शनिवार से भारत में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है. पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों और अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को टीका दिया जाएगा. इसी के साथ खास कोविन ऐप भी लॉन्च होगा.
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भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के अभियान की शुरूआत के पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को इससे जुड़े जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं. दिशा निर्देशों के मुताबिक वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की इजाजत 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही दी गई है और गर्भवती और स्तनपान कराने वालीं महिलाओं को वैक्सीन नहीं लगवाने को कहा गया है. शनिवार को पहले चरण में करीब तीन लाख स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जाएगी. पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों और अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का टीकाकरण हो रहा है.
टीकाकरण के लिए देशभर में तीन हजार से अधिक केंद्र बनाए गए हैं और यहां पहले चरण के तहत वैक्सीन दी जाएगी. देश में अगले कुछ महीनों में प्राथमिकता वाले तीन करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना है. स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों में यह भी बताया गया है कि दूसरी खुराक का टीका दूसरी कंपनी का लगाया जा सकता है या नहीं. मतलब यह कि पहली बार अगर किसी को कोवैक्सीन लगी है तो दूसरी डोज में भी उसे कोवैक्सीन का ही टीका लगेगा. साथ ही कहा गया है कि किसी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण हैं तो उस व्यक्ति को ठीक होने के 4-8 हफ्ते बाद टीका लगाया जाना चाहिए.
वैक्सीन के इंटरचेंजिंग की मंजूरी नहीं है. पहली खुराक के 28वें दिन दूसरी खुराक दी जाएगी. साथ ही दिशा निर्देश में टीका लगाने के बाद होने वाली छोटी-मोटी दिक्कतों के बारे में भी बताया गया है. इन जानकारियों को टीकाकरण से जुड़े लोगों तक पहुंचाने को कहा गया है ताकि अगर कोई दिक्कत पेश आती है तो वे हर तरह की स्थिति से निपटने में सक्षम हो सकें. जिन लोगों को टीका लगना है उनके बारे में मेडिकल हिस्ट्री भी पता लगाने को कहा गया है.
प्रधानमंत्री करेंगे कार्यक्रम की शुरूआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश भर में शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान की शुरूआत करेंगे. कार्यक्रम के दौरान सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के तीन हजार के करीब केंद्र वर्चुअल रूप से जुड़ेंगे. पहले दिन हर केंद्र में लगभग 100 लाभार्थियों को टीका लगाया जाएगा. यह टीकाकरण कार्यक्रम प्राथमिकता वाले समूहों के सिद्धांत पर आधारित है. इस चरण के दौरान सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा. टीकाकरण कार्यक्रम में कोविन डिजिटल मंच का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने विकसित किया है. कोविन वैक्सीन स्टॉक, भंडारण तापामान और कोविड-19 वैक्सीन के लाभार्थियों की व्यक्तिगत स्थिति की रियल टाइम जानकारी देगा. इस ऐप को खासतौर पर टीकाकरण अभियान के लिए तैयार किया गया है और इसको शनिवार को मोदी लॉन्च करेंगे. सरकार ने अभी इस ऐप को प्ले स्टोर पर जारी नहीं किया है और लोगों से इस तरह के किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से आगाह किया है.
देश में दो वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. तस्वीर: Rassin Vannier/AFP/Getty Images
दिल्ली की तैयारी
दिल्ली सरकार ने भी टीकाकरण को लेकर तैयारी पूरी कर ली है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक शनिवार से राजधानी के 81 केंद्रों पर टीका लगाया जाएगा. हफ्ते में चार दिन कोविड वैक्सीन लगाई जाएगी और बाकी दिनों पर दूसरी बीमारियों के लिए नियमित रूप से टीका लगाया जाना जारी रहेगा. दिल्ली में पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीका दिया जाएगा. इसके लिए 2 लाख 40 हजार स्वास्थ्यकर्मी अभी तक पंजीकरण करा चुके हैं. एक केंद्र पर एक दिन में करीब 100 लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. पूरी दिल्ली में 81 केंद्रों पर प्रतिदिन 8,100 स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाया जाएगा. दिल्ली सरकार के मुताबिक अगले कुछ दिनों में टीका केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 175 कर दी जाएगी और फिर आगे इनकी संख्या एक हजार के करीब हो जाएगी.
दो वैक्सीन को मिली है मंजूरी
भारत सरकार ने 3 जनवरी को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई गई ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और हैदराबाद स्थित भारत-बायोटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी थी. सीरम की वैक्सीन का नाम कोविशील्ड है और भारत बायोटेक की वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है. दोनों ही वैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है. दोनों वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखी जा सकती है. दोनों ही वैक्सीन दो डोज की हैं.
सरकार द्वारा खरीदे गए कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके की 1.65 करोड़ खुराकें उनके स्वास्थ्यकर्मियों के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बांटी गई हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 10 फीसदी टीकों को आरक्षित रखा जाए क्योंकि इतनी खुराकों का नुकसान टूट-फूट में हो सकता है.
