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भारत ने अब बासमती चावल के निर्यात पर लगाईं पाबंदियां

२८ अगस्त २०२३

सादे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद अब भारत ने बासमती के निर्यात को भी और कड़ा कर दिया है. ऐसा अवैध निर्यात को रोकने के मकसद से किया गया है.

भारतीय बासमती
भारत का बासमती चावल दुनियाभर में मशहूर हैतस्वीर: Olena Yeromenko/Zoonar/picture alliance

भारत ने बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदियां लगा दी हैं. भारत सरकार ने रविवार को 1,200 डॉलर यानी लगभग एक लाख रुपये प्रति टन से कम के दाम पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिया है. दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत का यह कदम भारतीय बाजार में दाम कम करने के मकसद से लगाया गया है.

भारत ने जुलाई में ही बासमती के अलावा अन्य किस्मों के सादे चावल के निर्यात को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था. शुक्रवार को ही भारत ने उबले चावल के निर्यात पर 20 फीसदी ड्यूटी लगायी थी.

एक सरकारी बयान में कहा गया कि प्रतिबंध के बाद कुछ व्यापारी अन्य किस्मों को भी बासमती का लेबल लगाकर निर्यात कर रहे थे. सरकार ने कहा, "ऐसा देखा गया कि प्रतिबंधों के बावजूद इस साल चावल निर्यात बहुत ज्यादा रहा है."

अवैध निर्यात बढ़ा

सरकार का अनुमान है कि बासमती के निर्यात पर कीमत की सीमा लगाने से अन्य किस्मों पर लगे प्रतिबंध को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. उसके मुताबिक दाम बहुत कम होने के कारण भारत के बासमती चावल की मांग बहुत बढ़ गयी है.

कृषि और प्रोसेस्ड खाने के निर्यात की निगरानी करने वाले प्राधिकरण में एक समिति स्थापित की जाएगी जो चावल निर्यात पर लगीं पाबंदियों के भविष्य पर फैसला लेगी.

भारत और पाकिस्तान में पैदा होने वाला बासमती चावल दुनियाभर में मशहूर है. भारत हर साल 40 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल निर्यात करता है. यानी भारत जितना चावल निर्यात करता है उसका करीब तीन चौथाई हिस्सा बासमती होता है जबकि एक चौथाई दूसरा चावल होता है. यह अधिकतर निर्यात ईरान, इराक, यमन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका को होता है.

महंगाई और कूटनीति

भारत में पिछले एक साल में चावल की कीमतों में 11 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है. सरकार ने कहा है कि पिछले एक महीने में ही चावल 3 प्रतिशत महंगा हो चुका है. इस वजह से घरेलू बाजार में महंगाई को लेकर राजनीति भी हो रही है.

कुछ जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने चावल पर इतने कड़े प्रतिबंध लगाये हैं.

भारत में इस बार मानसून का मौसम भी बहुत नकारात्मक रहा है. कई हिस्सों में तो ऐतिहासिक बारिश और बाढ़ के कारण फसलें तबाह हुईं और चावल उत्पादन को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं. सरकार का कहना है कि घरेलू बाजार में कीमतें कम रखने के मकसद से ही पाबंदियां लगायी जा रही हैं. हालांकि बीते कुछ सालों में भारत ने खाद्यानों निर्यात को अपनी खाद्य कूटनीति का हिस्सा भी बनाया है.

2022 में उसने गेहूं और टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. टूटे चावल का इस्तेमाल जानवरों के चारे के लिए किया जाता है. हालांकि, सरकार ने अब इस वित्त वर्ष में इंडोनेशिया, सेनेगल और गाम्बिया को टूटे चावल के निर्यात का फैसला लिया है. इसके अलावा, भारत ने गेहूं भेजने की इजाजत भी दी है. इसी अवधि में नेपाल को भी निर्यात किया जाएगा.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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