भारत इस साल मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा कि भारत अपने सैनिकों को वापस लेने पर राजी हो गया है.
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कई महीनों से जारी विवाद के बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत उसके यहां तैनात अपने सैनिकों को मई तक वापस बुला लेगा. दोनों देशों ने कहा है कि अब भारत सैनिकों की जगह असैन्य नागरिकों को तैनात करेगा.
दोनों देशों के बीच हुए समझौते का हवाला देते हुए मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी 10 मार्च से शुरू हो जाएगी. पहली टुकड़ी 10 मार्च को वहां से चली जाएगी और बाकी सैनिक भी 10 मई तक चले जाएंगे.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कहा, "दोनों देश आपसी सहमति से ऐसे समाधान पर पहुंचे हैं कि भारतीय विमान मानवीय सेवा के अभियान को जारी रख सकें.”
दबाव बना रहा था मालदीव
पिछले महीने ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफ्रीकी देश युगांडा की राजधानी कंपाला में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर के साथ मुलाकात की थी. इसके बाद सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में जमीर ने कहा कि एनएएम शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर से मिलना खुशी की बात थी.
क्या सिर्फ भारत के भरोसे है मालदीव का टूरिज्म?
मालदीव की एक तिहाई अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर निर्भर है और 2023 में वहां सबसे ज्यादा पर्यटक भारत से गए. लेकिन भारत पर उसकी निर्भरता कितनी है? जानिए...
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भारत में मालदीव विरोध
मालदीव के कुछ जूनियर मंत्रियों द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणियों के बाद भारत में मालदीव का विरोध हो रहा है. पर्यटकों से वहां घूमने ना जाने की अपील की जा रही है. और इसका असर संख्या पर दिखने भी लगा है.
आंकड़े बताते हैं कि 2023 में मालदीव जाने वाले पर्यटकों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की थी. मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक वहां भारत के दो लाख 9 हजार 198 टूरिस्ट गए. लेकिन आंकड़े कुछ और भी बताते हैं.
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भारत जितने ही रूसी पर्यटक
2023 में जितने भारतीय पर्यटक मालदीव गए, लगभग उतने ही टूरिस्ट रूस के भी थे. रूसियों की संख्या दो लाख 9 हजार 146 थी, यानी भारत से सिर्फ 52 कम.
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बढ़ रहे हैं चीनी पर्यटक
मालदीव जाने वाले चीनी पर्यटकों की संख्या में पिछले साल 24 फीसदी का बड़ा उछाल देखा गया जबकि भारत के टूरिस्टों की संख्या बढ़ी नहीं. 2023 में वहां चीन के एक लाख 87 हजार 118 पर्यटक गए.
अगर यूरोपीय टूरिस्टों की कुल संख्या देखी जाए तो एकमुश्त वे बाकी किसी भी देश से ज्यादा बनते हैं. 2023 में यूके (1,55,730), जर्मनी (1,35,090), इटली (1,18,412) और फ्रांस (49,199) के ही करीब पांच लाख टूरिस्ट मालदीव गए थे.
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अमेरिका का भी योगदान
2023 में अमेरिका के 74,575 टूरिस्ट मालदीव घूमने गए थे.
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उन्होंने लिखा, "हमने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के साथ-साथ मालदीव में चल रही विकास परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने और सार्क और एनएएम के भीतर सहयोग पर चल रही उच्च स्तरीय चर्चा पर विचारों का आदान-प्रदान किया."
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज को चीन का समर्थक माना जाता है और उन्होंने पिछले साल हुए चुनाव में भारत विरोध के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपना भारत विरोधी रुख बरकरार रखा और हाल ही में भारत को अपने सैनिक हटाने के लिए 15 मार्च तक की समय सीमा दी थी.
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करीब 80 सैनिक
मालदीव में भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी है. कुछ टोही विमानों के साथ यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखती है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नवीनतम सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मालदीव में 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं.
भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर मालदीव में तैनात हैं जो यहां-वहां फैले 200 छोटे द्वीपों से मुख्यतया मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने का काम करते हैं. इसके अलावा ये विमान मालदीव के विशाल इकोनॉमिक जोन को अवैध मछली पकड़ने से भी बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं.
मालदीव में पिछले करीब दो साल से ‘इंडिया आउट' अभियान चल रहा है. इस अभियान के समर्थकों का कहना है कि भारत उनके देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा है और उनकी संप्रभुता प्रभावित हो रही है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित नेशनल सिक्यॉरिटी कॉलेज में सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. डेविड ब्रूस्टर कहते हैं विपक्षियों की ये चिंताएं जायज नहीं हैं.
आप मालदीव को कितना जानते हैं?
हिंद महासागर में बसा देश मालदीव इन दिनों संकट में घिरा है. मालदीव क्षेत्र और आबादी के लिहाज से बहुत छोटा है लेकिन रणनीतिक रूप से काफी अहम है.
मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है जिसका क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है. इसका मतलब है कि भारत की राजधानी दिल्ली क्षेत्रफल में मालदीव से पांच गुना बड़ी है.
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आबादी
प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर मालदीव 1200 द्वीपों पर बसा है. हालांकि इनमें से ज्यादातर पर कोई नहीं रहता. देश की लगभग सवा तीन लाख की आबादी में लगभग 40 फीसदी लोग राजधानी माले में रहते हैं.
