भारत सरकार ने कहा, आतंकवादी हमला था दिल्ली कार विस्फोट
१३ नवम्बर २०२५
दिल्ली में हुए कार धमाके को भारत सरकार ने बुधवार, 12 नवंबर को आतंकवादी हमला करार देते हुए हमले के लिए जिम्मेदार लोगों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने का संकल्प लिया. यह घटना भारत में इसी साल 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद सबसे बड़ा सुरक्षा संकट है. 22 अप्रैल, 2025 को भारतीय कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी. इससे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के भीतर कथित आतंकी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की थी.
दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम को हुए शक्तिशाली कार धमाके ने राजधानी को हिला दिया. इस धमाके में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक घायल हुए, जिनका इलाज एलएनजेपी अस्पताल में चल रहा है. घटना को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और जांच तेज कर दी गई है.
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, "देश ने एक घिनौना आतंकी हमला देखा है, जिसे राष्ट्रविरोधी ताकतों ने लाल किले के पास कार विस्फोट के जरिए अंजाम दिया." सरकार ने दोषियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने का वादा किया.
यह पहली बार है, जब भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर इस धमाके को आतंकवादी हमला माना गया है. यह घटना लाल किले के पास हुई, जो पुरानी दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित है और हर साल भारत के प्रधानमंत्री यहीं से स्वतंत्रता दिवस का भाषण देते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जांच से परिचित तीन सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलिस यह जांच रही है कि क्या विस्फोट का संबंध कश्मीर के अशांत क्षेत्र से गिरफ्तार सात लोगों के समूह से है, जिनके पास हथियार और बम बनाने की सामग्री मिली थी?
पाकिस्तान से झड़प के बाद हथियार बाजार में भारत को खरीदारों की तलाश
"व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल"
दिल्ली में हुए धमाके से कुछ घंटे पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें दो डॉक्टर भी शामिल हैं. यह कार्रवाई एक अलग आतंकवाद-रोधी जांच के तहत कश्मीर और दिल्ली से सटे हरियाणा व उत्तर प्रदेश में हुई तलाशी के दौरान की गई.
पुलिस ने छापों में दो पिस्तौल, दो असॉल्ट राइफल और करीब 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था. अधिकारियों का कहना है कि यह नेटवर्क पेशेवरों और छात्रों के बीच फैला हुआ था, जो विदेशी हैंडलरों के संपर्क में थे.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के बयान के मुताबिक जांच में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार लोग पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े थे. पुलिस ने इसे "व्हाइट-कॉलर टेरर इकोसिस्टम" करार दिया है, जिसमें कट्टरपंथी पेशेवर और छात्र शामिल हैं.
रॉयटर्स ने इस मामले पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से बात करनी चाही लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.
दिल्ली धमाके के बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी
दिल्ली धमाके की जांच में पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जुटी हुई है. रॉयटर्स के सूत्रों के मुताबिक, जांच इस बात पर केंद्रित है कि जिस कार में धमाका हुआ, क्या उसका ड्राइवर डॉक्टर था और क्या उसका संबंध गिरफ्तार किए गए दो लोगों में से किसी एक से था.
दिल्ली पुलिस और एनआईए के प्रवक्ताओं से इस मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कई पहलुओं पर जांच शुरू कर दी है, जिसमें संदिग्धों के नेटवर्क और उनकी गतिविधियों का पता लगाना शामिल है.
दिल्ली धमाके के बाद कश्मीर पुलिस ने हिमालयी क्षेत्र में सैकड़ों स्थानों पर छापेमारी की. एक पुलिस सूत्र ने बताया कि इन छापों के दौरान करीब 500 लोगों को हिरासत में लिया गया. हालांकि, पूछताछ के बाद अधिकांश लोगों को छोड़ दिया गया.
पाकिस्तान को लेकर मोदी इतने आक्रामक क्यों हैं?
दिल्ली से कश्मीर तक सर्च ऑपरेशन
धमाके से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने एक संदिग्ध आतंकी सेल का पर्दाफाश किया है, जो कश्मीर से संचालित होकर दिल्ली के बाहरी इलाकों तक सक्रिय था. इस कार्रवाई में कम से कम सात लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें दो डॉक्टर भी शामिल हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच की शुरुआत 19 अक्टूबर को श्रीनगर में लगे कुछ पोस्टरों से हुई थी, जिनमें भारतीय सैनिकों पर हमले की धमकी दी गई थी. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शुरुआती गिरफ्तारियां हुईं, जिसके बाद पूछताछ में दो डॉक्टरों समेत अन्य संदिग्धों के नाम सामने आए.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन के हथियारों पर क्यों रही है चर्चा
समाचार एजेंसी एपी ने स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के हवाले से लिखा, दिल्ली में धमाका करने वाली कार का ड्राइवर भी कश्मीर का रहने वाला था और वह एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ाता था. माना जा रहा है कि उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए जानबूझकर विस्फोट किया या फिर वह विस्फोटक सामग्री ले जा रहा था, जो गलती से फट गई. पुलिस ने इन अटकलों पर फिलहाल कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.
वहीं सरकार की ओर से मामले को आतंकवादी घटना कहने के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने मारे गए निर्दोष लोगों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा और धमाके से हुई जानमाल की हानि पर गहरा दुख व्यक्त किया. हालांकि सरकार की ओर से अभी इसपर कुछ नहीं कहा गया है कि हमले के पीछे कौन हो सकता है.
पाकिस्तान का साथ देकर भारतीयों के निशाने पर आए तुर्की और अजरबैजान
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, कैबिनेट इस "नृशंस और कायराना कृत्य" की स्पष्ट रूप से निंदा करती है, जिसके कारण निर्दोष लोगों की जान गई है. बयान में कहा गया, मंत्रिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता दोहराता है.