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समाज

दुशांबे में जयशंकर ने चीन को दी चेतावनी

१५ जुलाई २०२१

बुधवार को ताजिकिस्तान में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि चीन द्वारा मौजूदा स्थिति में एकतरफा बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

पिछले साल भी मिल चुके हैं दोनों विदेश मंत्रीतस्वीर: Bai Xueqi/Xinhua/imago images

बुधवार को भारत के विदेश मंत्री ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात की और भारत की चिंताएं साझा कीं. बातचीत के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, "द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमांत इलाकों में शांति और स्थिरता की पुनर्स्थापना और उसका बने रहना बहुत जरूरी है.”

जयशंकर शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हैं. वहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. वांग यी ने भी शांति की जरूरत पर बल दिया और कहा कि चीन बातचीत से मसले सुलझाना चाहता है.

चीनी विदेश मंत्रालय ने वांग यी के हवाले से कहा, "चीन-भारत संबंध एक दूसरे को धमकाकर नहीं बल्कि यह साबित करने से परिभाषित होंगे कि एक दूसरे को हम आपसी सहयोग के मौके उपलब्ध कराएं. दोनों मुल्क साझीदार हैं, विपक्षी नहीं, और दुश्मन तो बिल्कुल नहीं.”

सालभर से जारी गतिरोध

भारत और चीन के बीच पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से गतिरोध जारी है. हालांकि मंत्री स्तर के अलावा स्थानीय कमांडरों के बीच और अन्य राजनेताओं के स्तर पर भी बातचीत हो चुकी है. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि दोनों पक्ष वरिष्ठ सैन्य अफसरों की एक बैठक कराने पर सहमत हुए हैं.

जानें, किस किस से है चीन का विवाद

पिछले साल चीन और भारत के सैनिकों के बीच एक विवाद हुआ था, जिसमें लाठियों, पत्थरों और लात-घूसों से एक दूसरे पर हमला किया गया. यह विवाद लद्दाख सीमा पर विवादित इलाके में हुआ था. इसमें भारत के 20 सैनिक मारे गए थे जबकि चीन ने कहा था कि उसके चार सैनिक हताहत हुए.

तब से दोनों मुल्कों के बीच तनाव लगातार बना हुआ है. दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर सेना, तोपें और लड़ाकू विमान ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल' कही जाने वाली सीमा पर जमा कर लिए हैं. ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल' वह रेखा है, जो भारत और चीन के कब्जे वाले इलाकों को उत्तर में लद्दाख ले लेकर पूर्व में अरुणाचल तक बांटती है. अरुणाचल को चीन अपना इलाका बताता है. भारत का कहना है कि चीन ने विवादित इलाके में अपनी सेना की तैनाती बढ़ाई है, जिसके जवाब में उसने भी अपनी स्थिति को मजबूत किया है.

तनावपूर्ण शांति

बुधवार को भारत की सेना ने मीडिया में आ रहीं उन खबरों का खंडन किया कि चीनी सैनिकों के साथ हाल ही में पूर्वी लद्दाख में उसकी झड़प हुई है. भारतीय सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "इस साल फरवरी में समझौता होने के बाद से दोनों ही तरफ से किसी भी इलाके पर कब्जा करने को लेकर कोई कोशिश नहीं हुई है. खबर में बताए गए गलवान या अन्य किसी भी इलाके में कोई झड़प नहीं हुई है.”

देखिए, इन देशों के बीच है सीमा विवाद

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों से जारी है. 1962 में दोनों देश एक युद्ध भी लड़ चुके हैं. पिछले साल के विवाद के बाद कई बार दोनों देशों के नेता मिल चुके हैं. पिछले साल सितंबर में रूस में हुई अपनी बैठक को याद करते हुए भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर विवाद से दूर रहने का जो समझौता हुआ था, उसका पूरी तरह पालन होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस साल पेंगोंग में विवाद को टालने की एक सफल कोशिश के बाद बाकी मुद्दों को हल करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में मदद मिली है. भारत ने एक बयान में कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि चीनी अधिकारी इस मकसद को हासिल करने के लिए हमारे साथ काम करेंगे. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय यह मानता है कि अन्य इलाकों में मुद्दे अब भी उलझे हुए हैं.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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