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मुस्लिम देश
मालदीव एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां 98.4 फीसदी लोग मुसलमान हैं. देश की आधिकारिक भाषा धिवेही है, जो श्रीलंका में बोली जाने वाली सिंहला भाषा के करीब है. लेकिन इसे अरबी की तरह दांए से बाएं लिखा जाता है.
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कब मिली आजादी
मालदीव को 1965 में ब्रिटेन से आजादी मिली. 1968 में मालदीव में एक जनमत संग्रह के बाद सुल्तान मोहम्मद फरीद दीदी को सत्ता से हटाकर इब्राहिम नासिर पहले राष्ट्रपति बने. वह दस साल तक पद पर रहे.
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गयूम का मादलीव
इब्राहिम नासेर के बाद देश की बागडोर मामून अब्दुल गयूम के हाथों में आई जो लगातार तीस साल तक राष्ट्रपति बने रहे. 1980 के दशक में तीन बार उनके तख्तापलट की नाकाम कोशिशें भी हुईं. लेकिन अक्टूबर 2008 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी.
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पहले लोकतांत्रिक चुनाव
मालदीव के इतिहास में 2008 में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से राष्ट्रपति चुनाव हुआ और देश की बागडोर युवा नेता मोहम्मद नशीद के हाथों में आई. लेकिन 2012 में हफ्तों तक चले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद नशीद को इस्तीफा देना पड़ा.
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फिर संकट
2018 के शुरू होते ही मालदीव में फिर संकट की आहट सुनाई देने लगी. राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मानने से इनकार कर दिया और जजों को गिरफ्तार कराया गया.
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दखल की अपील
सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार किया. पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने भारत से दखल देने की अपील की. हालांकि भारत ने अब तक सीधे सीधे दखल देने का कोई संकेत नहीं दिया है.
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समंदर में कैबिनेट बैठक
मालदीव दुनिया के उन इलाकों में शामिल हैं जिन पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण खतरा मंडरा रहा है. 2009 में राष्ट्रपति नशीद ने दुनिया का ध्यान इस तरफ खीचने के लिए कैबिनेट की बैठक पानी के अंदर की.
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अर्थव्यवस्था
पर्यटन देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. कई द्वीपों को खास तौर से पर्यटन के लिए तैयार किया गया है जहां सैलानियों के लिए हर सुविधा है. पर्यटन कंपनियां मालदीव को एक ट्रॉपिकल स्वर्ग की तरह पेश करती हैं. यहां की मुद्रा मालदीवियन रुफिया है.
डीडब्ल्यू से बातचीत में डॉ. ब्रूस्टर ने कहा, "विदेशी सैनिकों की तैनाती किसी भी देश के लिए हमेशा एक संवेदनशील मुद्दा होता है. यहां तो बात इसलिए भी अलग थी कि भारतीय सैनिकों को स्थानीय लोगों से छिपाकर रखा गया और मालदीव के लोगों को उनके काम के बारे में कभी ठीक से बताया नहीं गया."
डॉ ब्रूस्टर कहते हैं, “मेरा अनुमान है कि जिन नागरिकों को भेजा जाएगा उनमें भारत के पूर्व सैनिक होंगे. वे लोग सेना के काम को जारी रखेंगे और इस बीच मालदीव के लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे खुद ये जिम्मेदारियां संभाल सकें. यह ऐसा समाधान है जो सबको रास आना चाहिए.”
चीन से बढ़ती नजदीकी
राष्ट्रपति बनने के बाद मुईज ने अपना सबसे पहला दौरा चीन का ही किया था. उसके बाद चीन का एक जहाज मालदीव के दौरे पर भी गया. इस बीच भारत और मालदीव के संबंधों में तब तनाव और बढ़ गया जब वहां के तीन उप-मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री पर आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं. भारत ने जब आपत्ति जताई तो उन मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया था.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (दाएं) के साथ मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजूतस्वीर: Liu Bin/Xinhua/picture alliance
पिछले कुछ दशकों से भारत और चीन दोनों ही दक्षिण एशिया में मालदीव पर अपने प्रभाव को लेकर रस्साकशी कर रहे हैं. मुईजू के चुनाव जीतने के बाद ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि मालदीव का रुझान चीन की ओर बढ़ेगा. मालदीव चीन की ‘बेल्ट एंड रोड' योजना में भी शामिल हो गया है, जिसके तहत बंदरगाह, रेल लाइनें और सड़कें बिछाई जानी हैं.
डॉ ब्रूस्टर कहते हैं कि हाल के समय में भारत और मालदीव के बीच जो हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन यह लंबे समय से भारत पर मालदीव की निर्भरता को लेकर लोगों के बीच बेचैनी को दिखाता है.
उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के साथ किसी छोटे देश के लिए रिश्ते बनाए रखना कभी आसान नहीं होता. मालदीव की नई सरकार चीन के साथ निवेश के रास्ते दोबारा खोलने को उत्सुक है और जहां तक मेरी जानकारी है, कई परियोजनाओं पर काम हो रहा है. लेकिन नई सरकार रक्षा संबंधों को विविध करने को लेकर भी उत्सुक है और ऐसे में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया अहम भूमिका निभा सकते हैं. मुझे उम्मीद है कि भारत के साथ संबंधों की राह में जो हाल के दिनों में जो झटके लगे हैं, वे सभी पक्षों द्वारा संभाले जा सकते हैं और मालदीव की नई नीतियां क्षेत्र में अस्थिरता का कारण नहीं बनेंगी.”