भारत ने पाकिस्तान के उच्चायोग के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब कर पाकिस्तान में सिख समुदाय के सदस्यों पर हाल में हुए हमलों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
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भारत सरकार ने सोमवार को नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान उच्चायोग के वरिष्ठ राजनयिक को तलब किया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने हाल में सिखों पर बढ़ते हमलों पर कड़ा विरोध जताया है. भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान सिख समुदाय के सदस्यों पर हुए इन हिंसक हमलों की जांच करे और जांच रिपोर्ट भारत के साथ भी साझा करें.
भारत ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने अल्पसंख्यक नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, जो लगातार धार्मिक उत्पीड़न के डर में रहते हैं. इस साल सिख समुदाय के सदस्यों पर हमले की चार घटनाएं हुईं हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक इस साल पाकिस्तान में अप्रैल से जून के बीच सिखों पर हमले की चार घटनाएं हुईं हैं और भारत ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है.
लक्षित हमले हो रहे
24 जून को पाकिस्तान के पेशावर इलाके में एक सिख व्यक्ति की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. 35 साल के मनमोहन सिंह पेशावर के उपनगरीय इलाके रशीद गढ़ी से आंतरिक शहर क्षेत्र की ओर जा रहे थे तभी कुछ हथियारबंद लोगों ने उन पर हमला कर दिया. पेशावर पुलिस ने कहा कि सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ टार्गेट हमलों की यह ताजा घटना है. बीते शुक्रवार को हमलावरों ने एक सिख को गोली मारकर जख्मी कर दिया था. 48 घंटे के अंदर सिख समुदाय के सदस्यों पर हमले की यह दूसरी घटना थी. पेशावर में करीब पंद्रह हजार सिख रहते हैं और ज्यादातर कारोबार से जुड़े हैं.
बीते मार्च में हमलावरों ने एक सिख व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. पिछले साल सितंबर में पेशावर में एक मशहूर सिख हकीम की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. 2018 में भी पेशावर में सिख समुदाय के सदस्य चरणजीत सिंह की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी. इससे बाद 2020 में रविंदर सिंह नाम के एक सिख व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी.
पाकिस्तान में मुस्लिमों की आबादी 96 फीसदी के करीब है, हिंदुओं की संख्या कुल आबादी का 1.6 प्रतिशत है और ईसाई लगभग 1.6 प्रतिशत हैं. पाकिस्तान की अधिकतर हिंदू आबादी सिंध प्रांत में बसी हुई है.
पाकिस्तान में 200 साल पुराना साधु बेला मंदिर
पाकिस्तान में सिंधु नदी के रेतीले किनारों पर कुछ हिंदू रंग बिरंगी नावों में सवार हो कर उस द्वीप पर जाते हैं जहां 200 साल पुराना मंदिर है.
तस्वीर: Fareed Khan/AP/picture alliance
साधु बेला की जयकार
नाव जैसे ही किनारों की तरफ बढ़ती है और सामने मार्बल और चंदन की लकड़ी से बना मंदिर नजर आता है. नाव के यात्री साधु बेला की जयकार करने लगते हैं. हर साल दसियों हजार हिंदू त्याहारों या छुट्टियों के मौके पर इस मंदिर में अपने अराध्य के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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साधु बेला मंदिर
साधु बेला के मंदिर को जोधपुर के कारीगरों ने करीब 200 साल पहले बनाया था. इसकी वास्तुकला में ताजमहल की छाप दिखाई देती है. 2023 में इसका 200वां स्थापना दिवस मनाया जायेगा. श्रद्धालुओं की भीड़ से मंदिर जीवंत हो जाता है.
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बनखंडी महाराज
कहा जाता है कि इस जगह को बनखंडी महाराज ने आबाद किया था. वह दिल्ली या फिर नेपाल से यहां 1823 में आये थे. यह जगह उन्हें इतनी पसंद आई कि यहीं उन्होंने अपनी धुनी रमा ली. उनकी पुण्यतिथि पर हर साल यहां मेला लगता है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
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मुस्लिम जमींदारों का तोहफा
करीब दो शताब्दी पहले सिंध के अमीर मुस्लिम जमींदारों ने हिंदू समुदाय को यह द्वीप तोहफे में दिया था. आज के पाकिस्तान में इसकी कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में अब हिंदुओं को कई तरह के भेदभाव, दमन और शोषण का सामना करना पड़ रहा है.
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सिंध में हिंदुओं के निशान दिखते हैं
पाकिस्तान और खास तौर पर सिंध में हिंदू संस्कृति के कुछ निशान अब भी बचे हुए हैं. भले ही संख्या घट गई हो लेकिन यहां उनके कुछ मंदिर अब भी हैं. हिंदुओं के अपने कारोबार, स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थान भी सिंध में ही हैं. इनमें से ज्यादातर भारत पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से चल रहे हैं.
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द्वीप पर और भी हैं मंदिर
सिंध में सुक्कुर से करीब कुछ दूरी पर मौजूद इस द्वीप पर साधु बेला के अलावा आठ मंदिर और भी हैं. इसके अलावा मंदिर के पुजारियों के रहने के लिए घर और श्रद्धालुओं के लिए भी रहने की व्यवस्था है. पार्क और भोजनालय के साथ ही यहां आसपास का माहौल भी काफी अलग है.
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पाकिस्तान में हिंदू होना आसान नहीं
पाकिस्तान में कुल मिला कर अब 40 लाख हिंदू हैं यह देश की आबादी का करीब 1.9 फीसदी है. इनमें से लगभग 14 लाख सिंध में रहते हैं. पाकिस्तान में हिंदुओं को पूजा करने पर रोक नहीं है लेकिन सार्वजनिक तौर पर धर्म का पालन सामान्य नहीं है. कई दशकों से चली आ रही राजनीतिक दुश्मनी ने पाकिस्तान में हिंदुओं के लिये यहां कई चुनौतियां पैदा की हैं.