भारत सरकार ने कहा है कि उन मामलों की जांच की जाएगी, जिनका जिक्र सोमवार को पैंडोरा पेपर्स नामक खुलासे में हुआ है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक इन मामलों में कई बड़े उद्योगपतियों और खेल जगत की हस्तियों के नाम हैं.
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भारत ने पैंडोरा पेपर्स की जांच की बात कही है तो पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने भी मामलों की जांच का आश्वासन दिया है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन, जिनका नाम दस्तावेजों में शामिल है, ने कहा कि जिनके नाम दस्तावेजों में आए हैं, उनकी जांच होगी.
भारत के वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "सरकार सक्रिय तौर विदेशी अधिकारियों से बात करेगी और प्रासंगिक करदाताओं व कंपनियों की जानकारियां हासिल करेंगे.”
देखिए, अमेरिका में रहते भारतीयों के दोहरे मापदंड
अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के दोहरे मापदंड
अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण में वहां रहने वाले भारतीय लोगों को ले कर कुछ दिलचस्प बातें सामने आई हैं. सर्वेक्षण यह दिखा रहा है कि ये लोग भारत से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं, लेकिन भारत के हालात पर उनके राय बंटी हुई है.
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क्या भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है?
सिर्फ 36 प्रतिशत अमेरिकी भारतीयों को लगता है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. 39 प्रतिशत भारतीयों को ऐसा नहीं लगता है. इनमें हर पांच में से एक व्यक्ति का कोई मत नहीं था. यह सर्वेक्षण कार्नेजी एनडाओमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस, जॉन्स ऑपकिंस-एसआईएस और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय ने मिल कर किया. इसमें 1200 अमेरिकी भारतीयों ने भाग लिया.
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भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती
सर्वे में रिसर्च और एनालिटिक्स कंपनी यूगव भी साझेदार थी. सर्वे को एक से 20 सितंबर 2020 के बीच कराया गया. सर्वे में यह भी पाया गया कि 18 प्रतिशत अमेरिकी भारतीय भ्रष्टाचार को भारत की सबसे बड़े चुनौती मानते हैं जिसके बारे में तुरंत कुछ किए जाने की जरूरत है.
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धार्मिक बहुसंख्यकवाद की कम चिंता
इससे कम अमेरिकी भारतीय, यानी सिर्फ 15 प्रतिशत, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं. उस से भी कम, सिर्फ 10 प्रतिशत, लोगों ने कहा कि धार्मिक बहुसंख्यकवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती है. अमेरिकी भारतीय अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं.
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मोदी के प्रशंसक
सर्वे में शामिल लोगों में से 49 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन को सराहा. मोदी के समर्थकों में सबसे ज्यादा रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक हैं, हिंदू हैं, इंजीनियर हैं, अमेरिका के बाहर पैदा हुए हैं और मूल रूप से उत्तर और पश्चिम भारत के रहने वाले हैं. 32 प्रतिशत लोगों ने कहा की वो मोदी को नापसंद करते हैं. बाकी 19 प्रतिशत ने कहा कि इस विषय में उनका कोई मत नहीं है.
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40 प्रतिशत हैं राजनीति से दूर
40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका भारत में किसी भी राजनीतिक दल की तरफ झुकाव नहीं है. 32 प्रतिशत बीजेपी का समर्थन करते हैं और 12 प्रतिशत कांग्रेस का.
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अमेरिका में उदार, भारत में नहीं
अधिकतर अमेरिकी भारतीय अमेरिकी मुद्दों पर उदारवादी विचार रखते लेकिन भारत के मुद्दों पर संकुचित विचार रखते हैं. धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों, आप्रवासियों के अधिकारों और आरक्षण जैसे विषयों पर इनके अमेरिकी नीतियों से ज्यादा भारतीय नीतियों के प्रति संकुचित विचार हैं.
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छोड़ रहे हैं भारत की नागरिकता
इसके साथ ही भारत सरकार के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि 2015 से 2019 के बीच करीब 6.7 लाख भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ दूसरे देशों की नागरिकता अपना ली. 2015 में करीब 1.45 लाख और 2016 में भी लगभग इतने ही लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी थी. 2017 और 2018 में यह संख्या घट कर 1.28 लाख और 1.25 लाख पर आई, लेकिन 2017 में यह फिर बढ़ कर 1.36 लाख पर पहुंच गई.
