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श्रीलंका की मदद जारी रखेगा भारत

आमिर अंसारी
८ अप्रैल २०२२

भारत ने कहा है कि अपनी "पड़ोसी पहले" नीति के तहत कोविड-19 के बाद तेजी से आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका के साथ काम कर रहा है और इसे जारी रखने के लिए तैयार है. श्रीलंका ईंधन से लेकर बाकी जरूरी सामान की किल्लत से जूझ रहा है.

सड़कों पर लोगों का जारी है विरोध प्रदर्शन
सड़कों पर लोगों का जारी है विरोध प्रदर्शनतस्वीर: Pradeep Dambarage/Zumapress/picture alliance

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत श्रीलंका में उभरती आर्थिक स्थिति और अन्य घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रहा है. भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश में खाने-पीने के सामानों के दाम काफी बढ़े हुए हैं और ईंधन की कमी से जनता बेहाल है.

गुरुवार को बागची ने कहा है कि भारत श्रीलंका को उसकी आर्थिक स्थिति पटरी पर लाने में "पड़ोसी पहले" के तहत मदद देना जारी रखने को तैयार है. बागची ने कहा, "हमने उन्हें विभिन्न अवसरों पर पहले ही बता दिया है कि हम जो भी मदद कर सकते हैं उसे करने के लिए तैयार हैं और जैसा कि अब तक के हमारे कार्यों से साबित हुआ है."

प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि मार्च के मध्य से भारत श्रीलंका को 2.70 लाख मीट्रिक टन से अधिक डीजल और पेट्रोल भेज चुका है. इसके अलावा हाल ही में दी गई एक अरब डॉलर की कर्ज सुविधा के तहत 40 हजार टन अनाज की आपूर्ति की गई है.

भारत-श्रीलंका के संबंध

श्रीलंका के साथ भारत के समग्र संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह संबंध दोनों देशों की साझा सभ्यता मूल्यों और आकांक्षाओं में निहित है. उन्होंने कहा, "एक पड़ोसी और करीबी मित्र के रूप में भारत श्रीलंका में विकसित हो रही आर्थिक स्थिति और अन्य घटनाक्रम पर करीबी से नजर रख रहा है."

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खत्म नहीं हो रहा संकट

इस बीच श्रीलंका के नेशनल मेडिकल एसोसिएशन ने गुरुवार को चेतावनी दी कि देश के आर्थिक संकट के कारण दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की गंभीर कमी के कारण अस्पताल आने वाले हफ्तों में इमरजेंसी सेवाएं भी देने में असमर्थ होंगे, आपूर्ति में कमी के कारण बड़ी संख्या में मौतें हो सकती हैं.

श्रीलंका के मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रपति राजपक्षे को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि अस्पतालों ने पहले ही नियमित सर्जरी जैसी सेवाएं में कटौती कर दी है और दवाओं को इस्तेमाल उन्हीं मरीजों के लिए किया जा रहा है जो जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं.

संकट के समाधान की मांग को लेकर इस सप्ताह स्वास्थ्य कर्मियों समेत हजारों लोगों ने राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन किया. राजपक्षे पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है. हालांकि उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है.

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श्रीलंका पर अरबों डॉलर का कर्ज है और वह अपनी किश्तें नहीं चुका पा रहा है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है. बुधवार को राष्ट्रपति ने देश को वित्त संकट से उबारने के लिए आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञों का सलाहकार समूह नियुक्त किया है.

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