कोरोना की वैक्सीन जितनी जल्दबाजी में बनी हैं, उसे देखते हुए कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इसे लेना ठीक भी रहेगा या नहीं. जानिए कौन सी कंपनी की वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हैं ताकि आपके सभी शक दूर हो जाएं.
कुछ सामान्य साइड इफेक्ट
कोई भी टीका लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है. कुछ लोगों को पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है. इसका मतलब होता है कि टीका अपना काम कर रहा है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है.
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बड़े साइड इफेक्ट का खतरा?
अब तक जिन जिन टीकों को अनुमति मिली है, परीक्षणों में उनमें से किसी में भी बड़े साइड इफेक्ट नहीं मिले हैं. यूरोप की यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए), अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन तीनों ने इन्हें अनुमति दी है. एक दो मामलों में लोगों को वैक्सीन से एलर्जी होने के मामले सामने आए थे लेकिन परीक्षण में हिस्सा लेने वाले बाकी लोगों में ऐसा नहीं देखा गया.
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बायोनटेक फाइजर
जर्मनी और अमेरिका ने मिलकर जो टीका बनाया है वह बाकी टीकों से अलग है. वह एमआरएनए का इस्तेमाल करता है यानी इसमें कीटाणु नहीं बल्कि उसका सिर्फ एक जेनेटिक कोड है. यह टीका अब कई लोगों को लग चुका है. अमेरिका में एक और ब्रिटेन में दो लोगों को इससे काफी एलर्जी हुई. इसके बाद ब्रिटेन की राष्ट्रीय दवा एजेंसी एमएचआरए ने चेतावनी दी कि जिन लोगों को किसी भी टीके से जरा भी एलर्जी रही हो, वे इसे ना लगवाएं.
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मॉडेर्ना
अमेरिकी कंपनी मॉडेर्ना का टीका भी काफी हद तक फाइजर के टीके जैसा ही है. परीक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब दस फीसदी लोगों को थकान महसूस हुई. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके चेहरे की नसें कुछ वक्त के लिए पेरैलाइज हो गई. कंपनी का कहना है कि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ऐसा टीके में मौजूद किसी तत्व के कारण हुआ या फिर इन लोगों को पहले से ऐसी कोई बीमारी थी जो टीके के कारण बिगड़ गई.
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एस्ट्रा जेनेका
ब्रिटेन और स्वीडन की कंपनी एस्ट्रा जेनेका के टीके के परीक्षण को सितंबर में तब रोकना पड़ा जब उसमें हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति ने रीढ़ की हड्डी में सूजन की बात बताई. इसकी जांच के लिए बाहरी एक्सपर्ट भी बुलाए गए जिन्होंने कहा कि वे यकीन से नहीं कह सकते कि सूजन की असली वजह वैक्सीन ही है. इसके अलावा बाकी के टीकों की तरह यहां भी ज्यादा उम्र के लोगों में बुखार, थकान जैसे लक्षण कम देखे गए हैं.
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स्पूतनिक वी
रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी को अगस्त में ही मंजूरी दे दी गई थी. किसी भी टीके को तीन दौर के परीक्षणों के बाद ही बाजार में लाया जाता है, जबकि स्पूतनिक के मामले में दूसरे चरण के बाद ही ऐसा कर दिया गया. रूस के अलावा यह टीका भारत में भी दिया जाना है. जानकारों की शिकायत है कि इसके पूरे डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए साइड इफेक्ट्स के बारे में ठीक से नहीं बताया जा सकता.
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन भी स्पूतनिक की तरह विवादों में घिरी है. सरकार ने इसे इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति दी है लेकिन इसके भी तीसरे चरण के परीक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है और ना ही यह बताया गया है कि यह कितनी कारगर है. भारत में महामारी पर नजर रख रही संस्था सेपी की अध्यक्ष गगनदीप कांग ने कहा है कि वे सरकार के फैसले को समझ नहीं पा रही हैं और अपने करियर में उन्होंने कभी ऐसा होते नहीं देखा.
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बच्चों के लिए टीका?
आम तौर पर पैदा होते ही बच्चों को टीके लगने शुरू हो जाते हैं लेकिन कोरोना के टीके के मामले में ऐसा नहीं होगा. इसकी दो वजह हैं: एक तो बच्चों पर इसका परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही इसकी अनुमति है. और दूसरा यह कि महामारी की शुरुआत से बच्चों पर कोरोना का असर ना के बारबार देखा गया है. इसलिए बच्चों को यह टीका नहीं लगाया जाएगा. साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी फिलहाल यह टीका नहीं दिया जाएगा.
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सुरक्षित टीका क्या होता है?
जर्मनी में कोरोना पर नजर रखने वाले रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट की वैक्सीनेशन कमिटी के सदस्य के सदस्य क्रिस्टियान बोगडान बताते हैं कि किसी टीके से अगर एक वृद्ध व्यक्ति की उम्र 20 प्रतिशत घटती है लेकिन साथ ही अगर 50 हजार में से सिर्फ एक व्यक्ति को उससे एलर्जी होती है, तो वे ऐसे टीके को सुरक्षित मानेंगे. उनके अनुसार यूरोप में इसी पैमाने पर टीकों को अनुमति दी जा रही है.