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समाजएशिया

काबुल के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल पहुंचीं भारत की दो टन दवाएं

७ जनवरी २०२२

तालिबान शासन को मान्यता न देने के बावजूद भारत ने दवाओं की एक और खेप अफगानिस्तान भेजी है. अंतरराष्ट्रीय मदद बंद होने से अफगानिस्तान में भुखमरी पसर रही है. तालिबान ने भी दुनिया से मानवीय मदद की अपील की है.

काबुल का इंदिरा गांधी हॉस्पिटल
काबुल का इंदिरा गांधी हॉस्पिटलतस्वीर: JORGE SILVA/REUTERS

भारत से भेजी गई दो टन दवाओं की खेप शुक्रवार को काबुल के इंदिरा गांधी हॉस्पिटल पहुंच गई. इस अस्पताल को 2004 में भारत की मदद से बनाया गया था. अफगानिस्तान में 15 अगस्त 2021 को तालिबान के नियंत्रण के बाद यह तीसरा मौका है जब नई दिल्ली ने दवाएं और मेडिकल सामग्री भेजी है.

इससे पहले दिसंबर 2021 में भी भारत में पांच लाख डोज कोविड वैक्सीन और 1.6 टन मेडिकल सामग्री अफगानिस्तान भेजी थी.

भारत से पहुंची कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड लेती एक अफगान महिलातस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance

तालिबान का अपील

इस बीच तालिबान के उप प्रधानमंत्री ने अंतराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए कहा है कि उनका देश बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है. अब्दुल गनी बरादर ने अपने वीडियो मैसेज में कहा, "कई जगहों पर अभी लोगों के पास भोजन नहीं है, रहने के लिए जगह नहीं है, गर्म कपड़े भी नहीं है और पैसा भी नहीं है."

इसके बाद बरादर ने कहा,  "दुनिया को बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के अफगान लोगों की मदद करनी चाहिए और अपनी मानवीय जिम्मेदारी निभानी चाहिए."

उत्तरी और मध्य अफगानिस्तान इस वक्त बर्फ से ढका है. वहीं दक्षिणी अफगानिस्तान के कई इलाके बाढ़ से जूझ रहे हैं. तालिबान के मुताबिक वह अंतरराष्ट्रीय मदद को देश भर में बांटने के लिए तैयार है.  

तालिबान के उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादरतस्वीर: Administrative Office of the President/AP/picture alliance

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कैसे अफगानिस्तान पहुंचेगा भारत का गेहूं

भारत अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं भी देने का एलान कर चुका है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में अनाज और खाने पीने के सामान की भारी किल्लत हो रही है. गेहूं पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान भेजा जाएगा. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक पाकिस्तान सरकार के साथ माल ढुलाई को लेकर बातचीत चल रही है.

2014 में भारत में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के संबंध ठंडे पड़े हैं. पाकिस्तान नहीं चाहता है कि भारतीय ट्रक या मालगाड़ियां उसके उसकी सीमा में दाखिल हों.

मदद बंद होते ही अर्थव्यवस्था ठप

युद्ध से घायल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मदद पर टिकी थी. पुरानी अफगान सरकार का 80 फीसदी बजट खर्च इसी मदद से चलता था. तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन समेत ज्यादातर देशों ने अफगानिस्तान में अपने मिशन बंद कर दिए. आर्थिक और साजोसामान से जुड़ी मदद से ही अफगानिस्तान में अस्पताल, स्कूल, फैक्ट्रियां और सरकारी मंत्रालय चलते थे.

तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत पहुंचे कई अफगान शरणार्थीतस्वीर: IANS

भारत की फिलहाल अफगानिस्तान में कोई राजनयिक उपस्थिति नहीं है. लेकिन भारत सरकार के प्रतिनिधियों ने अगस्त 2021 में दोहा में तालिबान के प्रतिनिधियों से बातचीत की. तालिबान भी कह चुका है कि वह भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देगा. अपने बयानों में तालिबान ने कश्मीर में दखल न देने की बात कही. लेकिन पाकिस्तान और तालिबान की नजदीकी के कारण भारत संभल संभलकर कदम रख रहा है.

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वैश्विक राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी भुखमरी का सामना कर सकती है. अफगानिस्तान की आबादी 3.8 करोड़ है. तालिबान शासन को अब तक किसी भी देश ने आधिकारिक मान्यता नहीं दी है. कई देश इस उधेड़बुन में हैं कि आम अफगान नागरिकों तक मदद किसी तरह पहुंचाई जाए.

ओएसजे/आरपी (एएफपी, एपी)

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