भारत और अमेरिका इस वक्त एलएसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर उत्तराखंड में संयुक्त सैन्य अभ्यास "युद्ध अभ्यास" कर रहे हैं. चीन ने इस पर अपना ऐतराज जताया है.
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चीन ने कहा है कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास का विरोध करता है और यह नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों की भावना का उल्लंघन करता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 100 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के औली में 9544 फीट की ऊंचाई पर भारत-अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास "युद्ध अभ्यास" का 18वां संस्करण फिलहाल जारी है.
"युद्ध अभ्यास" पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने पत्रकार सम्मेलन में इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, "चीन-भारत सीमा पर एलएसी के करीब भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौते की भावना का उल्लंघन करता है."
सबसे बड़े एयर शो में दिखी चीन की ताकत
जुहाई में हुए चीन के सबसे बड़े एयर शो में भारत के पड़ोसी मुल्क ने अपनी अत्याधुनिक सैन्य और अंतरिक्ष तकनीक का प्रदर्शन किया.
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चीन की हवाई ताकत
ये है सीएच-4 ड्रोन जिसे चीन ने ग्वांगडो प्रांत के जुहाई में हुए एयरशो में पेश किया.
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एयर डिफेंस भेदने वाला
चीन का J-16D इलेक्ट्रोनिक लड़ाई में काम आने वाला फाइटर विमान है जो अमेरिका में बने EA-18G ग्राउलर का मुकाबिल है. यह एयर डिफेंस सिस्टम को तहस नहस करने की क्षमता रखता है.
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सहयोगी ड्रोन
एयर शो में चीन ने महंगे लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए साथ उड़ने वाला ड्रोन भी इस शो में दिखाया है. भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसी योजनाएं चल रही हैं.
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दो तरह के इंजन
हर तरह के इंजनचीन दो तरह के घरेलू इंजनों पर परीक्षण कर रहा है जो उसके y-20 ट्रांसपोर्ट विमान में लगाए जाएंगे.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर के विमान
WZ-7 शियांगलोंग ड्रोन अमेरिका के मशहूर ग्लोबल हॉक ड्रोन के मुकाबले का है. इसे भारत-चीन सीमा के नजदीक भी देखा गया है और उत्तर कोरियाई सीमा के आस पास भी.
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इंजनों में सुधार
चीन ने अपने हवाई इंजनों की क्षमता और तकनीक में सुधार के लिए कड़ी मेहनत की है. इस मेहनत का नतीजा एयर शो में कई आधुनिक विमानों के रूप में नजर आया. जे-20 फाइटर जेट पहली बार रूस के बजाय चीन में बने इंजन से उड़ा.
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चांद पर निगाह
चीन ने बताया है कि 2028 में, यानी अनुमान से दो साल पहले ही वह अपने आधुनिक रॉकेट तैयार कर लेगा जो अंतरिक्षयान को चांद पर भेजने के लिए बनाए जा रहे हैं.
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बाजार पर कब्जा
व्यवसायिक विमानन के क्षेत्र में भी चीन खासी तरक्की कर रहा है और ऐसी तकनीक विकसित करने में लगा है जिनके बूते उसे किसी अन्य देश पर निर्भर ना रहना पड़े.
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भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य शांति स्थापना और आपदा राहत कार्यों में दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिकता को बढ़ाना और विशेषज्ञता साझा करना है.
1993 और 1996 के समझौतों के लिए चीनी विदेश मंत्रालय का संदर्भ देना दिलचस्प है, क्योंकि भारत ने मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में एलएसी में विवादित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिकों को स्थानांतरित करने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रयासों को द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करार दिया था. इन समझौतों के तहत सीमा से जुड़ा विवाद शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से समाधान किया जाता है.
भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच सालाना सैन्य अभ्यास आयोजित किया जाता है. उत्तराखंड के औली में हो रहा युद्ध अभ्यास इस लिहाज से खास कि पहली बार भारतीय और अमेरिकी सैनिक बहुत ऊंचाई पर युद्धाभ्यास कर रहे हैं. पहली बार भारतीय सेना ने संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए हाई अल्टीट्यूड में फॉरन ट्रेनिंग नोड बनाया है. दोनों सेनाओं का यह अभ्यास 15 दिनों तक चलेगा.
अगस्त में भी चीनी सेना ने भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास पर इसी तरह की चिंता जाहिर की थी.
जून 2020 में चीनी और भारतीय सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा झटका लगा है.
भारत और चीन की सैन्यशक्ति की तुलना
पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी भारत और चीन की सैन्य ताकत को आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है. यूं तो भारत चीन से सिर्फ एक कदम पीछे, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन शक्ति में अंतर बड़ा है.
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भारत और चीन की तुलना
थिंकटैंक ग्लोबल फायर पावर ने चीन को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति माना है और भारत को चौथी. यह तुलना 46 मानकों पर परखने के बाद की गई है, जिनमें से 38 में चीन भारत से आगे है.
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सैनिकों की संख्या
चीन के पास 20 लाख से ज्यादा बड़ी सेना है जबकि भारत की सेना में 14 लाख 50 हजार जवान हैं. यानी चीन की सेना साढ़े पांच लाख ज्यादा जवानों के साथ मजबूत है.
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अर्धसैनिक बल
भारत में 25 लाख 27 हजार अर्धसैनिक बल हैं जबकि चीन में मात्र छह लाख 24 हजार. यानी भारत 19 लाख तीन हजार अर्धसैनिक बलों के साथ हावी है.
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रक्षा बजट
भारत रक्षा मद में 70 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये खर्चता है. इसके मुकाबले चीन का बजट तीन गुना से भी ज्यादा यानी लगभग 230 अरब डॉलर है.
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लड़ाकू विमान
चीन के पास 1,200 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास 564. चीन के पास कुल विमान भी ज्यादा हैं. भारत के पास कुल 2,182 विमान हैं जबकि चीन के पास 3,285.
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टैंक
भारत के पास 4,614 टैंक हैं जो चीन के 5,250 टैंकों से कम हैं. बख्तरबादं गाड़ियां भी चीन के पास ज्यादा हैं. उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि भारत के पास 12,000.
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विमानवाहक युद्धक पोत
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत है जबकि चीन के पास दो. भारत के पास 10 डिस्ट्रॉयर जहाज हैं और चीन के पास 41.