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उधर रूस ने कहा है कि व्लादीमीर पुतिन के सहयोगी द्वारा धन छिपाने के बारे में किसी तरह के सबूत इन दस्तावेजों ने नहीं मिलते. वॉशिंगटन पोस्ट अखबार ने लिखा था कि पुतिन की एक महिला मित्र ने मोनैको में घर खरीदने के लिए विदेशों में रखे गए धन का इस्तेमाल किया.
क्या है पैंडोरा पेपर्स?
पैंडोरा पेपर्स के नाम से चर्चित इस खुलासे में ऐसी 29 हजार कंपनियों और ट्रस्ट का पता चला है जिन्हें विदेशों में बनाया गया था. 14 कंपनियों के एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों का इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने एक साल तक अध्ययन किया है जिसके बाद ऐसा दावा किया गया है कि विभिन्न देशों के व्यापारियों, उद्योगपतियों, राजनेताओं और खेल व मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियों ने अपना धन छिपाया.
इस पड़ताल में भारत का अखबार इंडियन एक्सप्रेस शामिल था. अखबार के मुताबिक इन दस्तावेजों में 300 से ज्यादा भारतीयों के नाम हैं जिनमें उद्योपति अनिल अंबानी, नीरव मोदी की बहन और किरन मजूमदार शॉ के पति जैसे लोग शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार मीडिया संस्थानों के उस समूह का हिस्सा है जिन्होंने इस दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की है. अखबार के मुताबिक उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके प्रतिनिधियों ने जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और साइप्रस में कम से कम 18 विदेशी कंपनियां बना रखी थीं.
2007 से 2010 के बीच स्थापित सात ऐसी कंपनियों के जरिए कम से कम 1.3 अरब डॉलर उधार लिए गए और निवेश किए गए. चीन के तीन बैंकों से विवाद होने के बाद 2020 में रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने लंदन में एक अदालत से कहा था कि वह दिवालिया हो गए हैं.
एक वकील ने अंबानी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि उनके मुवक्किल ने कानून सम्मत जानकारियां सरकार को दी हैं.
देखिए, रिश्वत लेने देने में भारत एशिया में अव्वल
रिश्वत के लेनदेन में भारत एशिया में सबसे आगे
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने पाया है कि सभी एशियाई देशों में भारत में सबसे ज्यादा रिश्वत ली और दी जाती है. आखिर पिछले 12 महीनों में भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा है या घटा?
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सबसे ऊंची रिश्वत की दर
इसी साल जुलाई से सितंबर के बीच एशिया के 17 देशों में 20,000 लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया. भारत में 39 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए रिश्वत देनी पड़ी. ये एशिया में सबसे ऊंची रिश्वत की दर है. नेपाल में यह दर 12 प्रतिशत, बांग्लादेश में 24, चीन में 28 और जापान में दो प्रतिशत पाई गई.
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सबसे ज्यादा रिश्वत पुलिस को
सर्वेक्षण के लिए लोगों से छह सरकारी सुविधाओं से संबंधित उनके तजुर्बे के बारे में पूछा गया - पुलिस, अदालत, सरकारी अस्पताल, पहचान पत्र लेने की प्रक्रिया और बिजली, पानी जैसी सेवाएं. सबसे ज्यादा (42 प्रतिशत) लोगों ने माना कि उन्हें पुलिस को रिश्वत देनी पड़ी. पहचान पत्र और अन्य सरकारी कागजात लेने के लिए 41 प्रतिशत लोगों को रिश्वत देनी पड़ी.
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निजी संपर्कों का इस्तेमाल
पुलिस, अदालतें और कागजात हासिल करने जैसे कामों में निजी ताल्लुकात का इस्तेमाल करने की बात भी भारत में बड़ी संख्या (46 प्रतिशत) में लोगों ने मानी. यह दिखाता है कि प्रक्रियाएं ठीक से काम नहीं कर रही हैं जिसकी वजह से जान पहचान का सहारा लेना पड़ता है. चीन में यह दर 32 प्रतिशत है और जापान में चार प्रतिशत.
