भारत ने कहा है कि उसके रूस और अमेरिका दोनों से अच्छे संबंध हैं और उनकी अपने आप में अलग-अलग अहमियत है. यूक्रेन युद्ध संबंधी एक सवाल के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने संसद में यह बात कही.
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पश्चिमी देशों की ओर से रूस के खिलाफ रुख अपनाने के लिए बढ़ते दबाव के बीच भारत ने कहा है कि उसके रूस और अमेरिका दोनों से दोस्ताना संबंध हैं और उनकी अपनी-अपनी अहमियत है. कई देश चाहते हैं कि यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाए.
पिछले एक दशक में भारत और अमेरिका के संबंधों में घनिष्ठता बढ़ी है लेकिन रूस आज भी भारत को हथियार बेचने वाला सबसे बड़ा देश है. यूक्रेन पर हमले के बाद भारत ने रूस की निंदा नहीं की है और एक से ज्यादा बार संयुक्त राष्ट्र में लाए गए रूस विरोधी प्रस्तावों के दौरान मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिसे रूस के समर्थन के तौर पर देखा गया.
युद्ध के बीच यूक्रेन में ऐसी है जिंदगी
यूक्रेन में हो रही तबाही से जुड़ी सैकड़ों तस्वीरें बाहर आ रही हैं. खंडहर, जो कुछ दिनों पहले तक घर थे. जहां कल बाजार थे, वहां कंक्रीट का मलबा भरा है...ये सब तो फिर भी निर्जीव हैं. लाखों इंसान शरणार्थी बन गए हैं.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
बर्बादी के दस्तावेज
8 मार्च को ली गई इस तस्वीर में खारकीव की एक क्षतिग्रस्त इमारत दिख रही है. सामने जहां मलबा पड़ा है, उसे गौर से देखिए. कुछ दिनों पहले तक यहां बच्चों के खेलने का मैदान था. उन दिनों की निशानी उस हरे-पीले झूले में खोजिए, जिसपर कुछ रोज पहले तक बच्चे मजे से फिसलते होंगे. अब उसी यूक्रेन के 10 लाख बच्चे शरणार्थी हो गए हैं.
तस्वीर: Sergey Bobok/AFP/Getty Images
आत्मरक्षा
रूस से जंग में नागरिक भी साथ हैं. 4 मार्च को पश्चिमी कीव में मोलोतोव कॉकटेल बना रही एक महिला. चेकपोस्ट बनाना, खंदक खोदना, टायर जमा करके उनपर किताबों के ढेर रखना, ताकि जरूरत पड़ने पर रूसी सैनिकों को चकमा देने के लिए उसे जलाकर काला धुआं पैदा किया जा सके...कीव की घेराबंदी कर रहे रूसी सैन्य काफिले से मुकाबले के लिए राजधानी में नागरिक बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं.
तस्वीर: Lafargue Raphael/ABACA/picture alliance
मिलकर लड़ेंगे
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर नागरिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से मदद मांग रहे हैं. आपने युद्ध पर बनी पीरियड फिल्में देखी हैं? जब सेनापति युद्ध में आगे रहता है, तो सेना का हौसला बना रहता है.
तस्वीर: Instagram/@zelenskiy_official/via REUTERS
ऑल फॉर वन
नागरिकों को युद्ध लड़ने की इमरजेंसी ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि रूसी सेना से लड़ने के लिए लोगों की कमी ना हो. यह तस्वीर राजधानी कीव के पश्चिम में बसे जेटोमेयर की है.
तस्वीर: Viacheslav Ratynskyi/REUTERS
चोट लगी है, टूटे नहीं हैं
9 मार्च को मारियोपोल के एक मैटरनिटी अस्पताल पर हमला हुआ. तस्वीर में एक महिला क्षतिग्रस्त इमारत के बाहर अपना सामान लिए खड़ी है. 12 दिनों से रूस ने इस शहर की घेराबंदी की हुई है. गोलीबारी में अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा आम लोग मारे गए हैं. मारियोपोल काउंसिल ने अपने बयान में कहा है कि वे अपने शहर में मानवता के खिलाफ किए जा रहे अपराध को ना कभी भूलेंगे और ना इसके लिए रूस को कभी माफ करेंगे.
यह तस्वीर यूक्रेन के ओडेसा की है. 27 साल के विक्टर अनातोलेविच अपनी तीन बरस की बेटी को गोद में थामे अंडरग्राउंड शेल्टर में जा रहे हैं. जब बमबारी के लिए रूसी विमान आ रहे होते हैं, जब कोई मिसाइल दागी जा रही होती है, तो हमले का संकेत देने के लिए सायरन बजता है. लोग फौरन शेल्टरों की ओर भागते हैं. घंटों वहां दुबके रहना पड़ता है.
