भारत सरकार ने नए नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत आवेदकों को भारत की नागरिकता के प्रमाणपत्र देने शुरू कर दिए हैं. यह कानून संसद से दिसंबर, 2019 में ही पारित हो गया था लेकिन इसके नियम मार्च, 2024 में लाए गए.
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केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान 14 लोगों को प्रमाणपत्र सौंपे. मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कुल मिला कर 300 से भी ज्यादा लोगों को प्रमाणपत्र दिए गए. इन 14 लोगों के अलावा बाकी सब के पास प्रमाणपत्र ईमेल से भेज दिए गए हैं.
सरकार ने इन आवेदकों के बारे में विस्तृत जानकारी जारी नहीं दी है लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि इनमें से कुछ लोग दिल्ली के आदर्श नगर और 'मजनू का टीला' इलाकों में रहने वाले पाकिस्तान से आए हिंदू हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक आदर्श नगर कैंप में रहने वाले माधो भाई ठाकुर और उनके बेटी, दो बेटे और बहुओं को प्रमाणपत्र मिले.
चुनावों पर होगा असर?
ठाकुर का परिवार 2014 में पाकिस्तान के हैदराबाद से एक तीर्थ यात्रा पर भारत आया था और फिर यहीं रह गया. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के मुताबिक प्रमाणपत्र पाने वाले सीतल दास मजनू का टीला में रहते हैं. दासपाकिस्तान के सिंध के रहने वाले हैं और वो 2013 से भारत में रह रहे हैं.
लोकसभा चुनावों के बीच में इन प्रमाणपत्रों का बांटा जाना दिलचस्प है. सीएए एक बड़ा चुनावी मुद्दा है, जिसे लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी पार्टियों ने कैंपेन किया है. विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और असम में सीएए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. असम में मार्च, 2024 में बड़े पैमाने पर इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन देखे गए थे.
12 मार्च को कांग्रेस के नेतृत्व में 16 विपक्षी पार्टियों ने सीएए के खिलाफ एक राज्यव्यापी हड़ताल का आव्हान किया था. कई स्थानों पर सीएए के नोटिफिकेशन की प्रतियां भी जलाई गई थीं. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार अपनी रैलियों में कह रही हैं कि सीएए एक खतरनाक साजिश है और वो अपने राज्य में उसे लागू नहीं होने देंगी.
कांग्रेस सीएए पर चुप
कांग्रेस के मेनिफेस्टो में सीएए का जिक्र नहीं है लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कुछ ही दिनों पहले केरल में कहा था कि चुनावों के बाद विपक्ष के इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही संसद के पहले सत्र में ही सीएए को रद्द कर दिया जाएगा.
शहर-शहर शाहीन बाग
दिल्ली का गुमनाम इलाका शाहीन बाग महिलाओं के विरोध प्रदर्शन और जज्बे के लिए सुर्खियों में है. कभी सार्वजनिक या राजनीतिक मंच पर ना जाने वाली महिलाएं पिछले एक महीने से इलाके में सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
शाहीन बाग की महिलाएं
पिछले एक महीने से शाहीन बाग की महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. महिलाएं मानती हैं कि नागरिकता कानून से मुसलमानों के साथ भेदभाव होगा और यह संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है.
तस्वीर: DW/M. Javed
पहली बार विरोध प्रदर्शनों में शामिल
शाहीन बाग की कई महिलाओं का कहना है कि वे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर हुई कथित पुलिस ज्यादतियों और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध जता रही हैं. प्रदर्शन में अधिकतर महिलाएं ऐसी हैं जो कभी इस तरह के प्रदर्शनों में शामिल नहीं हुई हैं. इसमें कॉलेज जाने वाली छात्राओं से लेकर गृहिणियां तक शामिल हैं.
