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समाज

कोरोना वायरस का खौफ, घरों में लोग कैद, कारोबार भी घटा

आमिर अंसारी
१७ मार्च २०२०

भारत में कोरोना वायरस के मामलों के बढ़ने के साथ-साथ लोग खुद भी जरूरी सावधानी बरत रहे हैं. जिनके घरों में मरीज हैं वे एहतियातन दवा जमा कर रख रहे हैं. वहीं कोरोना का असर आम बाजार और लोगों की दिनचर्या पर भी पड़ा है.

Indien Neu Delhi | Weniger Kunden wegen Coronavirus für Neu Delhis Fahrer
तस्वीर: DW/A. Ansari

ऋचा पांडे नोएडा की एक निजी यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं और इन दिनों कोरोना वायरस के भारत में बढ़ते मामलों को देख कर थोड़ी चिंतित हैं. ऋचा के परिवार में उनके माता-पिता और उनकी एक बहन है. कोरोना वायरस को लेकर जिस तरह का भय इन दिनों देश में है वे लोग अधिक से अधिक समय घर पर ही बिताने को मजबूर हैं. ऋचा को कोरोना वायरस से जुड़ी कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर मिलती है या फिर कोई उन्हें कोई मैसेज व्हाट्सऐप के जरिए आता है तो उनकी कोशिश होती है कि पहले उसकी सत्यता की जांच कर ली जाए. ऋचा के पिता हृदय रोग के मरीज हैं और इस वजह से घर पर साफ-सफाई का खास ध्यान दिया जा रहा है. ऋचा कहती हैं, "हम लोग बार-बार साबुन से हाथ धोते हैं. अगर मजबूरी में घर से बाहर जाना पड़ता है तो साथ में हैंड सैनेटाइजर लेकर चलते हैं. इसके अलावा घर पर काम करने आने वाली नौकरानी को भी विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं, जैसे घर पर आते ही साबुन से हाथ धोना."

ऋचा पांडे, निजी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं.तस्वीर: privat

कोरोना वायरस से बचने के लिए केंद्र सरकार ने लोगों से 31 मार्च तक बस, ट्रेन और विमान यात्रा नहीं करने की सलाह दी है. साथ ही देशभर में स्कूल, कॉलेज और जिम को भी 31 मार्च तक बंद करने की सलाह दी गई है. वायरस का खौफ ऐसा है कि कई लोग पिछले कुछ दिनों से घर का राशन जमा करने में लगे हैं ताकि लॉकडाउन जैसी स्थिति में खाने-पीने की कमी ना हो. ऋचा बताती हैं, "राशन को लेकर कई तरह की बातें सुनने में आ रही हैं लेकिन हमने अभी तक ऐसी कोई अतिरिक्त खरीदारी नहीं की है. बस अपने पिता को कहा है कि अपनी दवा की मात्रा भरपूर रख लें ताकि अगर हालात कुछ खराब होते हैं तो घर पर दवा की कमी नहीं होगी."

पिछले दिनों विदेशों में जिस तरह से टॉयलेट पेपर और खाने-पीने की चीजों की कमी की खबरें आईं हैं उस जैसा असर फिलहाल देश में तो नहीं दिख रहा है लेकिन कुछ लोग पहले से ही दो-दो महीने तक का राशन जमा कर रहे हैं. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग अपील कर रहे हैं कि हैंड सैनेटाइजर और राशन की जमाखोरी ना करें और सभी को खरीदने का मौका दें. लोगों में डर है कि अगर बाजार और दुकानें बंद हो जाएंगी तो घर पर खाने का इंतजाम कैसे हो पाएगा और यही कारण है कि लोग अधिक मात्रा में जरूरी चीजें खरीद रहे हैं. हालांकि कुछ लोग लगातार सोशल मीडिया के जरिए लोगों से जमाखोरी ना करने की अपील कर रहे हैं.

दिल्ली मेट्रो.तस्वीर: DW/S. Chabba

गुड़गांव स्थित आउटडोर गार्डन डिजाइनर मीता सरीन कहती हैं, "हमें दूसरों का भी ख्याल रखना चाहिए. हमें यह देखना चाहिए कि जो भी जरूरी सामान है उसका वितरण बराबर रूप से सभी लोगों को हो. जरूरतमंद लोगों को भी मास्क और हैंड सैनेटाइजर खरीदने का मौका मिलना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए अहम हैं."

 

सभी पर असर

देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों में लोग घरों में सिमट गए हैं. बाजारों में हलचल कम हो गई है. लोग घरों से तभी निकल रहे हैं जब बहुत जरूरी हो और खरीदारी करके तुरंत घरों को लौट जा रहे हैं. दफ्तरों की तरफ से घर से काम करने की सुविधा देने के बाद से दिल्ली मेट्रो में यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. एक अनुमान के मुताबिक पिछले दस दिनों में दिल्ली मेट्रो में पांच लाख यात्री कम हो गए हैं. यही हाल ऑटो, बस और ई-रिक्शा का है. कर्मचारियों के दफ्तर नहीं जाने के कारण ऑटो और बसों में सवारी नहीं के बराबर है. दक्षिणी दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले मेट्रो स्टेशन से यात्री उठाने वाले ऑटो ड्राइवर बाबू चौपाल कहते हैं कि कोरोना वायरस की वजह से सवारी में भारी गिरावट आई है. वह कहते हैं, "मैं सुबह साढ़े पांच बजे से ड्यूटी पर हूं लेकिन सुबह के 10 बजने वाले हैं और अब तक मैंने तीन बार ही यात्रियों  को उनकी मंजिल तक पहुंचाया है. इसी वजह से मेरी कमाई में भी भारी गिरावट आ गई है."

बाजारों में खरीदार कम आ रहे हैं. तस्वीर: DW/S. Ghosh

दूसरी ओर दक्षिणी दिल्ली के चित्तरंजन पार्क के बाजारों में भी रौनक नहीं है. लोग मांस और मछली खरीदने नहीं आ रहे हैं. यही नहीं जहां पर शाम के समय लोग चाय और नाश्ते के लिए कतार लगाते थे वहां अब इक्का-दुक्का ही लोग नजर आ रहे हैं. चित्तरंजन पार्क के बाजार में मछली विक्रेता दुलाल कहते हैं कि इन दिनों मछली की बिक्री में 70-80 फीसदी की गिरावट आई है. दुलाल बताते हैं, "आप देखिए यहां कितने खरीदार हैं. बाजारों की हालत खराब है. हम उधार पर माल लेते हैं और अगर माल नहीं बिकता है तो हमें उसे रखने के लिए बर्फ खरीदनी पड़ती है ऐसे में हमारी लागत बढ़ जाती है. मछली रखने के खर्च की वजह से हम पर बोझ पड़ता है."

दूसरी ओर सरकार ने यूरोपियन संघ, तुर्की, ब्रिटेन से भारत आने वालों की एंट्री पर 18 से 31 मार्च तक रोक लगा दी है. इन देशों से भारत के लिए कोई यात्री 18 मार्च की शाम से विमान में नहीं चढ़ सकेगा. इसके अलावा यूएई, कतर, ओमान और कुवैत से आने वाले सभी यात्रियों को भी 14 दिन की निगरानी में रहना पड़ेगा. 

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