क्रिप्टो पर टैक्स लगेगा, कारोबारी बोले खबर अच्छी है
२ फ़रवरी २०२२
भारत सरकार जल्दी ही अपनी डिजिटल करंसी लाने जा रही है. दुनियाभर में तेजी से बढ़ते क्रिप्टो करंसी बाजार को झटका देते हुए मंगलवार को आम बजट में यह ऐलान किया गया.
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में जो घोषणाएं की हैं उनमें सरकार समर्थित डिजिटल रुपये की शुरुआत और क्रिप्टो करंसी के कारोबार से हुए मुनाफे पर 30 प्रतिशत कर के ऐलान ने भारत ही नहीं, बाकी दुनिया के क्रिप्टो व्यापारियों को हैरान-परेशान कर दिया.
वैसे तो भारत में अब तक क्रिप्टोकरंसी को लेकर नियम नहीं बने हैं लेकिन स्थानीय बाजार काफी बड़ा हो चुका है और करोड़ों लोग क्रिप्टोकरंसी में कारोबार कर रहे हैं. इसके पीछे बड़ी-बड़ी हस्तियों का समर्थन और बड़ी संख्या में उबर आए क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म की भी बड़ी भूमिका रही है.
आम आदमी के लिए क्या लेकर आया बजट
भारत के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. आम लोगों के लिए वित्त मंत्री के पिटारे से क्या-क्या निकला, जानते हैं.
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आयकर में कोई बदलाव नहीं
मिडल क्लास परिवार को बजट में हर साल टैक्स में राहत की उम्मीद रहती है, लेकिन इस बार के बजट में इनकम टैक्स की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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आईटीआर गलती में सुधार का मौका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयकर रिटर्न अपडेट करने के लिए करदाता को ज्यादा मौका मिलेगा. करदाता जुर्माना भरकर पिछले 2 साल का इनकम टैक्स रिटर्न अपडेट कर सकता है.
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डाकघर होंगे डिजिटल
डिजिटल बैंकिंग को हर नागरिक तक पहुंचाने के उद्देश्य से देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां शुरू होंगी. सभी 1.5 लाख डाकघरों को कोर बैंकिंग सिस्टम में शामिल किया जाएगा. ये डाकघर नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम इत्यादि की भी सुविधा देंगे. डाकघर खातों व बैंक खातों के बीच ऑनलाइन फंड ट्रांसफर भी किया जा सकेगा.
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भारत में आएगी डिजिटल करेंसी
सरकार इस साल डिजिटल करेंसी शुरू करेगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा. डिजिटल करेंसी के लिए ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.
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क्रिप्टो से कमाई पर मोटा टैक्स
क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारत में निवेशकों के बीच काफी उत्साह है लेकिन सरकार ने इसे अब तक मान्यता नहीं दी है. लेकिन बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा है कि क्रिप्टोकरंसी से कमाई पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा. यही नहीं क्रिप्टोकरंसी अगर उपहार के रूप में दी जाए, तो उपहार लेने वाले को अब इस पर कर देना होग.
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क्या हुआ सस्ता
बजट में कुछ सामान सस्ता करने का ऐलान भी किया गया है. चमड़े का सामान सस्ता होगा, मोबाइल फोन, चार्जर सस्ते होंगे. हीरे के गहने भी सस्ते हो जा रहे हैं.
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भारत में 5जी की एंट्री
5जी मोबाइल सेवाओं को शुरू करने के लिए 2022 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी.
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डिजिटल शिक्षा पर जोर
कोरोना महामारी के मद्देनजर वित्त मंत्री ने अपने बजट में डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन लर्निंग पर बहुत जोर दिया. देश में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना होगी. साथ ही पीएम ई विद्या के प्रोग्राम 'वन क्लास, वन टीवी चैनल' के तहत टीवी चैनलों की संख्या 12 से बढ़ाकर 200 की जाएगी.