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बच्चे और बूढ़ी औरतें भी बनीं हिस्सा
शाहीन बाग की औरतों की चर्चा देश और विदेश में हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भारत की मुसलमान महिलाएं अधिकारों की मांग करते हुए विरोध पर बैठी हुई हैं. प्रदर्शन में महिलाएं अपने बच्चों को भी लाती हैं और कई बार घर का काम निपटाने के बाद धरने पर बैठ जाती हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
संविधान के लिए सड़क पर
महिलाओं का कहना है कि वे संविधान को बचाने के लिए सड़क पर उतरी हैं और जब तक यह कानून वापस नहीं हो जाता उनका विरोध प्रदर्शन इसी तरह से जारी रहेगा. महिलाओं का कहना है कि वे हिंदुस्तान से बहुत प्यार करती हैं और धर्म के आधार पर देश में नागरिकता देने का विरोध करती हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
आम महिलाओं का आंदोलन
शाहीन बाग की महिलाओं का आंदोलन पिछले एक महीने से ज्यादा समय से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं और घर के पुरुष उन महिलाओं का समर्थन कर रहे हैं. शाहीन बाग की महिलाओं को समर्थन देने के लिए कला, फिल्म, साहित्य, राजनीति और सामाजिक कार्यकर्ता भी आकर संबोधित कर चुके हैं.
तस्वीर: DW/M. Javed
पंजाब से आए किसान
शाहीन बाग में लगातार लोगों को अन्य जगह से समर्थन मिल रहा है. पंजाब से सैकड़ों की संख्या में लोग शाहीन बाग पहुंचे, इसमें भारतीय किसान यूनियन के सदस्य भी थे. इन लोगों ने धरने पर बैठी महिलाओं के लिए लंगर भी बनाया.
तस्वीर: DW/S. Kumar
दूसरे धर्म के लोगों का समर्थन
शाहीन बाग की महिलाएं दिन और रात, सर्दी और बारिश के बीच 24 घंटे प्रदर्शन कर रही हैं. ऐसे में उन्हें अन्य धर्मों के लोगों का भी समर्थन मिल रहा है. पिछले दिनों सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर वहां सर्व धर्म पाठ किया. इसके पहले कई धर्म गुरुओं ने मंच पर आकर संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी और एकता, समानता और शांति का संदेश दिया.
तस्वीर: DW/M. Javed
शाहीन बाग से सीख
पूर्वी दिल्ली के खुरेजी इलाके में भी शाहीन बाग की तर्ज पर महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. पहले यहां महिलाएं कम संख्या में प्रदर्शन कर रही थी लेकिन बाद में इसने बड़ा रूप ले लिया. प्रदर्शन में बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं और उनका कहना है कि वे इस कानून के खिलाफ सड़क पर आई हैं.
तस्वीर: DW/S. Kumar
कॉलेज की छात्रों का विरोध
दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज की छात्राओं ने नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध किया और संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 'वंदेमातरम्' के नारे लगाए. रामजस कॉलेज की छात्राओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ यह प्रदर्शन किया.
तस्वीर: DW/S. Kumar
शहर-शहर शाहीन बाग
शाहीन बाग की तर्ज पर ही कोलकाता के पार्क सर्कस में महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने दिल्ली के शाहीन बाग की महिलाओं से प्रेरणा लेते हुए विरोध करने के बारे में सोचा और उनका विरोध भी दिन और रात जारी है.
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आंचल बना परचम
दिल्ली और कोलकाता के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की महिलाएं मंसूर अली पार्क पर धरने पर बैठ गई हैं. यह महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही हैं. हर बीतते दिन के साथ महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही हैं. हालांकि पुलिस ने महिलाओं को धारा 144 का हवाला देते हुए वहां से हटने को कहा है लेकिन वह अब तक नहीं हटी हैं.
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बुलंद होती आवाज
बिहार के गया में भी महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज बुलंद की. महिलाओं के इस तरह से आगे आने से पुरुष भी उन्हें समर्थन दे रहे हैं.
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अधिकार के लिए संघर्ष
झारखंड के जमशेदपुर में भी हजारों की संख्या में महिलाओं ने मार्च निकालकर सीएए का विरोध किया और केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग की.
तस्वीर: DW/A. Ansari
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इस कानून के तहत भारत सरकार अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को भारत की राष्ट्रीयता दे रही है. इस कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए ऐसे लोगों को नागरिकता मिल पाएगी.