चीन की चिंता को भारत ने बताया धता, अरुणाचल जाएंगे दलाई लामा
विवेक कुमार
२८ अक्टूबर २०१६
चीन की चिंता की परवाह न करते हुए भारत ने दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश जाने का स्वागत किया है. दलाई लामा को राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने आमंत्रित किया है.
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अरुणाचल प्रदेश में दलाई लामा का कार्यक्रम अगले साल मार्च में है. हाल ही में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा भी अरुणाचल प्रदेश गए थे और चीन को इस पर सख्त आपत्ति थी. इसी महीने की शुरुआत में तवांग उत्सव के कार्यक्रम का ऐलान हुआ था.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इस बारे में कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा भारत के मेहमान हैं और देश में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा, "दलाई लामा एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं, अरुणाचल प्रदेश में उनके बहुत सारे बौद्ध अनुयायी हैं जो उनसे आशीर्वाद लेना चाहेंगे. वह पहले भी वहां जा चुके हैं और उनके दोबारा वहां जाने में भी कोई दिक्कत नहीं है."
दलाई लामा के प्रवक्ता ने भी उनके अरुणाचल प्रदेश जाने की पुष्टि की है. तेनजिन तकला ने कहा, "हिज होलीनेस ने मुख्यमंत्री और अरुणाचल के लोगों का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. वह मार्च के दूसरे हिस्से में वहां जाएंगे." जब तकला से चीन की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
यह भी देखिए: लटके बच्चों की तस्वीर ने हिला दी चीन की सरकार
लटके बच्चों के फोटो ने हिला दी सरकार
चीन के एक गांव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. दिल दहल गए. सरकार हिल गई.
तस्वीर: picture alliance/AP Images/Chinatopix
चीन का गांव है
एक दूर-दराज गांव की इस तस्वीर ने सब बदल दया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina Tao ge
सीढ़ी बनेगी
सरकार ने फौरन एक सही रास्ता या सुरक्षित सीढ़ी बनाने का वादा कर दिया है, ताकि बच्चे सुरक्षित स्कूल जा सकें.
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सुधरेगी जिंदगी
दिन बदलेंगे.
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अरुणाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से पर चीन अपना दावा जताता है. इसलिए जब भी वहां कोई भारतीय गतिविधि होती है तो उसे आपत्ति होती है. वैसे दलाई लामा पहले भी अरुणाचल जा चुके हैं और तब भी चीन ने आपत्ति दर्ज की थी. लेकिन इस बार यह मुद्दा ज्यादा विवादों में घिर सकता है क्योंकि अमेरिकी राजदूत वर्मा के दौरे को लेकर भी चीन ने नाराजगी जाहिर की है. लेकिन दलाई लामा को भारत की प्रतिक्रिया से जाहिर है कि वह चीन की चिंताओं की ज्यादा परवाह नहीं कर रहा है. अमेरिकी राजदूत को तवांग बुलाने को लेकर चीन ने कहा था, "अमेरिका का यह कदम चीन-भारत सीमा पर बहुत मेहनत से अर्जित की गई शांति को नुकसान पहुंचा सकता है."
तवांग बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष स्थान रखता है. 1959 में जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया तो गिरफ्तारी से बचकर भागते हुए दलाई लामा और उनके समर्थक तवांग ही पहुंचे थे. तवांग का बौद्ध मठ एशिया के सबसे बड़े मठों में है.
तस्वीरों में: अंतरिक्ष में चीन की बड़ी छलांग
अंतरिक्ष में चीन की बड़ी छलांग
चीन ने शेनचोऊ-11 रॉकेट के साथ अपने दो अंतरिक्ष यात्री स्पेस में भेजे हैं. चीन अंतरिक्ष शोध के क्षेत्र में अमेरिका और रूस की बराबरी करना चाहता है.
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ये छठा मौका है जब चीन ने अपने अंतरिक्ष यात्री भेजे हैं. यह अंतरिक्ष यान दो दिन के सफर के बाद थियानगोंग-2 प्रयोगशाला में पहुंचेगा, जिसे पिछले महीने अंतरिक्ष में भेजा गया था.
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa/H. H. Young
अनुभवी अंतरिक्ष यात्री
चीन के अंतरिक्ष यात्री चिंग हाइफेंग और छेन तोंग 30 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे. वे वहां कई तरह के शोध करेंगे. चिन तीसरी बार अंतरिक्ष में गए हैं और इस बार वहीं अपना 50वां जन्मदिन भी मनाएंगे.
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa/H. H. Young
‘स्वर्ग जैसा महल’
चीन ने अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-2 यानी ‘स्वर्ग जैसा महल-2’ सितंबर में भेजी थी. नौ मीटर लंबी और 13 टन वजनी ये प्रयोगशाला पृथ्वी से 393 किलोमीटर ऊपर एक कक्षा में है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Xin
बड़ी कामयाबी
थियानगोंग-2 को अंतरिक्ष में भेजना चीन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. अधिकारियों का कहना है कि ये इससे पहले भेजी गई प्रयोगशाला के मुकाबले बड़ी और अधिक समय तक चलने वाली है.
चीन ने शेनचोऊ-11 को प्रक्षेपित करने के लिए लॉन्ग मार्च-2 एफ कैरियर रॉकेट का इस्तेमाल किया. चिउछुआन सेटेलाइट लॉन्च सेंटर से इस रॉकेट करियर ने शेनचोऊ-11 को छोड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/Y. Zhiyuan
महत्वाकांक्षी परियोजना
चीन अंतरिक्ष में अपनी ताकत बढ़ाना चाहता है. वह 2017 में पहला अंतरिक्ष कार्गो शिप थियानचोऊ अंतरिक्ष प्रयोगशाला के पास भेजना चाहता है. इससे प्रयोगशाला को ईंधन और अन्य सामान आपूर्ति की जा सकेगी.
तस्वीर: Reuters
हो चीनी स्पेस स्टेशन
चीनी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष संबंधी कई तकनीकों पर प्रयोग करेंगे. ये अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर बनाने के लिए बहुत अहम है. तस्वीर में दिख रहे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का अभियान 2024 में खत्म हो रहा है.
तस्वीर: Reuters/NASA
मेड इन चाइना
चीन ने हाल में अपने उस रोवर की तस्वीर जारी की जिसे मंगल ग्रह पर पड़ताल के लिए भेजा जाएगा. लेकिन अभी तक सिर्फ कंप्यूटर के ही माध्यम से दिखाया गया है कि छह पहियों वाला ये रोवर किस तरह काम करेगा.
तस्वीर: SASTIND
पहली चीनी अंतरिक्ष प्रयोगशाला
चीन ने सितंबर 2011 में अपनी पहली अंतरिक्ष प्रयोगशाला थियानगोंग-1 को अंतरिक्ष में भेजा था. इसी साल मार्च में इसकी सेवाएं खत्म हुई हैं. इस दौरान तीन अंतरिक्ष यान इस प्रयोगशाला तक पहुंचे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
कामयाबी
2011 में मानवरहित शेनजोऊ-8 रॉकेट 11 दिनों के भीतर दो बार थियानगोंग-1 के पास पहुंचा. इसके बाद 2012 में मौजूदा शेनचोऊ-11 के कमांडर चिंग भी वहां पहुंचे थे.