तस्वीर: Alexandros Avramidis/REUTERS
शरणागत
4 मार्च की इस तस्वीर में कीव सेंट्रल स्टेशन पर बचाव ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करते लोग दिख रहे हैं. 24 फरवरी से अब तक करीब 25 लाख लोग शरणार्थी बन चुके हैं.
तस्वीर: Dimitar Dilkoff/AFP/Getty Images
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अमेरिका के करीबी माने जाने वाले देशों में भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जो रूस के खिलाफ नहीं है. भारत की विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने संसद में कहा, "भारत ने यूक्रेन में फौरन हिंसा रोकने और विवाद सुलझाने के लिए कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया है. भारत के अमेरिका और रूस दोनों के साथ दोस्ताना और करीबी संबंध हैं.”
भारत फिर रहा गैरहाजिर
संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर भारत ने रूस के खिलाफ वोट करने से परहेज किया. गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यूक्रेन के मानवीय संकट के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया गया. भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
रूस से जंग के बीच क्या कर रहे हैं यूक्रेन के बच्चे
युद्ध के शुरुआती दो हफ्ते में ही 20 लाख से ज्यादा यूक्रेनी रिफ्यूजी बन गए हैं. शरणार्थियों में मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे ही हैं क्योंकि यूक्रेन में अभी 18 से 60 की उम्र के पुरुषों के देश से जाने पर रोक है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
कितना प्यारा दिल...
8 मार्च तक 12 लाख से ज्यादा शरणार्थी पोलैंड आ चुके थे. इसके अलावा हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, मोलदोवा, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, आयरलैंड में भी यूक्रेनी शरणार्थी पहुंच रहे हैं. इस तस्वीर में यूक्रेन से भागकर आया एक रिफ्यूजी बच्चा बुडापेस्ट के युगाति रेलवे स्टेशन पर ट्रांसपोर्ट का इंतजार करते हुए कांच पर अपने हाथ जोड़कर दिल बना रहा है.
तस्वीर: Marton Monus/REUTERS
हर हाल में हंस पड़ना...
यूक्रेन के पड़ोसी देशों ने वहां से आ रहे शरणार्थियों के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए हैं. रोमानिया ने कहा कि उसकी सीमाएं जरूरतमंदों के लिए खुली हैं. शरणार्थियों को सुरक्षित महसूस करवाने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी. इस तस्वीर में एक शरणार्थी बच्ची रोमानिया के अपने कैंप के पास खड़ी होकर मुस्कुरा रही है. कैसे भी हालात में हंस पड़ना, खुश हो जाना...बचपन सच में कितना निर्दोष होता है.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
मदद के नन्हे हाथ
पोलैंड की सरकार ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए एक अलग फंड बनाने का फैसला किया है. इसके तहत हर एक रिफ्यूजी को एक बार के लिए एक रकम भी दी जाएगी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यह यूरोप का सबसे तेजी से बढ़ रहा शरणार्थी संकट है. तस्वीर में एक शरणार्थी बच्चा ट्रॉली के साथ.
तस्वीर: Cristian Ștefănescu/DW
बच्ची और बिल्ली
संयुक्त राष्ट्र ने चेताया है कि शरणार्थियों की दूसरी खेप ज्यादा दयनीय स्थिति में हो सकती है. यूएनएचसीआर ने कहा कि अगर युद्ध जारी रहता है, तो बड़ी संख्या में ऐसे शरणार्थी आते रहेंगे जिनके पास ना कोई संसाधन होगा, ना अपना कोई संपर्क. ऐसे में यूरोपीय देशों के लिए जटिल स्थिति होगी. तस्वीर में मरियोपोल से आई एक शरणार्थी बच्ची अपनी बिल्ली के साथ.
तस्वीर: AA/picture alliance
इंतजार
दी इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी (आईआरसी) ने कहा है कि शरणार्थियों के लिए लंबे समय तक मानवीय सहायता का इंतजाम करना होगा. लोगों के रोजगार का इंतजाम करना होगा. वे किराया दे सकें, सामान्य जीवन जी सकें, अपने पैरों पर खड़े हो सकें, इसके लिए उन्हें मदद देनी होगी. इस तस्वीर में मरियोपोल से आया एक शरणार्थी बच्चा स्कूल की इमारत के भीतर सुरक्षित निकाले जाने का इंतजार कर रहा है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
बदलाव
शरणार्थियों पर हंगरी का रवैया बेहद सख्त रहा है. सात साल पहले उसने शरणार्थियों को अपनी सीमा में घुसने से रोकने के लिए कंटीली बाड़ लगवाई थी और कु्त्ते तैनात किए थे. उसी हंगरी ने अब तक करीब दो लाख यूक्रेनी शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. तस्वीर में हंगरी का एक अस्थायी शरणार्थी शिविर, जिसे म्यूनिसिपल्टी और बैप्टिस्ट चैरिटी मिलकर चला रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP Photo/picture alliance
आम आबादी भी कर रही है मदद
हंगरी के एक अस्थायी शेल्टर के भीतर स्ट्रोलर में बैठी बच्ची. यूक्रेनी शरणार्थियों की मदद के लिए सरकारी इंतजामों के अलावा आम आबादी भी सामने आ रही है. पड़ोसी देशों में स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों के अलावा बच्चों के लिए जरूरत पड़ने वाली चीजें भी डोनेट कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग शेल्टर होम्स में वॉलंटियर सर्विस भी दे रहे हैं.
