भारत: क्या है केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना
२५ दिसम्बर २०२४प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखी. इसी के साथ देश में पहली बार नदी जोड़ो योजना की शुरूआत हो गई. इस परियोजना पर करीब 45 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी. देश की नदियों को जोड़ने की योजना के तहत शुरू हुई यह पहली परियोजना है.
इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे लाखों किसान परिवारों को लाभ मिलने का दावा है. आधारशिला रखते हुए मोदी ने कहा, "जल सुरक्षा 21वीं सदी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है." उन्होंने कहा कि केवल वे देश और क्षेत्र ही प्रगति कर सकते हैं जिनके पास पर्याप्त जल है और पानी से समृद्ध खेत हैं.
मोदी ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना जल्द ही सच्चाई बनने वाली है, जिससे बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खुलेंगे. इस परियोजना से उम्मीद है कि बुंदेलखंड के उन सूखाग्रस्त इलाकों को नया जीवन मिलेगा जो साल भर पानी के लिए तरसते हैं.
क्या है केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का उद्देश्य केन नदी से पानी को बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है, ये दोनों यमुना की सहायक नदियां हैं. भारत के जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक केन-बेतवा लिंक नहर की लंबाई 221 किलोमीटर होगी, जिसमें दो किलोमीटर की सुरंग भी शामिल है.
मंत्रालय के मुताबिक इस परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) भूमि को सालाना सिंचाई, लगभग 65 लाख लोगों को पीने का पानी और 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर बिजली मिलने की उम्मीद है.
केन नदी मध्य प्रदेश के कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में चिल्ला गांव में यमुना में जा मिलती है. बेतवा नदी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुम्हारगांव से निकलकर 576 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना में जा मिलती है.
पर्यावरण को लेकर कांग्रेस के आरोप
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत केन और बेतवा नदी को जोड़ने के लिए एक एक नहर बनाई जाएगी और दौधन बांध का निर्माण किया जाएगा. यह परियोजना मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिले में केन नदी में बन रही है.
पन्ना जिले में ही टाइगर रिजर्व है और कांग्रेस का दावा है कि इससे टाइगर रिजर्व को गंभीर खतरा है. बुधवार को कांग्रेस ने कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर्यावरण पर अपनी ‘बात और काम' के बीच के अंतर का एक और सबूत दे रहे हैं, क्योंकि यह पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए एक गंभीर खतरा है.
कांग्रेस के महासचिव और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "पर्यावरण और वन को लेकर अपनी 'कथनी' और 'करनी' में अंतर का प्रधानमंत्री आज एक और सबूत दे रहे हैं, वह जिस केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास करने जा रहे हैं, वह मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए गंभीर खतरा है."
जयराम रमेश ने आगे लिखा, "पन्ना की कहानी अपने आप में अनूठी है, क्योंकि 2009 की शुरुआत में वहां बाघ की आबादी पूरी तरह से खत्म हो गई थी. हालांकि 15 साल पहले शुरू किए गए बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम की बदौलत, वर्तमान में पन्ना में लगभग छोटे-बड़े मिलाकर 90 से अधिक बाघ हैं. ये पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं."
रमेश ने दावा किया कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से उस टाइगर रिजर्व का 10 प्रतिशत से अधिक मुख्य क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा.
मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक नदी जोड़ो परियोजना का पर्यावरण और समाज पर पड़ने वाले असर का पता लगाने के लिए गहन जांच से गुजरना पड़ा है. इस परियोजना में पन्ना नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व के अंदर बड़े पैमाने पर वनों की कटाई शामिल होगी.
अरुणाचल प्रदेश की जनजातियों के लिए जीवनरेखा है झूलते पुल
परियोजना से क्या होगा क्षेत्र पर असर
आईआईटी-बॉम्बे के वैज्ञानिकों की पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि नदी जोड़ो परियोजनाओं के तहत बड़ी मात्रा में पानी को स्थानांतरित करने से भूमि और वायुमंडल पर असर हो सकता है और इससे बारिश में कमी भी हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने वन्यजीव मंजूरी की जांच करते समय इस परियोजना से जुड़े कई मुद्दों पर सवाल उठाए थे. सीईसी ने परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर सवाल उठाए थे और पहले ऊपरी केन बेसिन में सिंचाई के अन्य विकल्पों को आजमाने की वकालत की थी.
दूसरी ओर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों का दावा है कि इस परियोजना से मध्य प्रदेश के 10 जिलों और उत्तर प्रदेश के चार जिलों को सीधा फायदा होगा. दोनों राज्यों के करीब 65 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल पाएगा और किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बांध के निर्माण से छतरपुर जिले के 5,228 परिवार और पन्ना जिले के 1,400 परिवार जमीन के जलमग्न होने और परियोजना से संबंधित अधिग्रहण के कारण विस्थापित हो जाएंगे. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया और पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने को लेकर स्थानीय लोग कई बार विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं.