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समाजभारत

भारत में सितंबर से शुरू हो सकती है जनगणना की प्रक्रिया

२२ अगस्त २०२४

भारत सरकार सितंबर महीने से जनगणना की प्रक्रिया शुरू कर सकती है. जनगणना के इस सर्वे में लगभग 18 महीने लगेंगे और नतीजे मार्च 2026 में आने की उम्मीद है.

दिल्ली का चांदनी चौक
भारत में सितंबर महीने में जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो सकती हैतस्वीर: Kabir Jhangiani/ZUMA Press/picture alliance

भारत में पिछली बार 2011 में जनगणना हुई थी. हर 10 साल में होने वाली यह प्रक्रिया 2021 में कोरोना वायरस के कारण नहीं हो पाई थी. अब तीन साल की देरी के बाद भारत की आबादी की गिनती होगी.

भारत में जनगणना की प्रक्रिया में सीधे शामिल दो सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि भारत में लंबे समय से विलंबित जनगणना सितंबर में शुरू होने की संभावना है. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्षों की आलोचना के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में उपलब्ध आंकड़ों में आए बड़े अंतराल को भरने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत में हर 10 साल में जनगणना कराई जाती है और इसे 2021 में होना था लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण यह स्थगित कर दी गई थी. अगर इस साल जनगणना होती है तो नरेंद्र मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण डाटा मिल सकते हैं.

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जनगणना सर्वे पूरा होने में 18 महीने लगेंगे

सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अगले महीने शुरू होने वाले नए सर्वेक्षण को पूरा करने में लगभग 18 महीने लगेंगे. सरकार के भीतर और बाहर के अर्थशास्त्रियों ने ताजा जनगणना में देरी की आलोचना की है क्योंकि इससे आर्थिक डाटा, मुद्रास्फीति और नौकरियों के अनुमान समेत कई अन्य सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता प्रभावित होती है.

1.4 अरब आबादी वाले देश में जनगणना सही समय पर इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नीति निर्माता सारी योजना 2011 के आंकड़ों के आधार पर ही बना रहे हैं. सरकार जो भी योजना बनाती है या कार्यक्रम शुरू करती है उसका आवंटन जनगणना के आधार पर होता है.

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क्यों जरूरी है जनगणना

वर्तमान में इनमें से अधिकांश डाटा सेट और उनके परिणामों पर आधारित सरकारी योजनाएं 2011 में जारी अंतिम जनसंख्या जनगणना पर आधारित हैं. जिसके कारण कई सरकारी योजनाएं और नीतियां कम प्रभावी हो गईं हैं.

अधिकारियों ने बताया कि जनगणना कराने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गृह मंत्रालय और सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक समय सीमा तैयार की है और उनका लक्ष्य मार्च 2026 तक नतीजे जारी करना है, जिसमें 15 साल की अवधि शामिल है.

पिछली जनगणना 2011 में हुई थी और कोरोना वायरस के कारण 2021 में यह प्रक्रिया नहीं हो पाई थीतस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance

हालांकि, इस प्रक्रिया को प्रधानमंत्री कार्यालय से मंजूरी का इंतजार है. रॉयटर्स ने गृह मंत्रालय और सांख्यिकी मंत्रालय से टिप्पणी के लिए अनुरोध किया जिसका उसे तुरंत जवाब नहीं मिला.

2023 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत ने दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनकर चीन को पीछे छोड़ दिया था.

सरकार खुदरा महंगाई दर समेत अपने आर्थिक आंकड़ों में भी बदलाव करने की कोशिश कर रही है, जिसमें उपभोग पैटर्न में बदलाव को दर्शाने के लिए खाद्य सहित विभिन्न श्रेणियों का पुनर्मूल्यांकन शामिल है.

जनगणना जैसी गहन जनसांख्यिकी कवायद बेहद जरूरी है. भारत जैसे आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता वाले देश में तो इसकी आवश्यकता और भी अधिक है. उदाहरण के लिए यह आबादी के आकार जैसी बुनियादी जानकारी मुहैया कराता है.

एए/वीके (रॉयटर्स)

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