तस्वीर: Anna Szilagyi/AP/picture alliance
जर्मनी में भी शरणार्थियों का स्वागत
यूक्रेनी शरणार्थी बस और ट्रेन से जर्मनी भी आ रहे हैं. बर्लिन में शरणार्थियों को लेने के लिए रेलवे स्टेशन पर आए आम लोगों की तस्वीरें खूब वायरल हुईं. लोग शरणार्थियों को अपने घर में जगह दे रहे हैं. इस तस्वीर में दिख रही बस शरणार्थियों को लेकर पोलैंड के एक रेलवे स्टेशन जा रही है, जहां से उन्हें जर्मनी ले जाया जाएगा.
तस्वीर: Markus Schreiber/AP Photo/picture alliance
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इस प्रस्ताव के पक्ष में 140 मत पड़े जबकि पांच देशों – बेलारूस, सीरिया, उत्तर कोरिया, इरीट्रिया और रूस ने इसके विरोध में मतदान किया. 38 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिनमें चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका, ईरान और क्यूबा शामिल थे.
प्रस्ताव में रूस को तुरंत प्रभाव से युद्ध विराम करने की अपील की गई है, ताकि करोड़ों लोगों, घरों, स्कूलों और अस्पतालों को बचाया जा सके. इस प्रस्ताव को यूक्रेन ने पेश किया था. मतदान की स्थिति लगभग 2 मार्च के प्रस्ताव जैसी ही रही. तब 141 देशों ने रूस के खिलाफ मतदान किया था और 5 ने पक्ष में, जबकि भारत समेत 35 देश गैरहाजिर रहे थे.
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बढ़ रहा है भारत पर दबाव
इसी हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि क्वॉड देशों में भारत ही एक ऐसा देश है जो रूस के खिलाफ कदम उठाने में गड़बड़ा रहा है. इससे पहले भी कई पश्चिमी देश भारत पर रूस के खिलाफ रुख अपनाने के लिए दबाव बना चुके हैं. पिछले हफ्ते भारत दौरे पर जापान के प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से भारत से कहा था कि वह रूस के खिलाफ कदम उठाए. जापान भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड का सदस्य देश है.
पिछले हफ्ते ही ब्रिटेन की व्यापार मंत्री ऐन-मरी ट्रेवेलयान ने कहा था कि रूस पर भारत के रुख को लेकर उनका देश बहुत निराश है. भारत के साथ व्यापार वार्ताओं के दूसरे दौर के समापन से पहले ट्रेवेलयान ने यह बात कही. इससे पहले भी ब्रिटेन भारत को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आग्रह कर चुका है.
जब ब्रिटिश मंत्री ट्रेवेलयान से पूछा गया कि रूस को लेकर भारत के रूख का मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत पर असर पड़ेगा या नहीं, तो उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपना रूख बदल लेगा. ट्रेवेलयान ने कहा, "हम बहुत निराश हैं लेकिन हम अपने भारतीय साझीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे और उम्मीद करेंगे कि उनके विचार बदलें.”
लेकिन दुनिया यह भी चाहती है कि भारत की रूस पर निर्भरता कम हो और इसके लिए भारत को मदद की पेशकश भी मिली है. इसी हफ्ते भारत की यात्रा के बाद के बाद एक अमरिकी राजनयिक ने कहा था कि रूस पर निर्भरता कम करने के लिए अमेरिका भारत को सैन्य उपकरण और ऊर्जा की सप्लाई बढ़ाने को तैयार है.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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राइफल से लेकर रॉकेट तक, भारत की कुल सैन्य जरूरतों का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा रूस से आता है. 1990 के दशक में भारत की सेना के ज्यादातर हथियार सोवियत संघ के बनाए हुए ही थे. उसकी थल सेना के पास करीब 70 प्रतिशत, वायु सेना के पास लगभग 80 प्रतिशत और जल सेना के पास करीब 85 प्रतिशत हथियार सोवियत युग के थे. हाल के सालों में भारत ने रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की ओर कई कदम उठाए हैं. उसने अमेरिका, इस्राएल, फ्रांस और इटली से भी हथियार और अन्य सैन्य उपकरण खरीदे हैं.
फिर भी, रूस से भारत के रक्षा संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2016-20 में भारत के कुल सैन्य आयात का लगभग 49 फीसदी हिस्सा रूस से ही आया था. फ्रांस से 18 प्रतिशत और इस्राएल से उसने 13 प्रतिशत सैन्य आयात किया.