे नंबर पर
सीरिया पर 2,811 प्रतिबंध हैं. हालांकि इनमें से अधिकतर 2011 के गृह युद्ध के बाद लगाए गए. अब वह प्रतिबंधों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Louai Beshara/AFP/Getty Images
उत्तर कोरिया
प्रतिबंधों के मामले में उत्तर कोरिया दशकों से अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पश्चिमी देशों की सूची में ऊपर रहा है. फिलहाल उसके ऊपर 2,171 प्रतिबंध लगे हैं.
तस्वीर: Lee Jin-man/AP Photo/picture alliance
बेलारूस
रूस का बेहद करीबी और पड़ोसी बेलारूस प्रतिबंधों की सूची में पांचवें नंबर पर है. उस पर कुल 1,454 प्रतिबंध हैं. इनमें से एक तिहाई से ज्यादा फरवरी 2022 के बाद लगाए गए हैं.
तस्वीर: Sergei Supinsky/Getty Images/AFP
म्यांमार
2021 में सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट किए जाने से पहले भी म्यांमार बड़ी संख्या में प्रतिबंध झेल रहा था. लेकिन अब उसके प्रतिबंधों की संख्या 988 हो चुकी है.
भारत और रूस, दोनों ने ही इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि इन लोगों को यूक्रेन में लड़ने के लिए भेजा गया है या नहीं. जायसवाल ने कहा कि "मंत्रालय ने लोगों से कहा था कि यद्ध क्षेत्र में ना जाएं.”
मीडिया से बात करने वाले सैनिकों ने बताया कि उनसे कहा गया था कि उन्हें लड़ाई में हिस्सा नहीं लेना होगा बल्कि असैन्य काम करने होंगे. लेकिन यूक्रेन भेजे जाने से पहले उन्हें क्लाशनिकोव राइफल और अन्य हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई.
इन भारतीयों से एक कॉन्ट्रैक्ट पर भी दस्तखत कराए गए थे. रूसी भाषा में लिखा यह कॉन्ट्रैक्ट "रशियन फेडरेशन की सेना में सैन्य सेवा” के बारे में है और इसमें "सीधी लड़ाई में हिस्सा लेने” व "बिना किसी सीमा के रूसी लोगों के लिए काम करने” की शर्तें भी हैं.
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कई देशों के लोग
विश्लेषक कहते हैं कि भारत से भर्ती किए गए ये लोग रूस के दुनियाभर से सैनिक भर्ती करने के अभियान का हिस्सा भर हैं और अन्य कई देशों के लोगों को रूसी सेना में भर्ती करके यूक्रेन में मोर्चे पर भेजा गया है.
इससे पहले बहुत से नेपाली लोगों के रूस जाकर यूक्रेन में लड़ने की भी खबरें आई थीं. दिसंबर में नेपाल ने बताया था कि यूक्रेन में रूस की ओर से लड़ते हुए उसके छह नागरिक मारे गए. उसके करीब एक हफ्ते बाद नेपाल के अखबार "काठमांडू पोस्ट" ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल के हवाले से लिखा कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले की शुरुआत के बाद से 200 से ज्यादा नेपाली नागरिक रूसी सेना में शामिल हुए हैं. दहल ने यह भी कहा कि नेपाल सरकार के पास जानकारी है कि "यूक्रेन की सेना में भी नेपाली काम कर रहे हैं."
जनवरी में रूसी सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि जो भी विदेशी नागरिक रूसी सेना में भर्ती होगा, वह रूस की नागरिकता पाने के योग्य होगा. वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक रूस के लिए लड़ने वाला सैनिक और उसका परिवार रूस की नागरिकता का हकदार होगा.
एक अनुमान के मुताबिक दो साल में रूस तीन लाख से ज्यादा सैनिक यूक्रेन में खो चुका है और वह ना सिर्फ साज-ओ-सामान बल्कि सैनिकों के लिए भी विदेशों पर निर्भर होता जा रहा है.