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समाज

2,500 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है वोडाफोन-आइडिया

आमिर अंसारी
१८ फ़रवरी २०२०

वोडाफोन-आइडिया ने दूरसंचार विभाग को एजीआर के 2,500 करोड़ का भुगतान कर दिया है.लेकिन दूरसंचार विभाग के आकलन के मुताबिक अभी करीब 53 हजार करोड़ का बकाया है.कंपनियों को आय का एक हिस्सा एजीआर के रूप में सरकार को देना होता है.

Vodafone Abhörskandal
तस्वीर: REUTERS

भारतीय टेलीकॉम सेक्टर गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है. एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद टेलीकॉम सेवा देने वाली कंपनियों के पास सीमित विकल्प ही बचे हैं. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद टेलीकॉम कंपनियों ने एजीआर की रकम चुकाई हैं. भारती एयरटेल ने 10,000 करोड़, वोडाफोन-आइडिया ने 2,500 करोड़, टाटा टेलीसर्विसेज ने 2,190 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का भुगतान किया.

सरकार के आकलन के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों पर एजीआर के 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया थे. 14,690 करोड़ चुकाने के बाद भी 15 कंपनियों पर 1.32 लाख करोड़ बकाया है. सोमवार को वोडाफोन-आइडिया ने तत्काल 2,500 करोड़ के भुगतान और कुछ दिन बाद 1,000 करोड़ के भुगतान की अर्जी दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था.

वोडाफोन-आइडिया पहले से ही काफी वित्तीय संकट से गुजर रही है. कंपनी कह चुकी है कि अगर सरकार की तरफ से मदद नहीं मिलेगी तो कारोबार बंद करने की भी नौबत आ सकती है. सोमवार को कोर्ट में वोडाफोन-आइडिया का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने एक टीवी चैनल से कहा, "अगर बैंक गारंटी भुना ली गई तो कंपनी को कारोबार बंद करना पड़ जाएगा. उम्मीद है कि लोग समझदारी से काम लेंगे.”

टेलीकॉम क्षेत्र के जानकार सुगतो हाजरा ने डीडब्ल्यू से कहा, "वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल के लिए इस वक्त बहुत गंभीर संकट है. जियो के लिए संकट उतना नहीं है क्योंकि उस पर उतना बकाया नहीं है. कंपनियों ने पहले एजीआर के लिए प्रावधान नहीं किया था. एजीआर के लिए कंपनियां का बकाया राशि को लेकर प्रावधान नहीं करना गलत था.”

साथ ही हाजरा कहते हैं कि सरकार और कंपनियों ने जब करार पर हस्ताक्षर किए थे तब गैर टेलीकॉम क्षेत्र से होने वाली आय को लेकर दूरसंचार विभाग को कंपनियां पैसे क्यों देगी, इस बिंदु पर भी सरकार को सोचना चाहिए था. हाजरा कहते हैं, "अगर वोडाफोन-आइडिया कारोबार बंद कर देती है तो देश में सिर्फ दो ही कंपनियां बचेंगी, जो इतनी बड़ी आबादी के लिए काफी नहीं है."

अगर वोडाफोन-आइडिया दिवालिया हो जाती है तो सबसे बड़ा नुकसान सरकार और बैंकों को होगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, इंडसइंड बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने वोडाफोन-आइडिया को बड़े कर्ज दिए हैं. हाजरा कहते हैं, "इस मुद्दे पर टेलीकॉम कंपनियों को भी ध्यान देना चाहिए था. इस मामले में सरकार की तरफ से भी गलती हुई है. बाजार में बने रहने के लिए कंपनियों को पैसे तो अदा करने ही होंगे और अगर बैंक का पैसा कंपनी नहीं चुका पाती है तब ज्यादा बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा.”

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक कंपनियां एजीआर के 1.20 लाख करोड़ रुपये भी चुकाती है, तो 2019-20 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 फीसदी तक सीमित रखने में मदद मिल सकती है. वोडाफोन-आइडिया के भारत में करीब 13 हजार कर्मचारी हैं और कंपनी पर करीब 3.8 अरब डॉलर का कर्ज है.

अगर कंपनी भारत से अपना कारोबार समेट लेती है तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है, जो कि पहले ही सुस्त गति से बढ़ रही है. दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि बैंक टेलीकॉम कंपनियों के इस संकट पर पैनी नजर बनाए हुए है.

सरकार और बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के बीच लंबे समय से लाइसेंस और अन्य फीस भुगतान की गणना को लेकर विवाद चला आ रहा है. कंपनियों की दलील है कि लाइसेंस फीस की गणना सिर्फ टेलीकॉम कारोबार से होने वाली आय पर होनी चाहिए. जबकि कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कंपनियों को हैंडसेट की बिक्री समेत सभी व्यापारिक सौदे से होने वाली आय पर गणना कर एक हिस्सा एजीआर के रूप में दूरसंचार विभाग को देना होगा.

 

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