भारत: इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ मामले को बंद करने का आदेश
आमिर अंसारी
१५ जून २०२१
सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ भारत में लंबित सभी आपराधिक मामलों को बंद करने का आदेश दिया है. 2012 में दोनों नौसैनिकों ने केरल के पास दो मछुआरों को गोली मार दी थी.
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इटली की ओर से भारतीय सुप्रीम कोर्ट की रजिस्टरी में 10 करोड़ का मुआवजा जमा कराने के बाद कोर्ट ने सभी आपराधिक मामलों को बंद करने का आदेश दिया है. 10 करोड़ रुपये केरल हाई कोर्ट को ट्रांसफर किए जाएंगे, जिसके बाद पीड़ित के वारिसों को चार-चार करोड़ रुपये बतौर मुआवजा मिलेगा और बाकी के दो करोड़ रुपये नाव के मालिकों को दिए जाएंगे.
साल 2012 की घटना में केरल के तट के पास भारतीय मछुआरों की एक नाव वहां से गुजर रहे इतालवी तेल के टैंकर एनरिका लेक्सी के पास पहुंच गई थी. टैंकर पर तैनात दो इतालवी नौसैनिक सल्वातोरे जिरोने और मासिमिलियानो लातोरे के गोली चलाने से दो भारतीय मछुआरों की मौत हो गई. इटली का शुरू से दावा रहा था कि नौसैनिकों ने चेतावनी देने के इरादे से गोली चलाई थी, लेकिन भारतीय नौसेना ने इतालवी नौसैनिकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. इटली और भारत के बीच दोनों नौसैनिकों पर मुकदमा चलाने को लेकर भी काफी विवाद हुआ था.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से एक न्यायाधीश को नामित करने को कहा है, जो वारिसों के हितों की रक्षा के लिए मुआवजे का उचित आदेश पारित करे और यह सुनिश्चित करे कि यह वारिसों द्वारा प्राप्त किया गया है. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमआर शाह की अवकाशकालीन बेंच ने मामले में दो इतावली नौसैनिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और कार्यवाही रद्द करने का आदेश पारित किया. इसी साल अप्रैल महीने में केंद्र सरकार ने सुनवाई बंद करने की मांग की थी.
पीड़ितों को मिलेगा मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल 2021 को कहा था कि एनरिका लेक्सी मामले में दो इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ भारत में लंबित आपराधिक मामले इटली गणराज्य द्वारा गोलीबारी की घटना के पीड़ितों को भुगतान किए जाने के लिए सहमत मुआवजे को जमा करने के बाद ही बंद किए जाएंगे.
इस आदेश के बाद यूरोपीय संघ के आर्थिक मामलों के आयुक्त पाओलो जेंटोलिनी ने ट्विटर पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट ने एनरिका लेक्सी मामले में मुआवजे को स्वीकार करते हुए इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक मामलों को खारिज कर दिया." उन्होंने इसे इतालवी कूटनीति की जीत बताते हुए लिखा, "भारत के साथ मामला बंद हो गया है. यह इतालवी कूटनीति की सफलता है."
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संकट खड़ा हुआ था
गोलीकांड के दो साल तक सल्वातोरे जिरोने और मासिमिलियानो लातोरे को हिरासत में रखा गया था लेकिन आधिकारिक रूप से कोई आरोप नहीं तय किए गए. इसके बाद सितंबर 2014 में इनमें से एक नौसैनिक और मई 2016 में दूसरा नौसैनिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई शर्तबंद जमानत पर इटली वापस लौट गए और फिर वापस नहीं आए. दोनों ने कहा था उन्होंने भारतीय मछुआरों को समुद्री डाकू समझ लिया था और चेतावनी के लिए गोली चलाई थी.
इस मामले को लेकर न सिर्फ भारत और इटली के संबंधों में तनाव आया था बल्कि यूरोपीय संघ के साथ भी खिंचाव देखने को मिला था. एक समय में यह पूरा मामला एक कूटनीतिक संकट में बदल गया था. इटली इस मामले के लिए लिए संयुक्त राष्ट्र की अदालत में भी गया था.
बढ़ती जा रही है जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या
एनसीआरबी के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि देश की जेलों में ऐसे कैदियों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है जिनके खिलाफ आरोपों पर सुनवाई अभी चल ही रही है. जानिए और क्या बताते हैं ताजा आंकड़े.
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कितनी जेलें
2019 में देश में कुल 1,350 जेलें थीं, जिनमें सबसे ज्यादा (144) राजस्थान में थीं. दिल्ली में सबसे ज्यादा (14) केंद्रीय जेलें हैं. कम से कम छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी केंद्रीय जेल नहीं है.
