काबुल में दोबारा खुला भारतीय दूतावास, तकनीकी टीम तैनात
२४ जून २०२२
अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने बताया है कि इस सप्ताह की शुरुआत में पक्तीका प्रांत में आए विनाशकारी 6.1 तीव्रता के भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,000 से अधिक हो गई है.
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भूकंप के कारण घायलों की संख्या भी 1,600 को पार कर गई है. इस बीच भारत ने कहा है कि उसने काबुल में अपने दूतावास के लिए एक तकनीकी टीम भेजी है जो मानवीय सहायता के वितरण का समन्वय करेगी.
पिछले साल अगस्त में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपने दूतावास से अपने अधिकारियों को हटा लिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि भारत द्वारा भेजी गई मदद की दो खेप काबुल पहुंच गई हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मदद के बारे में ट्विटर पर लिखा, "भारत, एक सच्चा, पहला उत्तरदाता." मंत्रालय ने कहा कि मानवीय सहायता की प्रभावी ढंग से आपूर्ति करने और अफगानिस्तान के लोगों के साथ जारी संपर्कों की करीबी निगरानी एवं समन्वय के प्रयासों के मद्देनजर भारतीय तकनीकी दल काबुल पहुंच गया है और उसे हमारे दूतावास में तैनात किया गया है.
भूकंप के बाद तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की थी. इस अपील के बाद कई देशों ने संकटग्रस्त देश के लिए मदद भेजी है जिनमें भारत भी शामिल है.
मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में एक भारतीय दल ने अफगानिस्तान को हमारे मानवीय सहायता अभियान की आपूर्ति को देखने के लिए काबुल का दौरा किया था और वहां सत्तारूढ तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की थी. भूकंप के पहले भी भारत ने अफगानिस्तान की मदद कर चुका है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में 20,000 टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड-19 टीकों की 5,00,000 खुराक और सर्दियों के कपड़े अफगानिस्तान में भेजे जा चुके हैं. बुधवार को आए भूकंप के कारण 10 हजार घर या तो पूरी तरह से नष्ट हो गए या आंशिक रूप से तबाह हो गए.
रिपोर्ट- आमिर अंसारी (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)
अफगानिस्तान ने दो दशक से नहीं देखा ऐसा भूकंप
अफगानिस्तान में आए भूकंप ने करीब 1,000 लोगों की जान ले ली. अमेरिका के नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन के मुताबिक ये हैं पिछले तीन दशकों में अफगानिस्तान में आए वो भूकंप जिन्होंने 100 से ज्यादा की जान ले ली.
तस्वीर: Ahmad Seddiqi/AA/picture alliance
1991, हिंदु कुश
पक्तिका में भूकंप के बाद का नजारा देखते लोग.अफगानिस्तान में भूकंपों का लंबा इतिहास है जिनमें से कई तो पाकिस्तान की सीमा से सटे पहाड़ी हिंदु कुश इलाके में आए थे. 1991 में इसी इलाके में आए एक भूकंप में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सोवियत संघ में 848 लोग मारे गए थे.
तस्वीर: Bakhtar News Agency/AP/picture alliance
1997, कायेन
पक्तिका में भूकंप के बाद का हाल. सुदूरवर्ती होने और दशकों से चल रहे अलग अलग युद्धों की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर बुरे हाल में है और इस वजह से इस इलाके में भूकंप से मरने वालों की संख्या अकसर काफी बढ़ जाती है. 1997 में अफगानिस्तान और ईरान की सीमा पर 7.2 तीव्रता के भूकंप ने दोनों देशों में 1,500 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. 10,000 से ज्यादा घर भी बर्बाद हो गए थे.
तस्वीर: Bakhtar News Agency/AP/picture alliance
फरवरी 1998, तखर
पक्तिका में भूकंप के बाद घायलों को ले जाते लोग. 1998 में सुदूर तखर प्रांत में आए भूकंप ने कम से कम 2,300 लोगों की जान ले ली थी. कुछ अनुमानों के हिसाब से 4,000 लोगों के मारे जाने की संभावना है.
तस्वीर: BAKHTAR NEWS AGENCY/REUTERS
मई 1998, तखर
पक्तिका में तालिबान के लड़ाके घायलों की मदद के लिए एक हेलीकॉप्टर को सुरक्षा देते हुए. मई 1998 में तखर में फिर से एक भीषण भूकंप आया और तबाही मचा गया. 6.6 तीव्रता वाले इस भूकंप ने 4,700 लोगों की जान ले ली.
तस्वीर: Bakhtar News Agency/AP/picture alliance
2002, हिंदु कुश.
पक्तिका में भूकंप से टूटा हुआ एक घर. मार्च 2002 में हिंदु कुश इलाके में एक के बाद एक कर दो भूकंप आए जिनकी वजह से कुल 1,100 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: Bakhtar News Agency/dpa/picture alliance
2015, हिंदु कुश
यह तस्वीर बदगीस में जनवरी 2022 में आए भूकंप में टूटे एक घर की है. 2015 में आया यह भूकंप देश के इतिहास में सबसे तीव्र भूकंपों में से था. इसकी तीव्रता 7.5 आंकी गई थी. इसने अफगानिस्तान ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और भारत में कुल 399 लोगों की जान ले ली. (रॉयटर्स)