खाड़ी देशों में काम करने वालों की मदद करेगा ये सेंटर
१५ सितम्बर २०१७
अरब देशों में काम करने वाले लोगों की मदद के लिए भारत सरकार एक और केंद्र बनाएगी. 24 घंटे चलने वाली एक हेल्पलाइन और सलाहकारों की टीम खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों की मदद करेगी.
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अकसर अरब देशों में भारतीय मजदूरों के फंसने या बुरे हालात में काम करने की खबरें आती हैं. कई बार नौकरी का झांसा देकर लोगों को तस्करी के जरिए वहां ले जाया जाता है तो कई बार वादे के मुताबिक मेहनताना नहीं मिलता. हाल के सालों में भारतीय कामगारों को वेतन ना मिलने के मामले भी सामने आये हैं जिनके चलते उन्हें फाकाकशी पर मजबूर होना पड़ा है. ऐसे लोगों की मदद के लिए भारत सरकार को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है.
इसीलिए अब संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह में इंडियन वर्कर्स रिसोर्स सेंटर बनाया जा रहा है, जिसका मकसद खाड़ी देशों में काम करने वाले हजारों लोगों को शोषण के खतरे से बचाना है.
अबु धाबी में भारतीय दूतावास के एक अधिकारी दिनेश कुमार कहते हैं, "बहुत सारे फर्जी नौकरी के गिरोह हैं जो लोगों को बिना उचित दस्तावेजों और यहां तक कि नौकरी के बिना भी यहां ले आते हैं. उनका वेतन भी बहुत कम होता है." दिनेश कुमार के मुताबिक ऐसे लोग सिर्फ एक फोन करके मदद मांग सकते हैं.
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि छह खाड़ी देशों यानी बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान में लगभग 60 लाख भारतीय कामगार काम करते हैं. हाल के सालों में, भारत सरकार और गैर सरकारी संगठनों को खाड़ी देशों से बहुत से कामगारों की शिकायतें मिली हैं. इनमें वेतन ना मिलने से लेकर उत्पीड़न और शोषण तक की शिकायतें हैं.
लाखों भारतीय मध्यपूर्व में
अरब देश कतर सऊदी अरब और साथियों के बहिष्कार के बाद विवादों में है. मध्यपूर्व में हलचल भारत के लिए चिंता की बात हो जाती है, भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में करीब 7.17 लाख लोग मध्यपूर्व के देशों में काम करने गये.
तस्वीर: DW/C. Ayari
सऊदी अरब
करीब 3.06 लाख लोग 2015 में सऊदी अरब गये. सऊदी अरब में कुल लगभग 27 लाख 30 हजार भारतीय काम करते हैं, जिनसे देश को करोड़ों डॉलर प्राप्त होता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
संयुक्त अरब अमीरात
भारत से यूएई जाने वालों की संख्या 2015 में 2.25 लाख रही. यूएई में इस वक्त करीब 17 लाख भारतीय रह रहे हैं. देश में स्थानीय निवासियों के बाद भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या दूसरे स्थान पर है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Sahib
कतर
भारत से इस साल करीब 60 हजार लोग कतर पहुंचे. कतर में करीब 6,50,000 भारतीय रहते हैं, जो कि वहां की कुल आबादी का करीब एक-तिहाई है.
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ओमान
ओमान पहुंचने वालों की संख्या 85 हजार रही. आकड़ों के मुताबिक, करीब छह लाख भारतीय ओमान में काम कर रहे हैं और इनमें से 80 फीसदी दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Kai-Uwe Wärner
70 लाख
सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन में 70 लाख से भी अधिक भारतीय रहते हैं. यह संख्या पूरी दुनिया में रह रहे एनआरआई की 60 फीसदी है.
तस्वीर: DW/C. Ayari
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शारजाह के केंद्र में शिकायतें दर्ज करने के लिए 24 घंटे चलने वाला एक टॉल फ्री नंबर है जहां पर आप कई भारतीय भाषाओं में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इस सेंटर में जॉब ऑफर लेटर की जांच भी हो सकेगी ताकि पता लगाया जा सके कि वे नकली नहीं हैं.
दिनेश कुमार कहते हैं कि बहुत से मामलों में अलग संस्कृति, अलग भाषा और अलग खाना भी भारत से आये गरीब कामगारों के लिए परेशानी बन जाते हैं. उनके मुताबिक, "कामगारों की मदद के लिए सेंटर में काउंसलर होंगे."
यह सेंटर कामगारों के लिए कैंप भी लगायेगा जिसमें उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक बनाया जायेगा. सेंटर को चलाने में भारत सरकार की मदद करने वाली एक कंपनी अलंकित के अंकित अग्रवाल कहते हैं, "हम मुख्य तौर पर मजदूरी करने वाले लोगों पर ध्यान देंगे, जिनमें से बहुत से अनपढ़ होते हैं और अपने वर्क कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को ठीक से नहीं समझ पाते हैं."
2010 में भारत सरकार ने दुबई में पहला रिसोर्स सेंटर खोला था. 2016 में दुबई सेंटर को कामगारों की 25 हजार टेलिफोन कॉल्स और दो हजार से ज्यादा पत्र, फैक्स और एसएमएस मिले. इनमें एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की शिकायत भी शामिल हैं जिन्हें उनकी बकाया राशि नहीं दी गयी थी.
एके/एमजे (रॉयटर्स)
बॉस से इतना कम है वेतन
इंसानी काम की क्या कीमत है? एक कामगार और मैनेजर के सामान्य वेतन में अंतर का तो सबको अंदाजा था, लेकिन खाई कितनी बड़ी है इसका पता ब्लूमबर्ग इंस्टीच्यूट ने किया है.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
जर्मनी
ब्लूमबर्ग इंस्टीच्यूट के सर्वे के अनुसार जर्मनी में मैनेजरों को कामगारों के मुकाबले औसत 175 गुना ज्यादा तनख्वाह मिलती है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J. Woitas
जर्मनी के पड़ोसी
जर्मनी के पड़ोसी देश नीदरलैंड्स, स्पेन और स्विट्जरलैंड में मैनेजरों की तनख्वाह जर्मनी से थोड़ी ही आगे पीछे हैं. 172 से 179 प्रतिशत.
तस्वीर: Lanxess AG
ब्रिटेन
ब्रिटेन में यह अंतर जर्मनी से कहीं ज्यादा है. वहां मैनेजरों को कामगारों की आय के मुकाबले 228 गुना ज्यादा वेतन मिलता है.
तस्वीर: AP
अमेरिका
अमेरिका सही मायने में पूंजीवाद का गढ़ है. वहां ये अंतर और ज्यादा है. कामगारों के मुकाबले मैनेजरों को 299 गुना मिलता है.
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दक्षिण अफ्रीका
ऐसा नहीं है कि अमीर लोग औद्योगिक देशों में रहते हैं. दक्षिण अफ्रीका में मैनेजरों को कामगारों के मुकाबले 541 गुना मिलता है.
तस्वीर: dapd
भारत
और भारत. भारत भी दक्षिण अफ्रीका से ज्यादा पीछे नहीं. यहां के मैनेजर गरीबी की परवाह किये बिना मजदूरों का 483 गुना लेते हैं.
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चीन
चीन में कंपनियों के सीईओ को कामगारों की तुलना में ब्लूमबर्ग के सर्वे के अनुसार 43 गुना ज्यादा वेतन मिलता है.
तस्वीर: Reuters/China Daily
थाइलैंड
सर्वे में 25 देशों की सूची में सबसे अच्छी जगह थाइलैंड के पास है जहां सीईओ को कामगारों का 4 गुना वेतन मिलता है.