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जेलों में भीड़
इतनी जेलें भी बंदियों की बढ़ती संख्या के लिए काफी नहीं हैं. ऑक्यूपेंसी दर 2018 में 117.6 प्रतिशत से बढ़ कर 2019 में 118.5 प्रतिशत हो गई. सबसे ज्यादा ऊंची दर जिला जेलों (129.7 प्रतिशत) है. राज्यों में सबसे ऊंची दर दिल्ली में है (174.9 प्रतिशत).
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महिला जेलों का अभाव
'पूरे देश में सिर्फ 31 महिला जेलें हैं और वो भी सिर्फ 15 राज्यों/केंद्रीय शासित प्रदेशों में हैं. देश की सभी जेलों में कुल 4,78,600 कैदी हैं, जिनमें 19,913 महिलाएं हैं.
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कर्मचारियों का भी अभाव
2019 में जेल स्टाफ की स्वीकृत संख्या थी 87,599 लेकिन वास्तविक संख्या थी सिर्फ 60,787. सबसे बड़ा अभाव प्रोबेशन अधिकारी, कल्याण अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक आदि जैसे सुधार कर्मियों का था.
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कैदियों पर खर्च
2019 में देश में कैदियों पर कुल 2060.96 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो कि जेलों के कुल खर्च का 34.59 प्रतिशत था. इसमें से 47.9 प्रतिशत (986.18 करोड़ रुपए) भोजन पर खर्च किए गए, 4.3 प्रतिशत (89.48 करोड़ रुपए) चिकित्सा संबंधी खर्च पर, 1.0 प्रतिशत (20.27 करोड़ रुपए) कल्याणकारी गतिविधियों पर, 1.1 प्रतिशत (22.56 करोड़ रुपए) कपड़ों पर और 1.2 प्रतिशत (24.20 करोड़ रुपए) शिक्षा और ट्रेनिंग पर किया गया.
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70 प्रतिशत कैदियों के मामले विचाराधीन
2019 में देश की सभी जेलों में अपराधी साबित हो चुके कैदियों की संख्या (1,44,125) ऐसे कैदियों की संख्या से ज्यादा थी जिनके खिलाफ मामले अभी अदालतों में विचाराधीन ही हैं (3,30,487). एक साल में विचाराधीन कैदियों की संख्या में 2.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इनमें से लगभग आधे कैदी जिला जेलों में हैं और 36.7 प्रतिशत केंद्रीय जेलों में.
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न्याय के इंतजार में
विचाराधीन कैदियों में 74.08 प्रतिशत कैदी (2,44,841) एक साल तक की अवधि तक, 13.35 प्रतिशत कैदी (44,135) एक से दो साल की अवधि तक, 6.79 प्रतिशत (22,451) दो से तीन सालों तक, 4.25 प्रतिशत (14,049) तीन से पांच सालों तक और 1.52 प्रतिशत कैदी (5,011) पांच साल से भी ज्यादा अवधि से जेल में बंद थे.
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शिक्षा का स्तर
सभी कैदियों में 27.7 प्रतिशत (1,32,729) अशिक्षित थे, 41.6 प्रतिशत (1,98,872) दसवीं कक्षा तक भी नहीं पढ़े थे, 21.5 प्रतिशत (1,03,036) स्नातक के नीचे तक पढ़े थे, 6.3 प्रतिशत (30,201) स्नातक थे, 1.7 प्रतिशत 8,085 स्नातकोत्तर थे और 1.2% प्रतिशत (5,677) कैदियों के पास टेक्निकल डिप्लोमा/डिग्री थी.
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मृत्युदंड वाले कैदी
सभी कैदियों में कुल 400 कैदी ऐसे थे जिन्हें मौत की सजा सुना दी गई थी. इनमें से 121 कैदियों को 2019 में मृत्युदंड सुनाया गया था. 77,158 कैदियों (53.54 प्रतिशत) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
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जेल में मृत्यु
2018 में 1,845 कैदियों के मुकाबले 2019 में 1,775 कैदियों की जेल में मृत्यु हुई. इनमें से 1,544 कैदियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई. अप्राकृतिक कारणों से मरने वाले कैदियों की संख्या 10.74 प्रतिशत बढ़ कर 165 हो गई. इनमें से 116 कैदियों की मौत आत्महत्या की वजह से हुई, 20 की मौत हादसों की वजह से हुई और 10 की दूसरे कैदियों द्वारा हत्या कर दी गई. कुल 66 मामलों में मृत्यु का कारण पता नहीं चल पाया.
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पुनर्वास
2019 में कुल 1,827 कैदियों का पुनर्वास कराया गया और 2,008 कैदियों को रिहाई के बाद वित्तीय सहायता दी गई. कैदियों द्वारा कुल 846.04 करोड़ रुपए मूल्य के उत्पाद भी बनाए गए.