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समाज

भारत में स्मार्टफोन की बिक्री पर दूसरी लहर का असर

२७ अप्रैल २०२१

भारत में इस साल जनवरी से मार्च तिमाही के बीच स्मार्टफोन की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई. लेकिन कोरोना की दूसरी और सबसे घातक लहर ने स्मार्टफोन के बाजार को भी प्रभावित किया.स्मार्टफोन के जरिए बच्चे ऑनलाइन शिक्षा हासिल कर रहे.

तस्वीर: ISSOUF SANOGO / AFP

भारत इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित है. हर रोज हजारों लोगों की कोरोना के कारण मौत हो रही है और लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं. देश में बीते 24 घंटे में 3.19 लाख नए कोरोना संक्रमित मिले और 2,762 संक्रमितों की मौत हो गई. इस बीच राज्य सरकारें कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं. स्कूल और कॉलेज जो कुछ महीने पहले तक खुलने की तैयारी में थे, उनके दोबारा खुलने की योजना हाल फिलहाल नजर नहीं आती. काउंटरप्वाइंट के शोध के मुताबिक साल 2020 में महामारी के दौरान भारत में स्मार्टफोन की रिकॉर्ड बिक्री हुई.

पिछले साल 3.8 करोड़ स्मार्टफोन बिके, जो कि इससे पहले साल के मुकाबले 23 फीसदी अधिक थी. काउंटरप्वाइंट के विश्लेषक प्रचीर सिंह के मुताबिक, "इन आंकड़ों को सावधानी के साथ लिया जाना चाहिए. देश में चल रही कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन के कारण मोबाइल की मांग में गिरावट आएगी." यह शोध ऐसे समय में आया है जब भारत में कोरोना के मामलों में तेज उछाल दर्ज की जा रही है और नए मामलों के कारण राज्यों को मजबूरन लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है.

शिक्षा पर असर

स्कूल में पढ़ाई पिछले साल से ही ऑनलाइन हो रही है, बच्चों को पढ़ाने के लिए परिवार को कर्ज या सेकंड हैंड फोन खरीदना तक पढ़ रहा है. कोरोना की ताजा लहर ने अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डाला है और अर्थिक गतिविधि धीमी होती जा रही है. ऑनलाइन शिक्षा के लिए ना सिर्फ स्मार्टफोन की जरूरत होती है बल्कि तेज इंटरनेट की भी जरूरत होती है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है विश्व स्तर पर 2.4 करोड़ बच्चों का दोबारा स्कूल नहीं लौट पाने का गंभीर संकट है. ऐसा ही संकट भारत के लाखों गरीब परिवारों के बच्चों के साथ होने वाला है.

तस्वीर: DW

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला था कि कोरोना महामारी और स्कूलों के व्यापक तौर पर बंद होने से दुनिया में जितने बच्चे प्रभावित हुए हैं, उनमें से कम से कम एक-तिहाई बच्चों तक वर्चुअल शिक्षा पहुंच नहीं पा रही है. यूनिसेफ के इस अध्ययन से अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरी दुनिया में करीब 46.3 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जिनके पास दूर से शिक्षा ग्रहण करने के लिए या तो उपकरण नहीं है या इलेक्ट्रॉनिक पहुंच नहीं है.

इंटरनेट से लेकर चार्जिंग तक चुनौती

जानकारों का कहना है कि सिर्फ स्मार्टफोन ही नहीं बल्कि चार्जिंग और इंटरनेट कनेक्शन शिक्षा के लिए बड़ी चुनौती है. ग्रामीण भारत में फोन होने पर भी बहुत से माता-पिता बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई को अहमियत नहीं दे रहे. स्कूल ना जाने की स्थिति में कई बच्चे घरेलू काम या खेती में हांथ बंटाने में लग गए हैं. लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण परिवार की आय कम हो रही है और इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर भी देखने को मिल रहा है. कई मां-बाप फोन पर इंटरनेट पैकेज नहीं डाल पा रहे हैं.

आमिर अंसारी (रॉयटर्स)

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