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80 लाख परिवारों को मिलेंगे सस्ते घर
2022-23 में पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के लिए 80 लाख मकानों का निर्माण पूरा किया जाएगा. साथ ही 3.8 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का आबंटन किया जाएगा.
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आने वाला है ई-पासपोर्ट
2022-23 में भविष्य की तकनीक से युक्त ई-पासपोर्ट जारी करेगी सरकार. इससे नागरिकों को विदेश यात्रा में सुविधा मिलेगी. ई-पासपोर्ट सामान्य तौर पर आपके रेगुलर पासपोर्ट का डिजिटल रूप होगा.
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किसान ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा
फसल का मूल्यांकन करने, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल इकोसिस्टम
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए एक खुला मंच तैयार किया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं के लिए डिजिटल रजिस्ट्रियां, यूनीक हेल्थ पहचान और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच शामिल होगी.
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400 नई वंदे भारत ट्रेनें
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि अगले तीन वर्षों में वंदे भारत श्रेणी की 400 नई ट्रेनें चलाई जाएंगी.
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इसी वजह से पिछले सितंबर में जब सरकार ने क्रिप्टोकरंसी के लेन-देन को प्रतिबंधित कर दिया था, उसके बाद भी बाजार का बढ़ना थमा नहीं और भारत चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां क्रिप्टोकरंसी में कारोबार का आकर्षण सबसे ज्यादा है.
बड़ा होता क्रिप्टो बाजार
मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस वृद्धि को नियमित किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "वर्चुअल डिजिटल करंसी में लेनदेन में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है और इसलिए इसके उचित कराधान की जरूरत है.”
सीतारमण ने ऐलान किया कि क्रिप्टोकरंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों के कारोबार से कमाए गए मुनाफे पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा लेकिन इसमें हुए नुकसान से किसी तरह का कर-लाभ नहीं होगा. सभी तरह के डिजिटल लेन-देन पर एक प्रतिशत टैक्स शुरुआत में ही काटा जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे सरकार को हर लेन-देन की जानकारी रहेगी.
इसके अलावा सीतारमण ने अगले साल मार्च से पहले डिजिटल रुपया शुरू करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा. वित्त मंत्री ने कहा, "केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल करंसी की शुरुआत से डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा. इससे ज्यादा सक्षम और सस्ती करंसी प्रबंधन व्यवस्था भी संभव हो पाएगी.”
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भारत की झिझक
क्रिप्टोकरंसी भारत में करीब दस साल पहले आ गई थी और तभी से सरकार की इस नई मुद्रा व्यवस्था पर टेढ़ी नजरें रही हैं. 2018 में तो केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरंसी को बैन ही कर दिया था. दो साल पहले देश के सुप्रीम कोर्ट ने यह बैन हटा दिया था और तब से भारत में क्रिप्टोकरंसी का बाजार तेजी से बढ़ा है. शोध संस्था चेनालिसिस के मुताबिक जून 2021 तक एक साल में ही भारत का क्रिप्टोकरंसी बाजार 650 फीसदी बढ़ चुका था जो वियतनाम के बाद दूसरी सबसे ज्यादा वृद्धि थी.
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यदा-कदा बोलते रहे हैं. पिछले साल दावोस की वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधन में उन्होंने चेतावनी दी थी कि यह युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा था कि अगर क्रिप्टोकरंसी गलत हाथों में पड़ गई तो हमारी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर सकती है.
पिछले साल भारत सरकार ने सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन बाद में उसे लागू नहीं किया गया. भारत के सबसे पुराने क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म में गिने जाने वाले ऊनोकॉइन के सहसंस्थापक सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, "कर व्यवस्था पर आखिरकार कुछ स्पष्टता मिली है, जो कि अच्छी बात है. अब हम मान सकते हैं कि वे टैक्स लगा रहे हैं मतलब वे जानते हैं कि बैन तो नहीं लगाएंगे.”