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कोर्ट: कोरोना से मौत पर परिजनों को मुआवजे में देरी ना हों

२० जनवरी २०२२

कोविड-19 से मौत के मामले में मुआवजा देने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी आधार पर राज्य सरकार मुआवजे से इनकार नहीं कर सकती. कोर्ट ने अनाथ हुए बच्चों के लिए आदेश दिए हैं.

फाइलतस्वीर: Abhishek Chinnappa/Getty Images

भारत में कोरोना महामारी के दौरान मृतकों के परिजनों तक मुआवजा नहीं पहुंचाने पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्यों की खिंचाई की है. कोर्ट ने कहा है कि जो बच्चे अनाथ हुए हैं, उनके लिए आवेदन करना कठिन है. ऐसे में राज्यों को अनाथ हुए बच्चों तक पहुंचकर मदद देनी चाहिए. सु्प्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि मुआवजे के आवेदनों को राज्य तकनीकी कारणों से रद्द नहीं कर सकता है.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच वकील गौरव बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोविड-19 प्रभावितों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी. जस्टिस शाह ने सुनवाई के दौरान कहा, "लोगों तक पैसा पहुंचना चाहिए. यही लक्ष्य है." कोर्ट ने हर राज्य द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड की जांच की.

मौत और मुआवजा

बेंच ने आदेश दिया कि राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण ऐसे परिवारों की तलाश करे जिन्होंने महामारी के दौरान अपने परिजनों को खो दिया, जिससे उन्हें मुआवजा मिल सके. साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि जितनी मौतें हुईं है उससे कम आवेदन मुआवजे के लिए नहीं आ सकते. कोर्ट का सवाल था कि क्यों जनता को मुआवजे की योजना के बारे में जानकारी नहीं है. साथ ही बेंच ने पूछा क्या लोग ऑनलाइन आवेदन फॉर्म नहीं भर पा रहे हैं?

कोविड-19 से हुई मौतों पर मुआवजे के दावों से जुड़े जो आंकड़े कोर्ट को दिए गए हैं, उनसे कई गंभीर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. कई राज्यों की सरकारों ने कोरोना से मौत की संख्या से अधिक मुआवजे के लिए पेश किए गए दावे की संख्या बताई है. उदाहरण के लिए महाराष्ट्र जहां कोरोना से हुई मौतों की सरकारी संख्या 1,41,737 है तो मुआवजे के दावों की संख्या 2,13,890 हैं. सरकार ने दावों के हिसाब से 92,275 मामलों का निपटान भी कर दिया है. वहीं कुछ राज्यों ने इसके उलट भी संख्या पेश किए हैं. पंजाब, बिहार, कर्नाटक, बिहार और असम जैसे कई राज्यों में मुआवजे के लिए पेश किए गए दावों की संख्या मौत की सरकारी संख्या से काफी कम है.

कोविड-19 से हुई मौतों के लिए आर्थिक मुआवजे की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पिछले साल जून में कोर्ट ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से अनुग्रह राशि तय करने पर विचार करने को कहा था. एनडीएमए ने राज्य आपदा राहत कोष से मृतक के परिजनों को 50,000 रुपये के मुआवजे का भुगतान करने की सिफारिश की थी. जिसे कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में मंजूर कर लिया था.

अनाथ बच्चों की असल चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि जिन परिवारों में मुआवजे के दावेदार बच्चे हैं, मुआवजे की राशि उनके बैंक खाते में ही जमा की जाए. कोर्ट ने कहा है कि बच्चों के रिश्तेदार के बैंक खाते में मुआवजे की राशि नहीं डाली जाए. अगर बच्चों का खाता नहीं है तो उसे खुलवाकर पैसे डाले जाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 10 हजार से अधिक ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता दोनों खो दिए हैं.

एक और महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि कई ऐसे दंपति हैं जो अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने की चाहत रखते हैं. दिसंबर 2021 तक सिर्फ 1,936 बच्चे ही गोद लिए जाने के लिए उपलब्ध थे, जबकि गोद लिए जाने की चाहत रखने वाले दंपति की सूची 36 हजार से अधिक है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक 1,36,910 के बच्चे के मां या बाप कोरोना की वजह से मारे गए और 488 बच्चों को अनाथ छोड़ दिया गया.

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