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चुनावी भ्रष्टाचार
एशिया में बड़ी मात्रा में रिश्वत ले कर वोट देने की बात भी लोगों ने मानी है. 18 प्रतिशत की दर के साथ भारत इसमें चौथे नंबर पर है. सबसे ऊपर हैं थाईलैंड और फिलीपींस, 28 प्रतिशत दर के साथ. 26 प्रतिशत की दर के साथ इंडोनेशिया तीसरे नंबर पर है.
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सेवा के बदले सेक्स
पहली बार सर्वेक्षण में सरकारी अधिकारियों द्वारा सेवा के बदले सेक्स मांगने को भी शामिल किया है. भारत में इसकी दर 11 प्रतिशत है. 18 प्रतिशत की दर के साथ इंडोनेशिया सबसे ऊपर है. श्रीलंका में यह दर 17 प्रतिशत है पाई गई और थाईलैंड में 15 प्रतिशत.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Caballero-Reynolds
बढ़ा है भ्रष्टाचार
भारत में 47 प्रतिशत लोगों को लगता है कि पिछले 12 महीनों में भ्रष्टाचार बढ़ा है. नेपाल में ऐसा 58 प्रतिशत लोगों को लगता है, जबकि चीन में 64 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनके देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है.
तस्वीर: Manish Kumar
सरकार की छवि
भारत में भ्रष्टाचार बढ़ने के बावजूद 63 प्रतिशत लोगों को लगता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भारत का प्रदर्शन अच्छा है. म्यांमार में यह दर 93 प्रतिशत है और बांग्लादेश में 87.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/R. Shukla
सरकार में विश्वास
भ्रष्टाचार की वजह से सरकार की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ता है. भारत में 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सरकार पर या तो कम विश्वास है या बिल्कुल विश्वास नहीं है. जापान में ऐसा 56 प्रतिशत लोगों ने कहा.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
बोलने से डर
भारत में 63 प्रतिशत लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंह खोला तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. बांग्लादेश में भी 63 प्रतिशत लोग ऐसा ही महसूस करते हैं.
तस्वीर: DW/P. Samanta
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अखबार के मुताबिक इस वकील ने बताया, "हमारे मुवक्किल भारत के करदाता नागरिक हैं और कानून के हिसाब से जो भी जानकारियां सरकार को देनी होती हैं, उन्होंने दी हैं. लंदन की अदालत में जानकारी देते वक्त सारी बातों का ध्यान रखा गया था. रिलायंस एडीए ग्रुप दुनियाभर में व्यापार करता है और जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर कंपनियां बनाई जाती हैं.”
60 से ज्यादा नाम
जिन नामों का खुलासा अब तक किया गया है उनमें पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि 60 से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों और कंपनियों की पड़ताल की गई है जिनका खुलासा आने वाले दिनों में किया जाएगा. अखबार लिखता है कि पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद धनकुबेरों ने अपना धन छिपाने के नए तरीके खोज लिए हैं.
मिसाल के तौर पर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पनामा पेपर्स खुलासे के सिर्फ तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. सचिन तेंदुलकर के वकील ने कहा है कि उनका सारा निवेश वैध है.
मंगलवार को छापी खबर में अखबार ने भारतीय सेना के इंटेलिजेंस प्रमुख रहे एक सैन्य अफसर और उनके बेटे द्वारा सेशेल्स में कंपनी बनाने की बात कही है. अखबार के मुताबिक 2016 में पनामा पेपर्स का खुलासा होने के तुरंत बाद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार लूंबा ने अपने बेटे राहुल लूंबा के साथ मिलकर रेअरिंट पार्टनर्स लिमिटेड नाम की एक सेशेल्स इंटरनेशनल बिजनेस कंपनी स्थापित कर ली थी.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)
तस्वीरेंः भारत के महाघोटाले
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
तस्वीर: AP
कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
तस्वीर: Reuters/B. Mathur
टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
तस्वीर: picture alliance/dpa
व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
तस्वीर: AP
कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
तस्वीर: AP
हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP
शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.